देवेंद्र फडणवीस बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, 5 दिसंबर को लेंगे शपथ

मुंबई। महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिविधियों के बीच बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है। भाजपा विधायक दल की बैठक में फडणवीस को सर्वसम्मति से नेता चुना गया, चंद्रकांत पाटिल ने रखा प्रस्ताव रखा। पंकजा मुंडे समेत सभी ने समर्थन किया।जिसके बाद उनके मुख्यमंत्री बनने की औपचारिक घोषणा कर दी गई।
भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि फडणवीस 5 दिसंबर को अपने दो डिप्टी सीएम के साथ शपथ लेंगे। महायुति के विधायकों की बैठक में भी इस फैसले पर सहमति बनी। इस अवसर पर भाजपा की ओर से केंद्रीय पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और विजय रुपाणी ने मुंबई पहुंचकर बैठक में हिस्सा लिया।

गौरतलब है कि बीते 12 दिनों से फडणवीस का नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे था। संघ और भाजपा नेतृत्व के लिए भी फडणवीस पहली पसंद माने जा रहे थे। फडणवीस, जो पहले भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, अपने प्रशासनिक अनुभव और भाजपा के प्रति निष्ठा के कारण पार्टी के लिए एक भरोसेमंद चेहरा बने हुए हैं।

शपथ ग्रहण समारोह के लिए तैयारियां तेज़ हो चुकी हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि नई सरकार राज्य की जनता की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है।

बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 132 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। महायुति की बात करें तो भाजपा ने 132, शिवसेना ने 57, एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं महाविकास अघाड़ी में शिवसेना (यूबीटी) ने 20, कांग्रेस ने 16, एनसीपी (शरद पवार) ने 10 सीट पर जीत दर्ज की थी।

देवेंद्र फडणवीस के ज्योतिषीय आंकलन के अनुसार, उनका नया कार्यकाल चुनौतियों और अवसरों का संयोजन रहेगा। उनकी कुंडली कर्क राशि और कुंभ लग्न की है। वर्तमान में वे शनि की साढ़ेसाती के दूसरे चरण से गुजर रहे हैं, जो जीवन में दबाव, विरोध, और बड़ी जिम्मेदारियां लेकर आता है। हालांकि, शनि उनके दसवें भाव में स्थित है, जो नेतृत्व और सार्वजनिक समर्थन को बढ़ावा देता है।
बृहस्पति का प्रभाव : फडणवीस की कुंडली में बृहस्पति चौथे भाव में स्थित है, जो जनता से संबंधों और निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करता है। यह उनकी लोकप्रियता और प्रशासनिक दक्षता में सहायक होगा। उनके कार्यकाल में नीतिगत सुधार और सामाजिक कल्याण के कदमों की संभावना अधिक है।

शनि का समर्थन : शनि का दसवें भाव में होना उनके नेतृत्व को मजबूती देगा। यह उनकी कार्यकुशलता को बढ़ावा देता है और कठिन समय में भी सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।

साढ़ेसाती का प्रभाव : शनि की साढ़ेसाती के दौरान दबाव और अप्रत्याशित समस्याएं आम होती हैं। यह समय आलोचना, राजनीतिक विरोध, और व्यक्तिगत स्तर पर तनाव का कारण बन सकता है।

नीतिगत निर्णयों में सावधानी : शनि की दृष्टि उनके निर्णयों में विलंब या विरोध का संकेत देती है। उन्हें अपने विरोधियों के साथ-साथ जनता की अपेक्षाओं को संभालने में सतर्कता बरतनी होगी।

यह कार्यकाल उनके लिए व्यक्तिगत और राजनीतिक विकास का अवसर होगा। कठिनाइयों के बावजूद, अगर वे शनि के प्रभाव को समझदारी से संभालते हैं और बृहस्पति के सकारात्मक प्रभाव का लाभ उठाते हैं, तो यह अवधि उनके लिए बड़ी उपलब्धियां ला सकती है। उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में नीतिगत सुधार और विकासात्मक योजनाओं की गति बढ़ सकती है।

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