सीटों का समीकरण: अखिलेश के लिए ‘राजसत्ता’ साबित हो सकते राजभर

मऊ के मंच से अगर अखिलेश और ओम प्रकाश राजभर का गठजोड़ पक्का होता है तो यह आने वाले दिनों में सीटों का समीकरण बदल देगा। दरअसल,ओम प्रकाश राजभर ने पहले ही भागीदारी संकल्प मोर्चा बना रखा है। इसमें से ज्यादतर दल ऐसे हैं, जो चुनाव में बीजेपी के साथ नहीं जाने वाले है। साथ ही कई सीटों पर पांच से दस हजार वोट इधर से उधर करने में सक्षम है।

अगर राजभर सपा के साथ हो लिए तो इसमें से ज्यादातर दल भी भविष्य में सपा के मंच पर नजर आएंगे। इसका फायदा समाजवादी पार्टी को 2022 के विधान सभा चुनाव में मिलेगा।

भागीदारी संकल्प मोर्चा में ओम प्रकाश राजभर के अलावा आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद, प्रसपा के शिवपाल यादव, अपना दल की कृष्णा पटेल, जन अधिकार पार्टी के बाबू सिंह कुशवाहा, एआईएमआईएम के ओवैसी, पीस पार्टी के अयूब खान, राष्ट्रीय उदय पार्टी के बाबू राम पाल, जनता क्रांति पार्टी के अनिल सिंह चौहान, राष्ट्रीय उपेक्षित पार्टी के प्रेमचंद प्रजापति, भारतीय वंचित समाज पार्टी के रामकरण कश्यप समेत कई क्षेत्रीय दल हैं।

जाती के आधार पर होगा फायदा

इन दलों के साथ आने के बाद जाती के आधार पर फायदा होना तय है। यूपी में राजभर समाज का वोटबैंक करीब 1.31 फीसदी है, जो ओम प्रकाश राजभर के साथ बड़ी संख्या में है। सपा के साथ पूर्वांचल के दो दिग्गज राम अचल राजभर और दिवंगत सुखदेव राजभर के बेटे पप्पू भी आ गए हैं। इससे भी सपा को फायदा होगा।

इसके अलावा पूर्वांचल में मुस्लिमों की आबादी काफी अच्छी है। वोट बैंक के आधार पर देखें तो करीब 20 फीसदी हैं। ओवैसी और अयूब इस गठबंधन का हिस्सा हैं। वहीं मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह भी सपा का दामन थामकर संकेत दे चुके हैं पूरा अंसारी परिवार अखिलेश के पाले में है। अंसारी परिवार का राजनैतिक रसूख किसी से छिपा नहीं है, वो भी खासकर पूर्वांचल में।

कुशवाहा, पाल,बप्रजापति और कश्यप मिलकर बनाते 10 फीसदी वोट

बाबू सिंह कुशवाहा करीब 4.85 फीसदी वोटबैंक का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि इस समाज के कई नेता सपा के पास पहले से ही हैं। यूपी में प्रजापति समाज का वोट बैंक करीब 1.84 फीसदी है और इस समाज से आने वाले प्रेमचंद भी मोर्चा का हिस्सा हैं।

पाल समाज की संख्या करीब 1.89 फीसदी है और बाबू राम पाल मोर्चा में हैं। कश्यप समाज की आबादी करीब 5 फीसदी है और मोर्चा में रामकरण कश्यप भी हैं। यह लोग अगर कुछ भी वोट प्रतिशत अपने साथ लाते हैं तो समीकरण बदलने में समय नहीं लगेगा।

अनुप्रिया की काट बन सकती कृष्णा पटेल

कुर्मी समाज जो कभी सपा की बड़ी ताकत हुआ करता था, लेकिन अब मौजूदा समय में बीजेपी के साथ है। उसकी मुख्य वजह अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल हैं। राजभर ने अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल को अपने साथ लाकर इसमें सेंध लगाने की कोशिश की है। ऐसे में इसका राजनीतिक लाभ सपा को मिल सकता है।

कुर्मी समाज की वोट बैंक के आधार पर करीब 4.1 फीसदी आबादी है। वहीं चौहान समाज की आबादी करीब 1.26 फीसदी है, जिसके नेता अनिल सिंह चौहान के रूप मोर्चा का हिस्सा हैं। हालांकि सपा के साथ डॉ. संजय सिंह चौहान पहले से ही हैं। यह समाज अब तक भाजपा के साथ खड़ा रहा है। इसके अलावा दूसरे समाज के भी कई नेता हैं।

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago