लखनऊ। लोहिया संस्थान में इलाज की गाड़ी बेपटरी है। 40 प्रतिशत बेड खाली पड़े हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की नसीहत के बाद भी ऑपरेशन वाले विभागों की दशा भी नहीं सुधर रही है।मुख्यमंत्री और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. रजनीश दुबे ने संस्थान की बदहाल व्यवस्था देखी थीं। समीक्षा बैठक में प्रमुख सचिव ने संस्थान के कामकाज व इलाज की व्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे।
लॉकडाउन में इमरजेंसी में सिर्फ तीन बेड ऑपरेशन होने पर नाराजगी जाहिर की थी। सेमी इमरजेंसी ऑपरेशन शून्य था। प्रमुख सचिव ने ऑपरेशन की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए थे। संस्थान के जनरल सर्जरी विभाग में 10 डॉक्टर तैनात हैं। इसके बावजूद ऑपरेशन की रफ्तार धीमी है। कोरोना मरीजों के इलाज की बदहाली से खफा शासन ने बुधवार को निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी को हटा दिया था।
मरीजों का छूट रहा पसीना
इमरजेंसी में मरीजों को अभी भी इलाज के धक्के खाने पड़ रहे हैं। कोरोना जांच के लिए मरीजों के पसीना छूट रहा है। होल्डिंग एरिया में मरीजों को जांच रिपोर्ट के अभाव में 12 घंटे से ज्यादा देर तक रखा जा रहा है। ट्रूनेट मशीन को लेकर भी सुस्ती है।
पैथोलॉजी, महिला रोग विभाग में सोशल डिस्टैंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। संस्थान में अफसरों की फौज है। इसके बावजूद मरीज भटक रहे हैं। डीन व पैथोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. नुजहत हुसैन ने गुरुवार को लोहिया की कार्यवाहक निदेशक पद का कार्यभार ग्रहण किया।
सुबह हॉस्पिटल ब्लॉक व कोविड हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। कोरोना जांच की क्षमता बढ़ाने के निर्देश दिए। अभी 1000 जांच हो रही हैं। इसे बढ़ाकर 1600 करने को कहा। पैरामेडिकल स्टाफ व कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। हॉस्पिटल ब्लॉक के प्रथम तल पर 20 बेड का आईसीयू बनकर तैयार है। इसमें 10 वेंटिलेटर लगाने की भी योजना है।