महाराष्ट्र से आये खाली हाथ, अब पेट भरने को चलायेंगे फावड़े

हमीरपुर। महाराष्ट्र से लॉक डाउन के बीच गांव लौटकर आये प्रवासी कामगारों में इन दिनों मजदूरी के लिये जद्दोजहद मची है। महाराष्ट्र के कुर्ला रेलवे स्टेशन में ट्रेनों की बोगियों की सफाई कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले ये प्रवासी कामगार एकांतवास से बाहर आते ही हाथों में फावड़े थामेंगे। इनमें कई मजदूर ऐसे भी है जो महाराष्ट्र से केवल दर्द लेकर ही लौटे है। मकान मालिक भी जालिम निकला जिसने इन प्रवासियों की मजबूरी का फायदा उठाते हुये सामान रखवा लिया और किराया भी वसूलने के बाद सभी को घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
हमीरपुर जनपद के कुरारा थाना क्षेत्र के झलोखर गांव निवासी राम प्रताप प्रजापति व उसका पुत्र लोकेश कुमार अपने गांव के ही दर्जनों लोगों के साथ रोजगार के लिये कई साल पहले महाराष्ट्र गया था।  महाराष्ट्र के कुर्ला रेलवे स्टेशन में ये लोग रेलवे में क्लीनिंग का कार्य करते थे। जहां गाडिय़ां लगती थी वहां इन लोगों को गाडिय़ों की सफाई कर स्वच्छ करके आगे भेजने का काम करना पड़ता था। इस काम के लिये ठेकेदार के माध्यम से हर महीने 18 हजार रुपये की पगार मिली थी।
कोरोना वायरस महामारी फैलने से पूरा देश लॉक डाउन हो गया तो ये प्रवासी कामगार घर बैठ गये। इसी तरह से झलोखर गांव का रामफल भी महाराष्ट्र के कुर्ला रेलवे स्टेशन पर ठेकेदार के माध्यम से रेलवे की चादर की सफाई करता था। इसके एवज में उसे अठारह हजार रुपये हर माह मिलते थे लेकिन लॉक डाउन होते ही ये काम भी बंद हो गया। जिसके कारण अपने घर लौटना पड़ा। प्रवासियों ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान सरकार की तरफ से यूपी के मजदूरों के साथ कोई हमदर्दी नहीं की गयी है। खाने पीने का सामान खत्म होने के बाद कई दिनों तक भूखे रहना पड़ा। वहां इंसानियत नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। इससे अच्छा तो हमारा उत्तर प्रदेश है। जहां लोग गरीबों की मदद करते है।
घर में भूखे रहना गवारा लेकिन अब दोबारा नहीं जायेंगे परदेश
झलोखर गांव निवासी रावेन्द्र कुमार पुत्र रामबालक महाराष्ट्र में इंडिको लोडर कम्पनी में 22 हजार रुपये की पगार पर सामान उतारने और लादने का काम करता था। लॉक डाउन के बीच ये वहां से अपमानित होकर यहां लौट आया है। ये अपने ही घर में एकांतवास पर है। इसका कहना है कि मकान मालिक ने किराया न होने पर घर से भगा दिया। खाने पीने के भी लाले पड़ गये थे इसलिये वहां से घर लौटना पड़ा। इसने अपनी पीड़ा सुनाते हुये बताया कि अब यहां घर में भले ही एक वक्त का खाना क्यों न मिले लेकिन दोबारा काम के लिये कभी बाहर नहीं जायेंगे। क्योंकि परदेश में कोई भी अपना नहीं है। उसने बताया कि एकांतवास के बाद गांव में यदि मनरेगा के तहत काम मिलेगा तो उसे किया जायेगा नहीं तो इधर उधर काम की तलाश की जायेगी।
मकान मालिक ने किराया वसूलने के बाद नहीं दिया सामान
प्रवासी रामप्रताप प्रजापति व लोकेश कुमार ने शनिवार को बताया कि लॉक डाउन में जो पैसा था वह धीरे-धीरे खत्म होने लगा। किसी तरह से घर से भागने का प्लान बनाया तो उससे पहले ही मकान मालिक किराया वसूलने को दीवाल बनकर खड़ा हो गया। 16 हजार रुपये किराया जबरदस्ती वसूला फिर सामान कमरे में ही रखवाकर वहां से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। प्रवासियों ने आरोप लगाया कि मकान मालिक ने एक माह का अधिक किराया भी ले रखा है। उसने सामान भी वापस नहीं दिया है। गांव के ही मिथलेश कुमार, शिवमंगल, अमित कुमार, संतोष कुमार, रामकिशुन, राजेन्द्र प्रसाद आदि समेत अन्य प्रवासियों ने बताया कि वहां की सरकार ने भी प्रवासियों के लिये कोई इंतजाम नहीं किया जिससे बड़ी संख्या में प्रवासियों को भूखा रहना पड़ा है।
एकांतवास खत्म होते ही प्रवासियों को मिलेगा काम
गांव की निगरानी समिति के सत्येन्द्र अग्रवाल ने बताया कि महाराष्ट्र से आये प्रवासियों को एकांतवास पर रखा गया है। ये लोग अपने ही घरों में अलग रहते है। सभी लोग एकांतवास पर दो गज की दूरी का पालन भी कर रहे है। लेकिन इनमें परिवार पालने के लिये चिंतायें व्याप्त है। गांव के सरपंच सत्यनारायण सोनकर ने बताया कि जो मजदूर और कामगार बाहर से लौटकर गांव आये है उन्हें एकांतवास खत्म होते ही मनरेगा के तहत काम दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि किसी को भी भूखा रहने नहीं दिया जायेगा। उनके हाथों को जब काम मिलेगा तो ये लोग दोबारा गांव से बाहर नहीं जायेंगे। कुरारा ब्लाक के बीडीओ राम सिंह ने बताया कि बाहर से आने वाले सभी प्रवासियों के लिये मनरेगा के तहत 38 ग्राम पंचायतों में काम शुरू कराये गये है। सभी को काम मिलेगा।
admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago