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भारतीय सेना सीमा पर पूरी तरह से मुस्तैद: सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे

नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने भारत-चीन सीमा पर लद्दाख और सिक्किम के वास्तविक नियंत्रण रेखा क्षेत्र में पिछले दिनों दोनों देशों के सैन्य कर्मियों के बीच मामूली झड़प के संबंध में कहा है कि सीमा रेखांकन के बारे में अलग-अलग नजरिये के कारण ऐसा होता है। भारत अपनी ओर से सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने भी इसी तरह का बयान देते हुए कहा है कि भारतीय सेना सीमा पर पूरी तरह से मुस्तैद है।

 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हाल ही में हुई घटनाओं के बारे में कहा कि कुल मिलाकर भारत-चीन सीमा पर शांति कायम है। कभी-कभी नियंत्रण रेखा के बारे में अलग-अलग नजरिया होने के कारण जमीन पर विशेष परिस्थिति पैदा हो जाती है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बारे में यदि दोनों का एक जैसा नजरिया हो तो ऐसी स्थिति को टाला जा सकता है। प्रवक्ता ने कहा कि जब भी सीमा पर कोई परिस्थिति पैदा होती है तो उसका समाधान करने के लिए दोनों देशों के बीच निश्चित प्रक्रिया मौजूद है। दोनों पक्षों के बीच सीमा बैठकों, फ्लैग मीटिंग, सीमा संबंधित विचार-विमर्श और समन्वय प्रणाली और कुठनीतिक जरिए से समाधान खोजा जाता है।

 

प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के बीच वुहान (चीन) और महाबलिपुरम (तमिलनाडु) में पिछले दो वर्षों के दौरान आयोजित अनौपचारिक शिखर वार्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि इन बातों में दोनों देशों ने सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति बनाए रखने को बहुत महत्वपूर्ण बताया था। दोनों नेताओं का मानना था कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए जरूरी है कि सीमा पर शांति बनी रहे। दोनों नेताओं ने अपने देश की सेनाओं को निर्देश दिया था कि वे विश्वास बहाली के लिए कायम उपायों को ईमानदारी से लागू करें। इन उपायों में दोनों देशों की सुरक्षा के बारे में सामान चिंता, वर्तमान संस्थागत उपायों को मजबूत करना और किसी घटनाक्रम को टालने के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान शामिल है। इसका परिणाम यह हुआ कि सीमा पर कुल मिलाकर शांति और सामान्य स्थिति बनी हुई है।

 

सेना अध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे ने सीमा के घटनाक्रम के बारे में गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में दोनों देशों के सैन्य कर्मियों के उग्र तेवर के कारण दो घटनाएं हुई थीं। इससे दोनों तरफ सैन्यकर्मियों को मामूली चोटें आई थीं। इसके तुरंत बाद दोनों पक्षों के बीच स्थानीय स्तर पर बातचीत हुई और तनातनी खत्म हुई। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच आमना-सामना होने की इस तरह की अस्थाई और अल्पकालीक घटनायें होती रहती हैं, जिनका कारण यह है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में दोनों पक्षों का अलग-अलग नजरिया है। सीमा के बारे में इस मसले का समाधान अभी नहीं हो पाया है।

 

सेना अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में हुई इन घटनाओं का आपस में कोई संबंध नहीं है। साथ ही इन घटनाओं का किसी स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय गतिविधि से भी कोई लेना-देना नहीं है। भारत-चीन सीमा पर सुरक्षा संबंधी आधारभूत ढांचे के संबंध में उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में विकास का काम तेजी से चल रहा है। कोविड-19 महामारी के कारण सीमा पर हमारी सेनाओं की मुस्तैदी पर कोई असर नहीं पड़ा है।

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