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आंध्र प्रदेश: आवाज उठाना इस डाक्टर को पडा भारी, पहुंच गये मेंटल अस्पताल

हैदराबाद। अप्रैल माह में आंध्र प्रदेश सरकार पर प्रोटेक्टिव गियर और पीपीई किट्स मुहैया न कराने का आरोप लगाने वाले डॉ. सुधाकर राव एक बार फिर चर्चा में हैं। डॉक्टर सुधाकर राव को पुलिस ने मेंटल हास्पिटल भेज दिया है, जबकि उनका कहना है कि वह पूरी तरह फिट है। दरअसल यह पूरा मामला अब राजनीतिक रंग लेता दिख रहा है। विपक्ष में बैठी तेलुगूदेसम पार्टी ने आरोप लगाया है कि सरकार डॉक्टर से बदला ले रही है क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार पर सवाल उठाए थे।

सोशल मीडिया पर डॉक्टर सुधाकर राव की पिटाई का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें उनके शरीर के ऊपरी हिस्से पर कोई कपड़ा नहीं है। वीडियो में दिख रहा है कि एक पुलिस कॉन्स्टेबल उन्हें लात मारकर जमीन पर गिरा देता है। डॉक्टर सुधाकर के हाथ उनकी पीठ पर बंधे हुए थे और एक कॉन्स्टेबल उन्हें बुरी तरह से पीट रहा था। इसके बाद उन्हें पकड़कर एक ऑटोरिक्शा में डाल दिया गया और पुलिस स्टेशन ले जाया गया। इस दौरान तमाम लोग हैरानी के साथ यह सब देख रहे थे। डॉक्टर की पिटाई का इस वीडियो को लेकर विपक्षी पार्टियां और ऑनलाइन यूजर्स इसे लेकर सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।

कौन हैं डॉ. सुधाकर और क्या है विवाद

डॉ. सुधाकर राव, आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम जिले के नरसीपट्टनम क्षेत्रीय सरकारी हॉस्पिटल में बतौर एनेस्थियोलॉजिस्ट काम करते हैं। दो अप्रैल को नरसीपट्टनम में तीन कोरोना के केस सामने आए। इन लोगों को उसी हॉस्पिटल में लाया गया था जहां डॉ. सुधाकर काम करते थे।

उस दिन पुलिस अधिकारियों और स्थानीय नेताओं ने मीटिंग कर इस बात पर चर्चा की कि इन कोविड-19 मरीजों का इलाज किस तरह से किया जाना है। इस मीटिंग में सुधाकर ने प्रोटेक्टिव गियर के अभाव की बात उठाई और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उनके आरोप लगाने पर अधिकारियों ने उन्हें मीटिंग से बाहर कर दिया था।

इसके बाद भी सुधाकर चुप नहीं हुए। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था, “सरकार कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और स्टाफ को पर्याप्त संख्या में प्रोटेक्टिव गियर और पीपीई किट्स मुहैया नहीं करा रही है। हमें एक मास्क को 15 दिन तक इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है, उसके बाद ही हम दूसरा मास्क मांग सकते हैं। अपने जीवन को जोखिम में डालकर हम किस तरह से मरीजों का इलाज कर सकते हैं।”

उनकी इस टिप्पणी का वीडियो वायरल होते ही राज्य सरकार ने उनके आरोपों पर जांच के आदेश दे दिए और अनुशासनात्मक आधार पर डॉ. सुधाकर को सस्पेंड कर दिया। सरकार ने अपने बयान में कहा कि अगर कोई मसला था भी तो सुधाकर इसको उच्चाधिकारियों के सामने उठा सकते थे। उनके बयान ने स्वास्थकर्मियों के मनोबल को नुकसान पहुंचाया है।

हालांकि कुछ दिनों बाद सुधाकर ने अपनी गलती मानते हुए एक वीडियो संदेश के जरिए मुख्यमंत्री  जगन मोहन रेड्डी से माफी मांगते हुए अपना निलंबन खत्म करने का अनुरोध किया। फिलहाल सरकार ने उनके पक्ष में कोई आदेश जारी नहीं किया।

सुधाकर कैसे पहुंचे मेंटल अस्पताल ?

विशाखापट्टनम के पुलिस कमिश्नर आरके मीणा के मुताबिक शनिवार 16 मई को पुलिस कंट्रोल रूम को एक कॉल मिली थी, इसमें कहा गया था कि एक शख्स विशाखापट्टनम के अकय्यापालम इलाके में हाइवे पर हंगामा कर रहा है। पुलिस मौके पर पहुंची और यह सुनिश्चित किया कि यह शख्स नरसीपट्टनम सरकारी हॉस्पिटल के एक डॉक्टर हैं जो निलंबित चल रहे हैं।

पुलिस कमिश्नर के मुताबिक शराब के नशे में डॉक्टर सुधाकर राव हंगामा कर रहे थे। हंगामे के दौरान उन्होंने शराब की एक बोतल भी सड़क पर फेंक दी थी। उन्होंने लोगों को गालियां भी दीं। बाद में स्थानीय लोगों ने उन्हें पकड़ लिया और उनके हाथ बांध दिए और पुलिस को इत्तिला कर दी। आरके मीणा के मुताबिक , “डॉक्टर सुधाकर शराब के नशे में थे और उन्होंने पुलिस के साथ बुरा बर्ताव किया। उन्होंने एक कॉन्स्टेबल का मोबाइल छीन लिया और इसे फेंक दिया। डॉक्टर किसी मनोवैज्ञानिक समस्या से गुजर रहे हैं।

मीणा ने कहा कि पुलिस ने डॉक्टर सुधाकर को कस्टडी में ले लिया और उन्हें पुलिस स्टेशन शिफ्ट कर दिया ताकि नेशनल हाइवे पर किसी तरह की दिक्कत न पैदा हो। हमने मेडिकल जांच कराने के लिए उन्हें किंग जॉर्ज हॉस्पिटल भेजा था। डॉक्टरों की सलाह पर हमने उन्हें मेंटल केयर हॉस्पिटल भेज दिया है।”

दूसरी ओर, डॉक्टर का कहना है कि वह पूरी तरह से फिट हैं और वह सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनका निलंबन खत्म किया जाए ताकि वह काम पर वापस आ सकें।

पुलिस ने उनके खिलाफ हंगामा करने का केस दर्ज कर दिया है। हालांकि, सरकारी मेंटल केयर हॉस्पिटल के डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें दो हफ्ते के लिए निगरानी में रखे जाने की जरूरत है।

सुधाकर के मामले में विपक्ष ने उठाया सरकार पर सवाल

डॉ. सुधाकर की पिटाई वाले वीडियो के वायरल होने के बाद विशाखापट्टनम के पुलिस कमिश्नर आरके मीणा ने ऐलान किया कि डॉक्टर के साथ बेरहमी के साथ पेश आने वाले कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है और मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

हालांकि, यह पूरा मामला अब राजनीतिक रंग लेता दिख रहा है। विपक्ष में बैठी तेलुगूदेसम पार्टी आरोप लगा रही है कि सरकार डॉक्टर से बदला ले रही है क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार पर सवाल उठाए थे। पार्टी ने डॉक्टर के समर्थन में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का भी आयोजन किया है।

टीपीडी की महिला शाखा की नेता वंगलापुडी अनीता ने 18 मई को आंध्र प्रदेश के हाईकोर्ट को एक चि_ी लिखकर डॉक्टर सुधाकर राव के साथ पुलिस के बुरे बर्ताव की शिकायत की है।

कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेने की सहमति जताई है और इस मामले की सुनवाई 20 मई को होगी। कोर्ट ने 20 मई को डॉ. सुधाकर को कोर्ट में भी पेश करने के आदेश दिए हैं।

 

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