Categories: देश

व्यंग्य: इस राज में पेड़ काटना अधर्म नहीं है, राष्ट्रधर्म है!

अभी बड़ा दिलचस्प मामला आया सर्वोच्च न्यायालय के सामने। दिल्ली के संरक्षित वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की अनुमति देने का अधिकार यहां के उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री को नहीं है मगर मोदी राज में इससे क्या फर्क पड़ता है? मुख्यमंत्री जी को इन्होंने जेल भेज रखा है और पुख्ता इंतज़ाम किया है कि बंदा कभी बाहर न आए। अब उपराज्यपाल जी ही सबकुछ हैं। कहते हैं न कि अधिकार दिया नहीं जाता, लिया जाता है। तो उपराज्यपाल जी ने ले लिये है़ सारे अधिकार अपने कब्जे में। ऊपर से हरी झंडी है कि विपक्षी दल की चुनी हुई सरकार को जितना धूल में मिला सकते हो, मिलाओ। अपनी चलाओ और इसका पुरस्कार पाते जाओ।

तो कहानी यह है कि 3 फरवरी को दिल्ली के उप राज्यपाल यानी लाट साहब जी, रिज क्षेत्र में गये, जो संरक्षित वन क्षेत्र है। वहां केंद्र सरकार के अर्द्धसैनिक बलों के लिए एक हास्पिटल बन रहा है। यह भी पहेली है कि वहीं क्यों बन रहा है?  पेड़ उसके लिए भी काटे गए होंगे। जब अस्पताल बनेगा तो उसके लिए सड़क भी चौड़ी करनी होगी। सड़क चौड़ी करने के लिए भी पेड़ों का काटना जरूरी। तो सैकड़ों  पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी गई और एक झटके में उन्हें काट भी दिया गया। निरीह  पेड़ कट गए।

सत्तधारी तो आदमी की जबान नहीं समझते तो पेड़ की कैसे समझेंगे, जो इनकी जबान में बोलते नहीं? उन्हें तो लगता है, ये मरदूद पेड़ जहां देखो, विकास के रास्ते में दिक्कत बन खड़े हैं। 2047 में ‘विकसित भारत के ‘महान सपने’ के दुश्मन हैं। करो इनका खात्मा,चलाओ इन पर कुल्हाड़ी! पिछले दस साल का इतिहास और आज का वर्तमान यही है। तो साहब ,सैकड़ों  पेड़ फटाफट काट दिए गए। कटे हुए पेड़ लाश जैसे तो लगते नहीं तो किसी को गुस्सा भी नहीं आता।

दिल्ली सरकार की ओर से यह भी प्रदर्शन करना था कि कानून का तो हम भी पालन कर लिया करते हैं तो  पेड़ काटने के बाद इसकी अनुमति मांगी गई ।मामला अदालत में था। सुप्रीम कोर्ट में यह बात खुल गई कि पेड़ों को काटने के बाद पेड़ काटने की अनुमति मांगने की लीपापोती की जा रही है। तब सवाल उठा कि किसकी अनुमति से ये पेड़ बिना अनुमति के काट दिए गए? सरकार की ओर से सब मौन! बोले कौन, अपनी गर्दन फंसाए कौन?

सच यह था कि यह काम लाट साहब के आदेश से हुआ था‌। अदालत ने पूछा भी कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ( डीडीए) के उपाध्यक्ष जी यह बताएं कि लाट साहब उस क्षेत्र में 3 फरवरी को गए थे तो क्या  पेड़ काटने की अनुमति भी दे आए थे ? अब बेचारी डीडीए के उपाध्यक्ष जी की क्या हैसियत कि वे अपने आका और उनके भी आका के खिलाफ कुछ बोल दें यानी सच बोल दें? कह दें कि माई लार्ड सच यही है मगर हम सच कहने की हिम्मत नहीं कर सकते। हमें माफ करें।

अदालत से पिछली बार कहकर आए थे कि हम जांच समिति बैठाकर इसका पता करवाते हैं। अदालत ने कहा, चलो, यह भी करके देख लो। जांच समिति बैठी। जांच समिति भी क्या करे, कैसे कहे कि यह काम किस की इजाजत से हुआ है? इस बार अदालत के सामने मामला आया तो सरकारी वकील ने कहा कि मी लार्ड जांच अभी चल रही है, समय और दें। हम कागजात ढूंढ रहे हैं। जज साहब खुल कर न सही, मन ही मन मुस्कुराए होंगे कि बताइए  पेड़ कटवाने में आगे मगर किसकी इजाजत काटे, यह नहीं मालूम?

वैसे इस राज में  पेड़ काटना अधर्म नहीं है, राष्ट्रधर्म है। इस देश के विकास में दो ही सबसे बड़ी बाधाएं हैं एक तो विरोध के उठते स्वर और दूसरे पेड़। दोनों से मोदी छाप विकास को भयंकर खतरा है। करीब सात लाख हेक्टेयर जमीन से पेड़ काटे जा चुके हैं। दुनिया में प्रकृति के विनाश में हम दूसरे नंबर पर हैं। विरोध से तो निबटा ही जा रहा है रोज। संसद में भी और बाहर भी।अभी तक अरुंधति राय से बदला नहीं ले पाए थे तो उसकी भी शुरूआत कर दी गई है।

उन्होंने बारह वर्ष पहले जो कहा था, उससे सरकार के पेट में दर्द अब उठा है। आदमी के पेट में तो दर्द कभी भी उभर आता है मगर सरकार बहादुर जब चाहती है, तब उसके पेट में दर्द उठता है।खैर। हर साल करीब 31 लाख  पेड़ तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार काट दिए जाते हैं और कोई मूर्ख ही कहेगा कि हमारे यहां हर काम कानूनन ही होता है।

पेड़ों से इस सरकार से दुश्मनी कुख्यात है। तो आइए देश को बंजर बनाने में इस सरकार को पूरा -पूरा सहयोग हम भी दें और देशभक्ति का सबूत दें। और पौधा रोपण का नाटक भी करते रहें। आइए हम अपनी आनेवाली पीढ़ियों को एक ऐसा ‘ विकसित भारत ‘ दें, जहां बंजर ही बंजर हों, जहरीली हवा का विकास ही विकास हो। तब हर घर में  पेड़ का एक फोटो होगा, जिसकी पूजा भक्त लोग करके महामानव का अनंत काल तक स्मरण किया करेंगे।

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago