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उप्र में 69,000 शिक्षक भर्ती फिर लटकी, हाई कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक, विपक्ष सरकार पर हमलावर

लखनऊ। प्रदेश में 69,000 शिक्षकों की भर्ती पर एक बार फिर तलवार लटकती नजर आ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार को भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। उत्तरमाला पर उठे विवाद के बाद कोर्ट ने रोक लगाने का आदेश दिया है। जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने यह आदेश दिया। यह आदेश तब आया जब आज से राज्य में काउंसलिंग प्रक्रिया चल रही थी।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं अभ्यर्थी विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करें। आपत्तियों को सरकार यूजीसी को प्रेषित करेगी। यूजीसी आपत्तियों का निस्तारण करेगी। मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी। इसके साथ ही 8 मई के बाद से सरकार द्वारा कराई गई सभी प्रक्रिया पर रोक लग गई है। इसमें उत्तरमाला, संशोधित उत्तरमाला, परिणाम, जिला विकल्प, जिला आवंटन, कॉउंसलिंग प्रक्रिया समेत सभी प्रक्रिया शून्य घोषित हो गई है।
इससे पहले सोमवार को हाईकोर्ट ने आंसर शीट विवाद में अंतरिम राहत के बिन्दु पर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने इस मामले में दाखिल रिषभ मिश्रा व अन्य समेत कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की।
इस दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने पक्ष रखा। वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए लगभग पांच घंटे चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने विवादित प्रश्नों को विशेषज्ञ समिति के समक्ष भेजने व चयन प्रक्रिया रोकने के बिन्दु पर आदेश सुरक्षित कर लिया।
काउंसलिंग के लिए विभिन्न केन्द्रों पर पहुंच गये थे अभ्यर्थी
प्रदेश में डेढ़ साल से इंतजार कर रहे अभ्यर्थी आज काउंसलिंग के लिए विभिन्न केन्द्रों पर पहुंच गये थे। उनका सरकारी अध्यापक बनने का सपना पूरा होने जा रहा था। बेसिक शिक्षा परिषद ने शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों की जिलेवार आवंटन की सूची मंगलवार को जारी कर दी थी। परिषद ने सभी 75 जनपदों के लिये 67,867 अभ्यर्थियों की चयन सूची को वेबसाइट पर डाल दिया था। इसके अलावा 1,133 एसटी अभ्यर्थी नहीं मिलने के चलते उनकी सीटें खाली रखी गई हैं। आज तीन जून से छह जून तक जिलों में अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग शुरू होनी थी।
लेकिन, कोर्ट के आदेश से मामला फिर लटक गया है। वहीं सफल अभ्यर्थियों के चेहरे कोर्ट के आदेश के बाद लटके नजर आये। कई लोगों ने कहा ​कि विवाद पहले ही सुलझा लेना चाहिए थे। लम्बे समय बाद अब जब सरकारी नौकरी मिलने का सपना पूरा हो रहा था, तो फिर इस पर ग्रहण लग गया। अब सरकार जल्दी से जल्दी मामले का समाधान करे, जिससे आगे देरी न हो।
विपक्ष ने सरकार की मंशा पर उठाये सवाल
उधर कोर्ट के आदेश के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत ने कहा कि भाजपा सरकार वास्तव में चाहती ही नहीं थी कि शिक्षक भर्ती के जरिए युवाओं को नौकरी मिले। वह नहीं चाहती कि उसके खजाने में आर्थिक बोझ पड़े और खजाना खाली हो। इसलिए जानबूझ कर लापरवाही की जा रही है। आंसर शीट का विवाद पहले ही सुलझा लेना चाहिये था। कोर्ट जाने वाले अभ्यर्थियों को पहले ही सन्तुष्ट किया जा सकता था। लेकिन, जानबूझकर ऐसा नहीं किया गया। सरकार समाधान ही नहीं करना चाहती।
सपा नेता अनुराग भदौरिया ने कहा कि सरकार चाहती ही नहीं है कि किसी को नौकरी मिल पाये। उसके नेता सिर्फ बातें करते हैं। अगर वास्तव में सरकार का मकसद युवाओं को नौकरी देने का होता तो प्रक्रिया का सही तरीके से पालन होता। पारदर्शी तरीके से काम होना चाहिए था। आंसर शीट पर विवाद इसी वजह से हो रहा है।
वहीं भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि जो लोग आरोप लगा रहे थे। उनके समय में कुछ नहीं हुआ। हमारी सरकार शुरुआत से ही संवेदनशील है। कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है। भर्ती प्रक्रिया पूरी की जायेगी।
आदेश का अध्ययन कर उच्च स्तरीय बैठक कर लेंगे उचित निर्णय-सतीश द्विवेदी
वहीं कोर्ट के फैसले को लेकर बेसिक शिक्षा, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.सतीश द्विवेदी ने कहा​ कि सरकार शिक्षकों की भर्ती को लेकर गम्भीर है। सरकार का उद्देश्य है कि स्कूलों में मानकों के मुताबिक शिक्षक उपलब्ध हों। इसीलिए काउंसलिंग निर्धारित प्रक्रिया के तहत आज से शुरू भी हो चुकी थी। शेड्यूल के मुताबिक कार्य किया जा रहा था।
उन्होंने कोर्ट में सरकार की कमजोर पैरवी को लेकर कहा कि आज का विषय अलग है। इसमें केवल कुछ प्रश्नों के उत्तर को लेकर आपत्ति थी। हमने लॉकडाउन के दौरान भी 69,000 लोगों को नौकरी देने का प्रयास किया। अब कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर उच्च स्तरीय बैठक कर उचित निर्णय किया जायेगा।
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