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कांग्रेस और भाजपा के साथ मिलकर बसपा नहीं लड़ेगी कोई चुनाव: मायावती

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने प्रवासी कामगारों के पलायन और उनकी दुर्दशा को लेकर एक बार फिर कांग्रेस को सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने रविवार को कहा कि भाजपा सरकार भी कांग्रेस के पद्चिह्नों पर चल रही है। कांग्रेस पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस और भाजपा के साथ मिलकर कोई भी चुनाव नहीं लड़ने वाली है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जब प्रवासी मजदूरों की आड़ में भाजपा और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर घिनौनी राजनीति शुरू की, तब मुझे बोलना पड़ा। आज पूरे देश में प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के लिए जितनी भाजपा जिम्मेदार है उससे कहीं ज्यादा कांग्रेस जिम्मेदार है, क्योंकि देश और राज्यों में वह लम्बे समय तक सत्ता में रही। मायावती ने कहा कि इसलिए कांग्रेस अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए बसपा के बारे में ये तक कहने लगी है कि हमारी पार्टी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली है। इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है। हमारी पार्टी कांग्रेस और भाजपा के साथ मिलकर कोई भी चुनाव नहीं लड़ने वाली है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद केन्द्र और राज्यों में लम्बे समय तक कांग्रेस की सरकारें रहीं। उन्होंने दलितों, पिछड़ों, आदिवासी, किसानों और उच्च जाति के गरीबों के लिए कुछ नहीं किया। इस वजह से इन्हें रोजगार की तलाश में अपने क्षेत्रों से दूसरी जगह पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। वहां भी उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं हुआ। अगर वह आवाज उठाते थे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती थी। डॉ.भीमराव अम्बेडकर ने नेहरू सरकार में आरक्षण को पूरा करने की बात कही तो उनका विरोध होना शुरू हो गया। इसलिए उन्होंने कानून मंत्री पद से इस्तीफा दिया। इसी को लेकर उन्होंने कहा ​था कि संविधान में तो आरक्षण की व्यवस्था की गई है लेकिन इस वर्ग को अपने अधिकार के लिए सत्ता की चाबी अपने हाथ में लेनी होगी।
मायावती ने कहा कि इसी को लेकर बसपा का गठन किया गया। उत्तर प्रदेश में अपनी सरकारों में हमने इनका बड़े पैमाने पर पलायन रोकने का काम किया। रोजी-रोटी का साधन दिया। दूसरी सरकार की तरह सिर्फ बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया, बल्कि रोजगार देने का काम किया। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि लॉकडाउन के समय केन्द्र और राज्य सरकारों को श्रमिकों का​ विशेष ध्यान देना चाहिए था। लेकिन,सरकारों ने ऐसा नहीं किया। इसलिए जब मजूदरों के भूखे मरने की स्थिति हो गई, ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं मिली और मालिकों ने उन्हें काम से निकाल दिया तो वह पलायन करने को मजबूर हुए। उन्होंने सोचा कि जब मरना ही है तो बाहर क्यों न निकलें।
मायावती ने कहा कि लॉकडाउन में सभी पीड़ित हैं। लेकिन, प्रवासी कामगार ज्यादा पीड़ित हैं। लोग पैदल चलने को मजबूर हैं। जब हमने आवाज उठायी तब बसों और ट्रेन की व्यवस्था उनके लिए की गई। इन लोगों की दयनीय हालत के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल जिम्मेदार हैं। भाजपा सरकार व कांग्रेस ने मजदूरों की लगातार अनदेखी की है, जिसके कारण उन्हें रोजगार के लिए अलग-अलग शहरों में जाना पड़ा और अब लॉकडाउन के कारण वह भूखे-प्यासे सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं।
उन्होंने कहा कि मजदूरों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। अभी तक जहां मजदूर काम कर रहे थे उनसे काम ज्यादा लिया जाता था और वेतन कम दिया जाता था। भाजपा भी कम नहीं है। जितना ध्यान देना चाहिए था। अगर, उतना इन्होंने दिया होता तो प्रवासी कामगारों का पलायन नहीं होता।
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