मनीष तिवारी आखिर क्यों सदस्यों की लिस्ट जारी करने की मांग कर रहे?

28 अगस्त 2022

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‘कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कोई भी नामांकन दाखिल कर सकेगा। केवल हमारी पार्टी में यह लोकतंत्र है।’

– जयराम रमेश, कांग्रेस नेता

31 अगस्त 2022

‘मतदाता सूची सार्वजनिक किए बिना निष्पक्ष चुनाव कैसे होगा? क्लब के चुनाव में भी ऐसा नहीं होता!’

– मनीष तिवारी, कांग्रेस नेता

पहले वाले बयान में जयराम रमेश ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को वोटिंग की घोषणा करते हुए ये बात कही, लेकिन 3 दिन बाद 31 अगस्त को कांग्रेस के ही नेता मनीष तिवारी ने चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठा दिए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में वोट करने वाले PCC सदस्यों की लिस्ट जारी करने की मांग की है।

ऐसे में आज हम एक्सप्लेनर में बताएंगे कि आखिर कौन कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकता है और कौन से लोग उन्हें चुनते हैं, मनीष तिवारी चुनाव की निष्पक्षता पर क्यों उठा रहे हैं सवाल…

सवाल: कांग्रेस का संगठन कैसा है, ये AICC और PCC क्या है?

जवाब : कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की राजनीति और प्रक्रिया जानने के लिए पार्टी के संगठन को जानना बेहद जरूरी है। मोटेतौर पर कांग्रेस का संगठन 5 स्तरीय है-

1. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी यानी AICC

2. कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी CWC

3. प्रदेश कांग्रेस कमेटी यानी PCC

4. डिस्ट्रिक्ट/सिटी कांग्रेस कमेटी

5. ब्लॉक कमेटी

इनमें सबसे निचले स्तर पर ब्लॉक कमेटी हैं। इनसे ऊपर जिला स्तर पर जिला कांग्रेस कमेटी हैं। इनसे ऊपर होती हैं प्रदेश कांग्रेस कमेटी PCC, यह प्रदेश स्तर का संगठन है।

कांग्रेस के संविधान के अनुच्छेद 11 के मुताबिक प्रत्येक ब्लॉक कांग्रेस कमेटी गोपनीय मतदान के जरिए PCC में अपना प्रतिनिधि यानी डेलिगेट भेजती है। ऐसे सभी डेलिगेट PCC के सदस्य होते हैं। इस समय कांग्रेस की सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों यानी PCC में 9 से 10 हजार सदस्य हैं।

कांग्रेस के संविधान के अनुच्छेद 13 के मुताबिक सभी PCC सदस्य खुद में से 1/8 सदस्यों को प्रपोशनल रिप्रजेंटेशन सिस्टम के सिंगल ट्रांसफरेबल वोट के जरिए चुनकर AICC में भेजते हैं। AICC कांग्रेस का राष्ट्रीय संगठन है, इसमें फिलहाल करीब 1500 सदस्य हैं। कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष AICC का भी प्रमुख होता है।

AICC और PCC के बीच कांग्रेस संगठन का एक खास हिस्सा CWC, यानी कांग्रेस वर्किंग कमेटी है। CWC में 25 सदस्य होते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष CWC का भी प्रमुख होता है। इसके अलावा कांग्रेस संसदीय दल का प्रमुख CWC का दूसरा पदेन सदस्य होता है। बची हुई 23 सीटों में 12 का चुनाव AICC के सदस्य करते हैं और बाकी 11 को कांग्रेस अध्यक्ष मनोनीत करते हैं।

फिलहाल पिछले कई सालों से AICC की ओर से चुनकर आने वाले 12 सदस्यों को भी कांग्रेस अध्यक्ष मनोनीत कर रहे हैं। साफ है, CWC पर पूरी तरह कांग्रेस अध्यक्ष हावी रहता है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा से लेकर चुनाव कराने में CWC की अहम भूमिका है।

कांग्रेस के मौजूदा हालात पर पार्टी की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले पार्टी नेताओं का ग्रुप 23 भी CWC की 12 सीटों पर भी चुनाव कराने की मांग करता रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कौन कराता है?

CWC कांग्रेस की टॉप एग्जीक्यूटिव बॉडी है। CWC ही कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा करती है। सबसे पहले वह चुनाव आयोग की तरह ही केंद्रीय चुनाव अथॉरिटी के सदस्यों की नियुक्ति करती है। इसमें 3 से 5 सदस्य होते हैं। इस वक्त कांग्रेस नेता मधुसूदन मिस्त्री इसके चेयरमैन हैं।

इसके बाद PCC के 10 सदस्य तय तारीख के भीतर अध्यक्ष पद के लिए किसी सदस्य का नाम रिटर्निंग ऑफिसर को सौंपते हैं।

किसी भी आम चुनाव की तरह कांग्रेस अध्यक्ष पद के सभी कैंडिडेट के नाम आने के बाद नामांकन वापस लेने के लिए 7 दिनों का समय दिया जाता है।

नाम वापसी के बाद बचे हुए कैंडिडेट के नाम स्टेट यूनिट यानी राज्य इकाइयों को भेजे जाते हैं। नाम वापसी के बाद यदि एक ही कैडिडेट रहता है तो उसे अध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है।

दूसरे सिनैरियो के तहत CWC कैंडिडेट की फाइनल लिस्ट प्रकाशित करने के 7 दिन बाद वोटिंग कराता है। यदि 2 से अधिक कैंडिडेट हैं तो वोटर्स को प्रिफरेंस के आधार पर बैलेट पेपर में दो नाम दर्ज करने होते हैं। इसके बाद स्टेट यूनिट बैलेट बॉक्स को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी यानी AICC के पास भेजती है।

फर्स्ट प्रिफरेंस के आधार पर यदि किसी कैंडिडेट को 50% से अधिक वोट मिलते हैं तो उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है।

वहीं मौजूदा अध्यक्ष की मौत या इस्तीफे की स्थिति में सीनियर मोस्ट जनरल सेक्रेटरी को अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा जाता है। यह नियुक्ति तब तक के लिए होती है जब तक कि CWC एक स्थायी अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर लेता।

आखिर मनीष तिवारी चुनाव की निष्पक्षता पर क्यों सवाल उठा रहे हैं?

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने PCC के 9,000 सदस्यों के नामों को सार्वजनिक करने की मांग की है। तिवारी ने आशंका जताई है कि अध्यक्ष पद के चुनाव में किसी कैंडिडेट का पर्चा इस बहाने से रद्द किया का सकता है कि प्रस्तावक सदस्य ही नहीं है।

मनीष तिवारी CWC के भी चुनाव की मांग कर रहे हैं। CWC में पार्टी अध्यक्ष, संसद में उसके नेता और 23 अन्य सदस्य शामिल होते हैं। इनमें से 12 AICC द्वारा चुने जाते हैं। वहीं बाकी सदस्यों को पार्टी अध्यक्ष नॉमिनेट करता है।

पिछले 50 सालों में सिर्फ 2 बार ही CWC का चुनाव हुआ है। इन दोनों ही मौकों पर नेहरू-गांधी परिवार से बाहर का शख्स सत्ता में था।

यानी अभी जो AICC के सदस्य भी CWC में हैं, उन्हें अध्यक्ष ने ही चुना है। यानी सभी सदस्य अध्यक्ष के करीबी हैं।

मनीष तिवारी की चिंता भी यही है। यानी चुनाव लड़ने की स्थिति में PCC सदस्यों को किसी खास को ही वोट देने के लिए कहा जा सकता है।

40 साल में सिर्फ 2 बार ही अध्यक्ष के लिए चुनाव हुए

देश की आजादी के बाद कांग्रेस के 70 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद पर गांधी-नेहरू परिवार ही हावी रहा है। पिछले 40 साल में अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ 2 बार ही चुनाव हुए हैं।

पिछला चुनाव साल 2000 में हुआ था, तब सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद ने चुनाव लड़ा था। इस दौरान सोनिया ने जितेंद्र को 7,448 वोटों से हराया था। जितेंद्र को चुनाव में मात्र 94 वोट मिले थे।

2000 में सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े जितेंद्र प्रसाद जब प्रचार के लिए भोपाल पहुंचे तो कांग्रेस कार्यालय ही बंद मिला। कई जगह उन्हें काले झंडे दिखाए गए।
2000 में सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े जितेंद्र प्रसाद जब प्रचार के लिए भोपाल पहुंचे तो कांग्रेस कार्यालय ही बंद मिला। कई जगह उन्हें काले झंडे दिखाए गए।

वहीं, 1997 में सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट को आसानी से हराया था। इस दौरान सीताराम केसरी को 6,224 वोट मिले थे, जबकि पवार को 882 और पायलट को 354 वोट ही मिल पाए थे।

साल 2000 के बाद से सोनिया और राहुल को कभी किसी चुनावी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।

इससे आप समझ सकते हैं कि संगठन में गांधी परिवार की पकड़ किस तरह से बनी हुई है। इसीलिए मनीष तिवारी संगठन में नए सिरे चुनाव कराने की बात कर रहे हैं, ताकि गांधी परिवार के करीबियों से इतर के लोग भी संगठन में आएं।

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