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कटाक्ष टिप्पणी..पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के परिजनों…

पहलगाम हमला : बहुत खुशी हुई 

पहलगाम हमले में हमारे 27 परिजन मारे गए यह दुख की घड़ी है बावजूद थोड़ी खुशी भी है। खुशी इस बात की है कि आतंकवादियों की फांसी रोकने के लिए आधी रात को पजामा पहनकर सुप्रीम कोर्ट के बेंच में बैठने वाले मीलार्ड इस हमले में बच गये। अगर वह भी कश्मीर घूमने गए होते तो आतंकवादी उसका भी पजामा उतार कर उन्हे भी गोली मारे होते। वे बच गए, ताकि अन्य आतंकवादियों के साथ भी न्याय हो सके। इस बात की खुशी है। उस आधी रात में जज के सामने आतंकवादियों की पैरवी करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण, आनंद ग्रोवर, वृंदा ग्रोवर, इंदिरा जयसिंह आदि भी बच गए। नहीं तो पहलगाम ने आतंकवादी उनका भी निकर उतार कर उन्हें भी गोलियों से छलनी कर दिए होते।

वह भी बच गए ताकि दूसरे आतंकवादियों को पैरवी करने वाले मिल पाए। इस बात की खुशी है। इस हमले में फिल्म का नचनिया शत्रुघ्न सिन्हा भी बच गया। इस बात की भी खुशी है। यह वही शख्स है जिसने याकूब मेनन की फांसी रुकवाने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। पहलगाम हमले में राम जेठमलानी भी बच गया और कांग्रेस का नेता मणि शंकर अय्यर भी। इन दोनों ने भी राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मेनन की फांसी रोकने का आग्रह किया था। ऐसे में खुशी है कि इन लोगों की भी जान बच गई नहीं तो इनका भी पैंट उतरवा कर आतंकवादी गोली मार दिए होते। इन लोगों की पत्नी भी विधवा होने से और बच्चे अनाथ होने से बच गए। इस बात की खुशी है।

उत्तर प्रदेश में सिलसिलेवार बम धमाके के आरोपितों का मामला कोर्ट से वापस लेने का प्रयास करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव भी कल पहलगाम में नहीं थे। इसलिए इनकी भी जान बच गई। नहीं तो आज उत्तर प्रदेश में राजकीय शोक की घोषणा हो गई होती। इस बात की खुशी है। मानवाधिकार के नाम पर आतंकवादियों की पैरवी करने वाले प्रकाश करात, वृंदा करात, नसरुद्दीन शाह महेश भट्ट, पूर्व जज जस्टिस पानाचंद जैन, पीवी सावंत जैसे लोग भी इस हमले में बाल बाल बच गए।

यह लोग भी कल पहलगाम नहीं जा सके थे। बता दूं कि यह वही महानुभाव है जिन्होंने याकूब मेनन की फांसी रुकवाने के लिए महामहिम को पत्र लिखा था। देश विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का वंशज तुषार गांधी दी इस हमले में बाल बाल बच गया। यह भी कल पहलगाम नहीं जा सका था। इसने भी आतंकवादी याकूब मेनन के पक्ष में पत्र जारी किया था। इसकी भी जान बच गई। इससे देश को आगे भी गांधीवाद की सीख मिलती रहेगी। इस बात की खुशी है। देश में आतंकवादियों के ऐसे कई रहनुमा है जिनकी जान इस हमले में बाल बाल बची है, इस बात की खुशी मुझे है। 

पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि और उनके परिजनों से क्षमा याचना।

                                       विनोद त्रिपाठी विक्रांत 

                                                धनबाद

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