फिर से रार: LG ने दी वकीलों की नियुक्ति को मंजूरी, AAP ने कहा- SC जाएंगे

नई दिल्ली। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पॉक्सो के 20 मामलों की सुनवाई के लिए सीबीआई के वरिष्ठ सरकारी वकीलों को नियुक्त करने की अधिसूचना जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बृहस्पतिवार को राजनिवास के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। उधर आप सरकार ने आरोप लगाया कि एलजी ने निर्वाचित सरकार से बिना सलाह किए यह “अवैध” आदेश दिया है। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

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आप सरकार का कहना है कि एलजी ने न तो मंत्री और न ही मुख्यमंत्री को भरोसे में लिया। राजनिवास के एक अधिकारी ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार पिछले नौ महीनों से शहर की विभिन्न अदालतों में पॉक्सो के 20 मामलों के त्वरित निपटान के लिए सीबीआई के वरिष्ठ सरकारी वकीलों को नियुक्त करने के लिए ट्रायल कोर्ट के आदेश को दबाए बैठी है।

राजनिवास के अनुसार, “केजरीवाल सरकार की ओर से इस संदर्भ में निष्क्रियता और अस्पष्ट देरी से विवश होकर एलजी सक्सेना ने सीआरपीसी की धारा 24 (8) के तहत केंद्र सरकार की शक्ति को लागू करने और अधिसूचना जारी करने के लिए प्रस्ताव भेजने के लिए गृह मंत्रालय में वरिष्ठ वकीलों की नियुक्ति संबंधी गृह विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिए यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 32 के तहत दिल्ली सरकार द्वारा अधिसूचना की मांग करने वाली फ़ाइल को गृह विभाग द्वारा ट्रायल कोर्ट के एक निर्देश और बाद के पत्रों के बाद स्थानांतरित किया गया था।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी अगस्त और दिसंबर 2022 में इसे सुनिश्चित करेगी। ट्रायल कोर्ट द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किया गया था कि अधिनियम की धारा 35 के तहत परिकल्पित एक वर्ष की निर्धारित समयावधि के भीतर विभिन्न पाक्सो अदालतों में मुकदमे पूरे हों।

महीनों से पड़ी थी फाइल

राजनिवास के अधिकारी ने दावा किया कि वकीलों की नियुक्ति का प्रस्ताव इस साल जनवरी में गृह विभाग द्वारा लाया गया था और आठ मई, 2023 से मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास लंबित है। फाइल सबसे पहले 11 जनवरी 2023 को दिल्ली के गृह मंत्री उसके बाद 16 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री के पास पहुंची।

मुख्यमंत्री ने 06 फरवरी 2023 को प्रभारी मंत्री को फाइल वापस चिन्हित की और कानून मंत्री तक पहुंचने के बाद फ़ाइल निगरानी प्रणाली में एक अनिर्दिष्ट तारीख के जरिये इसे 08 मई 2023 को सीएम को वापस सौंप दिया गया। तब से यह फाइल ऐसे ही पड़ी है।

उधर सरकार के बयान में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली के लोग एलजी से “निराश” हो चुके हैं, जो “कानून और व्यवस्था बनाए रखने के बजाय बार-बार निर्वाचित सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं”। बयान में कहा गया है, “दिल्ली ने ऐसी नकारात्मक सोच वाले एलजी को कभी नहीं देखा। ऐसे समय में जब दिल्ली की महिलाएं असुरक्षित महसूस कर रही हैं और हमलों का सामना कर रही हैं, एलजी को शहर के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए अपनी ऊर्जा समर्पित करनी चाहिए।”

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