नई दिल्ली। दिल्ली के आसमान पर छाए घने कोहरे का उड़ान सेवाओं पर जबरदस्त असर पड़ा। शुक्रवार देर रात से शुरू हुआ यह असर शनिवार पूरे दिन नजर आया। आलम यह रहा कि विभिन्न दिशाओं से दिल्ली आने वाली कई उड़ानों को अलग-अलग जगह डाइवर्ट करना पड़ा। वहीं, प्रस्थान (एयरपोर्ट से उड़ने वाली फ्लाइट) से जुड़ी कई उड़ानें या तो रद करनी पड़ी या फिर उनके प्रस्थान में घंटों की देरी हुई।
कुल विलंबित उड़ानों की बात करें तो यह संख्या करीब 500 है। इनमें करीब 300 उड़ानें प्रस्थान से जुड़ी हैं। करीब 200 उड़ानें ऐसी हैं, जो निर्धारित समय से एक घंटे से अधिक की देरी से रवाना हुई।
आलम यह रहा कि शनिवार को आईजीआई एयरपोर्ट (IGI Airport Delhi) के बे एरिया में विमानों को खड़े होने की जगह नहीं मिल रही थी। टैक्सी-वे से बे एरिया पहुंचने के लिए विमानों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ा रहा था।
शुक्रवार देर रात से विमानों का डाइवर्जन शुरू हुआ तो यह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। रात 12:15 बजे से 1:30 बजे के बीच एक के बाद एक कुल 19 उड़ानों को डाइवर्ट किया गया। जिन स्थानों पर उड़ानों को डाइवर्ट किया गया, उनमें मुंबई, जयपुर, अहमदाबाद व भोपाल शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की बात करें तो लंदन व पेरिस से आ रही दोनों उड़ानों को डाइवर्ट कर मुंबई में उतरने का निर्देश दिया गया। डाइवर्ट की गई कुल उड़ानों में 13 घरेलू, चार अंतरराष्ट्रीय व दो नान शेडयूल उड़ानें थीं।
खराब दृश्यता के बीच 45 उड़ानों को रद करना पड़ा। इनमें कुछ ऐसी भी उड़ानें हैं जो अलग-अलग जगहों से दिल्ली पहुंचने के बाद यहां से रवाना होती हैं। जहां से इन्हें दिल्ली पहुंचना था, वहां मौसम से जुड़े खराब हालात के कारण ये दिल्ली पहुंची ही नहीं, इसलिए इन्हें रद करना पड़ा।
जिन जगहों की उड़ानों को रद करना पड़ा, उनमें अमृतसर, पटना, श्रीनगर, चेन्नई, कोलकाता, उदयपुर, लेह, दरभंगा, वाराणसी, रांची, भोपाल, कानपुर, सिलीगुड़ी, हैदराबाद, उदयपुर, गया, अमृतसर, मुंबई, गुवाहाटी, पुणे, गोरखपुर, जम्मू सहित अनेक स्थान शामिल हैं।
डाइवर्ट व रद उड़ानों के बीच करीब 500 उड़ानें विलंबित रही। इनमें करीब 300 उड़ानें प्रस्थान से जुड़ी रहीं। प्रस्थान की करीब 200 उड़ानें ऐसी थी, जिनमें एक घंटे से अधिक की देरी हुई। एक अनुमान के अनुसार आईजीआई से प्रस्थान से जुड़ी कुल विमानों में विलंब का औसत करीब आधा घंटा का रहा। प्रस्थान की आधी से अधिक करीब 65 प्रतिशत उड़ानें तय समय से विलंबित रहीं।
खराब दृश्यता का असर उड़ानों पर पड़ने की आशंका से तमाम एयरलाइंस पहले से अवगत थीं। इसे देखते हुए देर रात से यात्रियों के लिए सभी एडवाइजरी जारी करने में जुटे रहे। इंडिगो व स्पाइसजेट ने अपने यात्रियों को कहा कि उत्तर व पूर्वी भारत के कई शहरों में दृश्यता का स्तर काफी खराब है। ऐसे में उड़ानों पर असर पड़ेगा। यात्रियों से आग्रह है कि वे एयरपोर्ट रवाना होने से पहले एक बार एयरलाइंस से उड़ान के प्रस्थान के समय की जानकारी लेते रहें।
डायल (दिल्ली अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट लिमिटेड, DIAL) अपने एक्स हैंडल पर यात्रियों को बताता रहा कि रनवे पर दृश्यता काफी कम है। कम दृश्यता से निपटने के लिए एयरपोर्ट पर लो विजिबिलिटी प्रोटोकॉल लागू रहा। इस प्रोटोकॉल का लाभ उठाने के लिए जो पायलट प्रशिक्षित हैं, उनपर कोहरे का कोई असर नहीं हो रहा है। वे कम दृश्यता में भी उड़ान के लिए सक्षम हैं। लेकिन ऐसे पायलट जो प्रशिक्षित नहीं हैं, उन्हें दिक्कत होगी।
इस प्रक्रिया के तहत एयरपोर्ट पर कम दृश्यता में उड़ानों के संचालन के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। जब तक इस प्रक्रिया का पालन किया जाता है तब तक न सिर्फ रनवे बल्कि टैक्सी वे पर भी विशेष इंतजाम कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि पायलट को सबकुछ साफ साफ नजर आए। बावजूद यदि पायलट को कोई दिक्कत होती है तो एटीसी से वह मदद ले सकते हैं।
इस दौरान न सिर्फ एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर) बल्कि इंन्फॉर्मेशन टावर सुपरवाइजर, एप्रोच राडार कंट्रोलर, कम्यूनिकेशन टेक्निकल सुपरवाइजर, अग्निशमन केंद्र सभी सतर्क रहते हैं। एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार इस स्थिति की जरूरत तब पड़ती है जब रनवे पर दृश्यता का स्तर न्यूनतम 50 मीटर या इससे कम हो।
डायल सूत्रों का कहना है कि कम दृश्यता से निपटने के लिए आईजीआई एयरपोर्ट पर जितने जरूरी संसाधन होने चाहिए, वे सभी मौजूद हैं। किसी भी एयरपोर्ट पर दृश्यता को लेकर बदतर स्थिति को कैटेगरी 3 की संज्ञा दी जाती है। हालांकि कम दृश्यता को लेकर दो और कैटेगरी 1 व 2 हैं, लेकिन वे कैटेगरी 3 के मुकाबले कम खराब हैं। कैटेगरी 3 में भी कई श्रेणियां हैं।
डायल सूत्रों का कहना है कि एयरपोर्ट कैटेगरी 1 से 3 तक की स्थिति से निपटने में सक्षम है। लेकिन समस्या यह है कि कैटेगरी 3 वाली स्थिति में पायलट को भी विशेष दक्ष होना चाहिए। इसके लिए पायलट को विशेष प्रशिक्षण लेना पड़ता है। यह प्रशिक्षण महंगा होता है। इस कारण इसका प्रशिक्षण चुनिंदा पायलट ही ले पाते हैं।
कोहरे के कारण दृश्यता जब शून्य से 50 मीटर के बीच हो तो उसे बहुत घना, 51 मीटर से और 200 मीटर के बीच हो तो उसे घना, 201मीटर से 500 मीटर के बीच हो तो उसे मध्यम और 500 मीटर से 1000 के बीच हो तो उसे हल्का कोहरा कहते हैं।
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