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लिपुलेख, कालापानी पर नेपाल का दावा फर्जी, भारत का अभिन्न हिस्सा है ये क्षेत्रः एसडीएम

पिथौरागढ़। चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद मित्र राष्ट्र नेपाल के सुर बदल गए हैं। नेपाल सरकार ने हाल ही में नया नक्शा जारी कर कालापानी और लिपुलेख को अपना क्षेत्र बताया है। मगर सच्चाई ये है कि ये इलाके पूरी तरह भारत का हिस्सा हैं। धारचूला तहसील के भीतर आने वाले ये दोनों इलाके 1962 के बंदोबस्त में भी भूमि अभिलेखों में दर्ज हैं। खतौनी के मुताबिक कालापानी से नाभीढांग तक नौ किलोमीटर का इलाका गर्बयांग गांव का तोक है।
करीब पांच हजार नाली के इस भू-भाग में 704 नाप खेत मौजूद हैं। वहीं नाभीढांग से लिपुलेख तक का इलाका गुंजी ग्राम सभा का हिस्सा है। ये इलाका गुंजी गांव की वन पंचायत की जमीन के बतौर दर्ज है। मौजूद दस्तावेज इस बात की तस्दीक करते हैं कि 1962 में हुए भूमि बंदोबस्त से पहले ही ये इलाके भारत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। धारचूला के एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला का कहना है कि कालापानी और लिपुलेख की जमीन भारत की है। स्थानीय लोगों के नाम ये जमीन दर्ज है। इसके साक्ष्य भी उपलब्ध हैं।
नेपाल के दावे से सीमांत के लोगों में नाराजगीः लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताने के नेपाल सरकार के दावे को लेकर सीमांत के लोगों में नाराजगी है।  कल्याण संस्था के पूर्व अध्यक्ष और गर्ब्यांग गांव निवासी कृष्णा गर्ब्याल का कहना है कि नेपाल स्थित माउंट अपि, तिपिल छ्यक्त, छिरे, शिमाकल इत्यादि स्थल भी गर्ब्यालों की नाप भूमि है। सीमा के बंटवारे के बाद काली नदी पार की भूमि गर्ब्यालों ने छोड़ दी थी।
नेपाल की रणनीतिः चीन और नेपाल से सटे भारतीय क्षेत्र कालापानी और लिपुलेख पर नेपाल पूर्व में भी अपना दावा जताता रहा है। चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद मित्र राष्ट्र नेपाल के तेवर उग्र हैं। कालापानी और लिपुलेख पर दावा जताते हुए नेपाल में प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके साथ ही कालापानी में भारतीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नेपाल ने भारत को बिना जानकारी दिए छांगरु में बीओपी बना दी है। इसके साथ ही नेपाल अपने बॉर्डर इलाके में एक और बीओपी बनाने जा रहा है। जानकारी मिली है कि नेपाल इस इलाके को जल्द ही सैनिक छावनी में तब्दील करेगा। इस छावनी में 160 सैनिकों की तैनाती स्थाई तौर पर होनी है। यह छावनी इंटरनेशनल बॉर्डर से 12 किलोमीटर दूर स्थापित होगी। वहीं नेपाल ने हाल ही में नया नक्शा जारी कर भारतीय क्षेत्र कालापानी और छियालेख को अपना हिस्सा बता डाला है।
भारत-नेपाल सीमा विवाद पर किस देश ने क्या कहा?
भारतीय क्षेत्र में नेपाल के दावे के बाद भारतीय सेना प्रमुख ने कहा था कि ऐसा लगता है कि नेपाल किसी तीसरे पक्ष के इशारे पर लिपुलेख और कालापानी का मुद्दा उठा रहा है। वहीं नेपाली प्रधानमंत्री ने भारत पर ‘सिंहमेव जयते’ का तंज कसा है। नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने कहा कि भारत के राजचिह्न में ‘सत्‍यमेव जयते’ लिखा हुआ है या ‘सिंहमेव जयते’। साथ ही नेपाली पीएम ने यह भी कहा कि उन्‍होंने किसी के दबाव में यह मुद्दा नहीं उठाया है। वहीं चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि यह मुद्दा भारत और नेपाल का आंतरिक विषय है। इसे दोनों देशों को शांतिपूर्वक निपटाना चाहिए।
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