रायपुर। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी का शुक्रवार को निधन हो गया। वे 74 साल के थे। 20 दिन में तीसरी बार दिल का दौरा पड़ने के बाद उनकी हालत गंभीर हो गई थी। डॉक्टरों ने 45 मिनट तक कोशिशें कीं, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। जोगी ने दोपहर 3 बजकर 30 मिनट पर आखिरी सांस ली। वे 2000 से 2003 के बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे।
बेटे अमित जोगी ने ट्वीट कर पिता अजीत के निधन की जानकारी दी। जोगी 9 मई से कोमा में थे। इमली का बीज गले में अटकने की वजह से उन्हें पहली बार दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद 27 की मई की रात भी उन्हें दिल का दौरा पड़ा। हालांकि, अगले ही दिन उनकी सेहत में थोड़ा सुधार देखा गया।
जब शुक्रवार को उन्हें दोबारा दिल का दौरा पड़ा तो रायपुर के श्रीनारायणा अस्पताल की ओर से एक मेडिकल बुलेटिन जारी किया गया। इसमें बताया गया कि जोगी परिवार की सहमति लेकर डॉक्टरों ने उन्हें एक विशेष इंजेक्शन लगाया है। यह बहुत ही रेयर किस्म का इंजेक्शन है। इसका इस्तेमाल छत्तीसगढ़ में बहुत कम हुआ है। जोगी के ब्रेन में कोई हलचल नहीं हो रही थी। शुक्रवार को तीसरी बार हार्ट अटैक आने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर यानी कार्डियो पल्मनरी रेस्यूसाईटेशन भी दिया। यह धड़कन रुक जाने की स्थिति में दिया जाता है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ex Chhattisgarh CM Ajit Jogi) इस दुनिया से चल बसे हैं, लेकिन उन्होंने राजनीति में ऐसी छाप छोड़ी है जो सदियों तक याद की जाती रहेगी। अजीत जोगी के पूरे जीवन के सफर में अनेकों ऐसे किस्से हैं जो किसी चौंकाते हैं। आदिवासी समाज से आने वाले अजीत जोगी गांव की गलियों में नंगे पांव पले बढ़े और मिशनरी की मदद से शिक्षा पूरी कर पहले इंजीनियरिंग फिर यूपीएससी की परीक्षा पास कर कलेक्टर बने। जोगी ने एक ही जिंदगी में इतने उतार-चढ़ाव देखे जिसपर पहली नजर में भरोसा करना मुश्किल लगता है। आइए उनसे जुड़े 3 ऐसे किस्सों पर नजर डालते हैं जिनसे उनकी जिंदगी को समझा जा सकता है।
यूं तो अजीत जोगी जनाधार वाले नेता नहीं माने जाते रहे, लेकिन कुछ समाज के बीच उनकी अच्छी पकड़ रही। इसकी बानगी 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान अखबारों में प्रकाशित एक रिपोर्ट से होती है। अजीत जोगी थे तो आदिवासी समाज से थे, लेकिन अनूसुचित श्रेणी में आने वाला सतनामी समाज भी उन्हें अपना नेता मानता था। उस दौर के अखबारों में एक खबर छपी थी कि अजीत जोगी पर बहस के चलते लड़का-लड़की की सगाई टूट गई थी। दरअसल, बात यह थी कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव हारने के बाद अजीत जोगी महासमुंद लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में थे। इस सीट पर उनके विपरीत बीजेपी के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल थे।
दोनों परिवारों के बीच सगाई की रस्म चल रही थी। भोजन का दौर चल रहा था। इसी दौरान लड़की पक्ष के लोगों ने नॉर्मल बातचीत में लड़के वालों से पूछ लिया कि इस बार के चुनाव में महासमुंद लोकसभा सीट से किसका पलड़ा भारी है। लड़के वालों ने कहा कि अजीत जोगी महासमुंद से चुनाव हार रहे हैं। यह बात लड़की वालों को नागवार गुजरी। देखते ही देखते बात इतनी बढ़ गई कि लड़की वालों ने कहा कि जो परिवार अजीत जोगी का विरोधी है वे उनके साथ रिश्ता नहीं करेंगे। गांव वालों के बीच-बचाव से दोनों परिवारों का झगड़ा तो टल गया, लेकिन सगाई टूट गई। हालांकि अजीत जोगी यह चुनाव जीत गए थे। दिलचस्प बात यह है कि इस लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अजीत जोगी की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें उनके शरीर के कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया था। दुर्घटना की वजह से अजीत जोगी प्रचार नहीं कर सके लेकिन फिर भी वह जीते थे।
इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट रहे, आईएएस बने
अजीत जोगी का पूरा नाम अजीत प्रमोद कुमार जोगी था। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पेंड्रा में 29 अप्रैल 1946 को उनका जन्म हुआ। वे बीई मैकेनिकल में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। फिर रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में वे 1967-68 में लेक्चरर रहे। बाद में वे आईएएस बने। 1974 से 1986 तकरीबन 12 साल तक सीधी, शहडोल, रायपुर और इंदौर में कलेक्टर रहे।
राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में आए
1986 में राजीव गांधी के कहने पर अजीत जोगी ने कलेक्टर की नौकरी छोड़ी और कांग्रेस से राजनीतिक सफर की शुरुआत की। अजीत जोगी 1986 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। इस दौरान कांग्रेस में वे अलग-अलग पदों पर काम करते रहे। 1998 में रायगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए।
2016 में उन्होंने नई पार्टी बनाई
2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य बना, तो अजीत जोगी पहले मुख्यमंत्री बने। वे 2003 तक सीएम रहे। 2016 में कांग्रेस से बगावत कर उन्होंने अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बना ली।
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