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औरैया भीषण सड़क हादसा होने के बाबजूद प्रशासन नहीं ले रहा सबक, फिर दोहराई गलती

औरैया। अपनी गलतियों से सबक लेने की बजाय औरैया का जिला प्रशासन रोज कोई न कोई बड़ी गलती करने से नहीं चूक रहा है। 11 मृत मजदूरों के शवों के साथ ही कई घायल प्रवासी मजदूरों को एक ही ट्रक पर बैठाकर झारखंड भेजने से पूरी सरकार की किरकिरी कराने वाले औरैया प्रशासन ने एक बड़ी गलती दुबारा कर दी है।
हरियाणा से अपने छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं के साथ आये तीन परिवारों को क्वारन्टीन के नाम पर पहले एक कॉलेज में रखा गया और बाद में देर रात उन्हें बिना किसी सुरक्षा और साधन के ही अपने घरों को पैदल ही भेज दिया गया। क्वारन्टीन सेंटर से देर रात निकाले गए बेबस मजदूर 30 से 60 किलोमीटर दूर अपने घरों को जाने के लिए सवारी खोजते नजर आए।
औरैया में 15/16 मई 2020 को हुए दर्दनाक हादसे के बाद यूपी की योगी सरकार एक्शन मूड में दिख रही है, सरकार द्वारा लगातार प्रसासन को निर्देशित किया जा रहा है कि मजदूरों के प्रति संवेदना रखते हुए उन्हें घरों तक भेजा जाए। लेकिन प्रशासन को सरकार के आदेशों का कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है।
गौरतलब है कि औरैया भीषण सड़क हादसे को लेकर योगी सरकार ने कई लापरवाह अफसरों को सस्पेंड किया था। सरकार लगातार प्रशासन को निर्देशित भी कर रही है कि मजदूरों को कतई सड़क पर प्रतिबंधित वाहनों से या पैदल नहीं चलने दिया जाए, मजदूरों को बसों से सुरक्षित घरों तक पहुंचाया जाए।
लेकिन औरैया प्रशासन का फिर भी लापरवाह रवैया देखने को मिल रहा है। ताजा मामला औरैया के बिधूना तहसील स्थित गयादीन महाविद्यालय में बने क्वारन्टीन सेंटर का है, जहां हरियाणा से लगभग एक दर्जन मजदूर अपने परिवार के साथ आये हुए थे। जिनको प्रशासन ने मेडिकल चेकअप के बाद क़्वारन्टीन कर दिया था, लेकिन जैसे ही रात हुई तो प्रशासन ने उन मजदूरों को वहां से निकाल दिया और पैदल ही घर जाने का आदेश दे दिया।
उसके बाद मजदूर परिवार की महिलाओं और अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ रात के अंधेरे में सड़कों पर अपने घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े। रात में अपने बच्चों और महिलाओं के साथ घर जाने के लिए बिधूना कस्बे के मुख्य चौराहे पर सवारी खोजने की तश्वीर वायरल होते ही प्रशासन के हाथ पैर फूल गए और अधिकारियों ने उन्हें खोजकर गाड़ी में बैठाकर उनके घरों को भेजा।
सवाल यह उठता है कि आखिरकार औरैया का जिला प्रशासन क्यों लापरवाही बरत रहा है। रात में मजदूरों को बिना किसी साधन के क्यों जाने दिया गया। क्या प्रशासन फिर किसी बड़ी घटना को आमंत्रित करना चाह रहा है। सीएम योगी की तमाम चेतावनी और निर्देशों को प्रशासन क्यों नजरअंदाज कर रहा है।
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