लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनावी विसात बिछाने में सभी राजनीतिक पार्टियां जुटी हैं। विपक्ष का तेवर आक्रामक है, लेकिन धार कूंद है। जबकि सत्ता पक्ष का काम दमदार है और तेवर भी आक्रामक है। पहली बार देखा जा रहा है कि सत्ता पक्ष के आगे पूरा विपक्ष चित्त है। विपक्ष के हर सवाल का जवाब सत्ता पक्ष के पास है। योगी सरकार के चतुर्मुखी और सर्वांगीण विकास के आगे विपक्ष को नहीं सूझ रहा है कि सत्ता पक्ष को किस मुद्दे पर घेरा जाय।
वर्तमान सरकार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुलडोजर वाली सरकार की संज्ञा दी थी। मुख्यमंत्री ने शनिवार को कहा कि दंगा करने वालों के लिए हमारा बुलडोजर हमेशा तैयार रहेगा। वहीं दूसरी तरफ सभी गठजोड़ के लिए भी कभी चुपके से तो कभी आम बैठक कर मिलने का सिलसिला शुरू कर दिये हैं। अखिलेश यादव की ओमप्रकाश राजभर व प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात हो चुकी है।
विपक्ष में सर्वाधिक सक्रियता समाजवादी पार्टी दिखा रही है। वहीं प्रियंका वाड्रा भी यूपी में डूबती नैया को पार लगाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं। बसपा अपने चिरपरिचित अंदाज में ब्राह्मण-दलित गठजोड़ की ओर बढ़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन हर पार्टी भाजपा से ही लड़ती हुई दिख रही है। इसमें भी पहले पार्टी का नाम लेकर हमला किया जाता था लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर विपक्ष सीधे हमला कर रहा है।
ऐसी स्थिति में लोगों की मानसिकता बनती जा रही है कि कहीं न कहीं योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चोरी व अन्य चीजों पर रोक लगायी है, जिससे विपक्ष को चुभ रहा है। अब पहले की तरह चुनाव सिर्फ वैचारिक मतभेद का नहीं रह गया है। अब हर राजनीतिक दल एक-दूसरे को अपना दुश्मन मानकर चलने लगे हैं।
विपक्ष में अखिलेश यादव यह मानकर चल रहे हैं कि वे यूपी में सरकार बनाएंगे। इस सिलसिले में उनकी सक्रियता भी काफी दिख रही है। कई बार किसी बड़े दल से गठजोड़ न करने की बात कर चुके अखिलेश यादव हवाई यात्रा के दौरान ही प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात कर चुके हैं। वहीं ओम प्रकाश राजभर से भी बात चल रही है और दोनों संयुक्त सभा भी करने वाले हैं।
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि राजनीति में कब क्या होगा, यह कहना तो मुश्किल है लेकिन अभी तक सभी दल भाजपा से ही लड़ते हुए दिख रहे हैं। यूपी में भाजपा ही सरकार बनाने वाली है, यह भी साफ दिखाई दे रहा है।
वरिष्ठ स्तम्भकार डॉ दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि पहली बार विपक्ष मुद्दा विहिन है। जो राजनीतिक पार्टियां हिन्दू और हिन्दुत्व से परहेज करती थीं, तुष्टिकरण ही सत्ता तक पहुंचने का माध्यम था, आज वही पार्टियां सत्ता पक्ष के हिन्दुत्व के सहारे ही अपनी नैया पार लगाने के लिए विवश हैं।
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