फिर उठा जाट आरक्षण का मुद्दा: चुनाव से पहले UP सहित 3 राज्यों में चलेगा आंदोलन

मेरठ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलन कर रहे किसानों को शांत करने के लिए तीन नए कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की है। अब जाट आरक्षण आंदोलन जोर पकड़ने लगा है। यूपी समेत पंजाब, उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव से पहले जाट समाज आरक्षण को लेकर बड़े आंदोलन करेगा।

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने हुंकार भरी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने मेरठ में मंगलवार को प्रेसवार्ता की। उन्होंने कहा कि वह पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को जाटों से किया गया पुराना वादा याद दिलाना चाहते हैं। समाज को OBC वर्ग का आरक्षण मिलना चाहिए। विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण पर निर्णय नहीं हाेता है तो जाट समाज बड़ा फैसला करेगा। इसका दुष्परिणाम 2022 के चुनाव में सरकार को उठाना पड़ सकता है।

3 राज्यों की 240 सीटों के नतीजों पर जाटों का प्रभाव

जाट समाज लगातार रेल रोको, पानी रोको आंदोलन के जरिए आवाज उठाता रहा है।

विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में जाट आरक्षण आंदोलन दोबारा पूरी ताकत से चलेगा। यशपाल मलिक ने कहा कि जाटों के आरक्षण के मुद्दे पर हम अब तक सरकार की सहमति का इंतजार कर रहे थे। अब जाट आंदोलन गांवों से शहरों तक पहुंचेगा। 1 दिसंबर से बड़ा जनजागरण अभियान चलेगा।

2022 में यूपी, उत्तराखंड और पंजाब में विधानसभा चुनाव हैं। 3 राज्यों की 240 सीटों पर जाटों का प्रभाव है। यूपी में 125, पंजाब में 100 और उत्तराखंड में ऐसी 15 सीटें हैं, जहां सीधे जाट वोट बैंक हार-जीत तय करता है।

1 दिसंबर को 125 सीटों पर जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाएंगे आवाज

मेरठ में जाट आरक्षण संघर्ष समिति की बैठक में पहुंचे राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक व अन्य जाट नेता। केंद्र में काली जैकेट में बैठे शख्स यशपाल मलिक हैं। उन्होंने आंदोलन की रूपरेखा मीडिया के सामने रखी।

जाट प्रभावित सभी 125 सीट पर 1 दिसंबर को सभी सांसद और विधायकों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। नवंबर के आखिरी सप्ताह में आंदोलन की रणनीति को आखिरी रूप दिया जाएगा। 1 दिसंबर से जाट आरक्षण अभियान 2021 उग्र रूप लेगा। यशपाल मलिक ने कहा कि जाटों के आरक्षण की मांग कोई नई नहीं है। 15 साल से आरक्षण के लिए रेल रोका, पानी रोका, धरने-प्रदर्शन किए।

एक झंडे के नीचे आएगी पूरी बिरादरी
आरक्षण के मुद्दे पर पूरा जाट समाज एक झंडे के नीचे आने को तैयार हो गया है। खाप, हिंदू, मुस्लिम जाट, जाट सिक्ख, बिश्नोई जाट सभी एक साथ आवाज बुलंद करेंगे। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के मुताबिक चुनाव से पहले सरकारें बड़े फैसले करती हैं, इसलिए हो सकता है कि जाट समाज की सुनवाई भी हो जाए।

जाट आरक्षण में अब तक ये हुआ

  • 2014 मार्च में 9 राज्यों को केंद्रीय स्तर की OBC लिस्ट में शामिल किया गया।
  • 2015 में इस लिस्ट को उच्चतम न्यायालय ने खत्म कर दिया।
  • 26 मार्च 2015 को पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने जाट समाज आरक्षण का आश्वासन दिया।
  • 8 फरवरी 2017 में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. वीरेंद्र सिंह के आवास पर वेस्ट यूपी के जाटों से संवाद कर आरक्षण का आश्वासन दिया था।
  • फरवरी 2017, यूपी चुनाव के वक्त 17 मार्च 2017 को हरियाणा के आंदोलन का समझौता करते समय फिर आरक्षण का वादा मिला।
  • 2019 लोकसभा चुनाव में गृहमंत्री शाह ने जाट आरक्षण की तोहफा देने का वादा किया।
  • 2018 मानसून सत्र में NCBC एक्ट को संवैधानिक दर्जा मिला, लेकिन जाट आरक्षण नहीं मिला।
  • जनवरी 2019 को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग तक मामला पहुंचा।
  • मानसून सत्र 2021 में NCBC एक्ट में संशोधन के जरिए आरक्षण का हक राज्यों को दिया गया। इसके अनुसार हरियाणा, पंजाब, जम्मू, कश्मीर, महाराष्ट्र व आंध्र प्रदेश का प्रदेश स्तर का आरक्षण राज्य सरकारों को देना है। जबकि यूपी, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल, मध्यप्रदेश, गुजरात, बिहार को केंद्रीय OBC सूची में शामिल करने का निर्णय केंद्र सरकार को करना है।
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