प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में वर्चुअल हियरिंग के आदेश को वापस ले लिया है। 4 जनवरी से वर्चुअल के साथ ही साथ मुकदमों की फिजिकल हियरिंग भी होगी। वर्चुअल हियरिंग का आदेश रविवार को रजिस्ट्रार जनरल ने जारी किया था। इस आदेश का अधिवक्ताओं और बार एसोसिएशन ने विरोध किया था। साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को ज्ञापन भी दिया था। इसके बाद सोमवार को यह आदेश बदल दिया गया। आदेश बदलने के बाद हजारों अधिवक्ताओं ने राहत की सांस ली है।
अधिवक्ताओं ने की थी 12.30 बजे से महापंचायत की घोषणा
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव उअर अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला ने इस आदेश का विरोध किया था। उन्होंने इसके विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के गेट नं 3 के पास 12.30 बजे से महापंचायत की घोषणा की थी। एडवोकेट अभिषेक शुक्ला का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने 2 जनवरी को आदेश दिया था। जिसमें कहा गया था कि 3 जनवरी से हाईकोर्ट में न्यायिक व्यवस्था सिर्फ वर्चुअल हियरिंग से ही चलेगी।
वर्चुअल हियरिंग का पहले भी हो चुका है विरोध
अभिषेक का कहना है कि ऐसी व्यवस्था न्याय के लिए ठीक नहीं है। इसीलिए इसके विरोध का निर्णय लिया गया था। इससे आम अधिवक्ताओं और आम वादकारी तक सुचारु और शुलभ न्याय पहुंचाना असंभव है। पिछले साल भी कोरोना की दूसरी लहर में केवल ऑनलाइन हियरिंग की व्यवस्था से ज्यादातर अधिवक्ता साथी वकालत छोड़कर अपने गांव लौटने को मजबूर हो गए थे।
यह लोकतंत्र में न्यायिक व्यवस्था के ऊपर बड़ा सवाल है। रजिस्ट्रार जनरल के आदेश से वकालत कर अजीविका चलाने वाले हजारों अधिवक्ताओं को फिर आर्थिक संकट से गुजरना पड़ेगा। यह संवैधानिक, अन्यायपूर्ण और अधिवक्ताओं के हितों के खिलाफ है। इसीलिए महापंचायत की घोषणा की गई थी।
चीफ जस्टिस का फैसला स्वागत योग्य
अब जबकि चीफ जस्टिस ने ऑनलाइन के साथ फिजिकल हियरिंग की भी व्यवस्था दे दी है, तो यह स्वागत योग्य है। अधिवक्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। एडवोकेट श्रवण त्रिपाठी ने कहा कि हाईकोर्ट में ऑनलाइन मोड के अलावा फिजिकल हियरिंग होने से सभी के लिए सहूलियत होगी। ऐसे अधिवक्ता, जो सुविधा संपन्न नहीं हैं या ग्रामीण क्षेत्रों से आकर वकालत करते हैं, उन्हें फिजिकल हियरिंग होने से कोई आर्थिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।