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किसानों के प्रति संवेदनशील होने की भाजपा से आशा करना अर्थहीन : अखिलेश

लखनऊ। चौधरी चरण सिंह ने केन्द्र में वित्तमंत्री के समय जो बजट लोकसभा में पेश किया था उसमें कृषि क्षेत्र, गांवों और किसानों की समृद्धि के लिए 70 प्रतिशत की व्यवस्था की थी। उसमें खेती, किसान और गांवों के विकास के लिए बजट में 75 प्रतिशत हिस्सा रखा गया था लेकिन भाजपा से यह आशा करना अर्थहीन है कि उनकी सरकार किसानों के हित के लिए कभी भी संवेदनशील होगी। ये बातें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कही। वे दोपहर बाद प्रदेश कार्यालय पर चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि पर उनके चित्र पर माल्यार्पण करने बाद बोल रहे थे।
अखिलेश ने कहा कि चौधरी चरण सिंह  ने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि को ताकत देने की नीतियों को लागू किया। चौधरी साहब ने सहकारी खेती का विरोध नागपुर के कांग्रेस अधिवेशन में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा था कि भारत के गांव और किसानों तथा छोटी जोत की कृषि के लिए सहकारी खेती की योजना अव्यवहारिक है।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व का भी गांवों से दूर-दूर तक कोई सम्बंध नहीं रहा। तभी तो कारपोरेट व्यवस्था को तरजीह देकर कोपरेटिव फार्मिंग की चर्चा शुरू की जा रही है। इसका दूरगामी दुष्परिणाम होगा कि किसानों के खेत भी कारपोरेट के जाल में फंस जायेंगे तथा किसान के खेत की जमीन का स्वामित्व खतरे में पड़ सकती है। भाजपा की योजना है कि कृषि कारपोरेट संस्थाओं के हवाले हो जाये। अब भाजपा की कुदृष्टि किसानों की खेती पर है।
अखिलेश यादव ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दुगुनी कैसे होगी। इस पर सरकार चर्चा करने के लिए भाजपा सरकार तैयार नहीं है। और तो और भाजपा की यह घोषणा कि फसल के उत्पादन लागत का डेढ गुना किसानों को दिया जायेगा का अमल आज तक नहीं हुआ। न्यूनतम समर्थन मूल्य तो कभी लागू ही नहीं हुआ।
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