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हांगकांग : भारत सहित आसियान देश तटस्थ रह कर भूमिका निभा सकते है?

लॉस एंजेल्स। हांगकांग चीन का अंदरूनी मामला है, तो बहुत मुमकिन है कि भारत सहित आसियान देश अमेरिका के पिछलग्गू बन कर नहीं, तटस्थ भूमिका निभा सकते हैं। चीन के एक देश दो प्रणाली के सिद्धांत को निरस्त करने और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम को मंज़ूरी देने के बाद अमेरिका ने अब खुले तौर पर हांगकांग की स्वायत्तता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 जुलाई, 1997 से पाँच साल पहले हांगकांग स्वायत्तता विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने की औपचारिकता पूरी करने के निर्देश दिए हैं।

अमेरिका ने इस से पाँच साल पहले यू एस ए–हांगकांग पोलिसी एक्ट के तहत व्यापार और कमर्शियल नियमों के अंतर्गत कस्टम फ़्री पोर्ट का निर्धारण किया था। अमेरिकी आयात पर कोई सीमा शुल्क नहीं है। एक फ़्री पोर्ट के नाते अमेरिका की हांगकांग में एक लाख से अधिक आयातक फ़र्में, 67 अरब डालर का अमेरिकी निवेश, 1400 अमेरिकी फ़र्में हैं, जबकि चीन, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और भारत सहित एक दर्जन से अधिक देशों का 115 अरब डालर का निवेश है।

विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक़ 190 देशों में हांगकांग तीसरा बड़ा स्वायतशासी शहर है, जहाँ अमेरिका, नीदरलैण्ड, जापान और भारत सहित देशों के व्यापारिक संबंध है। अमेरिका की पूरी कोशिश होगी कि उसके मित्र देश भी हांगकांग से नाता तोड़ लें। हांगकांग की स्वायत्तता ख़त्म करने और आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के अमेरिकी निर्णय का भारत साथ देगा, यह ज़रूरी नहीं है। भारत और हांगकांग के बीच वर्षों पुराने संबंध हैं। दोनों के बीच 20 से 22 अरब डालर के कारोबारी सम्बंध हैं।

सुबह ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जानसन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से फ़ोन पर बातचीत की। अमेरिकी घोषणा के बाद मित्र देशों में भारत सहित आसियान देश भी अमेरिका से सम्पर्क बनाए हुए हैं। यूरोपीय फ़ारेन पालिसी चीफ़ जोसेफ़ बोरल ने टिप्पणी की है कि चीन की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम पारित किए जाने का निर्णय कड़ा है, पर अन्तर्राष्ट्रीय मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए नहीं लिया गया है। उधर हांगकांग में छात्र-युवा आंदोलनकारी लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वायत्तता के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। पहले दिन 350 लोगों को हिरासत में ले लिया गया है।

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