मुसाफिर हूं यारों: कुर्ग: हरियाली की चादर के बीच खूबसूरत झरने

कर्नाटक राज्य में स्थित कुर्ग, जिसे कोडगु के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण भारत के सबसे खूबसूरत हिल स्टेशनों में से एक है। वैसे यह जिले का नाम है, जिसका मुख्यालय छोटा-सा शहर मडिकेरे है। समुद्र तल से 1,525 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थल गर्मियों के लिए तो प्रसिद्ध है ही, मानसून में और तुरंत बाद भी यहां भ्रमण पर जाया जा सकता है। बारिश के दौरान यहां की वादियां हरीतिमा की और भी घनी चादर ओढ़ लेती हैं। यह अपने कॉफी के बागानों और शांत वातावरण के लिए भी मशहूर है।

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अगर आप मानसून के मौसम में यहां घूमने जा रहे हैं तो आपके लिए सबसे देखने लायक जगह है ‘अबे फॉल्स’। हरे-भरे जंगलों व बागानों के बीच स्थित यह झरना करीब 70 फीट की ऊंचाई से गिरता है तो इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। पानी की तेज धारा और उसके गिरने की आवाज आपको एक अलग ही अनुभव देती है। ‘अबे फॉल्स’ वैसे तो बारह महीनों ही देखने को मिल जाएगा, लेकिन मानसून के मौसम में इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है। इसी तरह इरुप्पु वाटर फॉल्स भी कुर्ग जिले के ब्रह्मगिरी पर्वत शृंखला पर स्थित एक अन्य खूबसूरत झरना है। इसे लक्ष्मण तीर्थ वाटरफॉल के नाम से भी जाना जाता है।

दुबारे एलीफेंट कैंप यह कुर्ग का सबसे शानदार आकर्षण है। यह कुर्ग जिला मुख्यालय मडिकेरे से करीब 28 किलोमीटर दूर स्थित है और आप यहां करीब एक घंटे में पहुंच सकते हैं। इस कैंप में आप हाथियों को नहला सकते हैं, उन्हें खाना खिला सकते हैं और उनके जीवन के बारे में और अधिक जान सकते हैं। कावेरी नदी के किनारे स्थित यह कैंप आपको कयाकिंग और रिवर राफ्टिंग जैसे साहसिक खेलों का भी मौका देता है। यहां सितंबर के बाद जाने पर अलग ही आनंद मिलता है।

तलाकावेरी यह कुर्ग जिले का एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक एवं धार्मिक स्थल है, जहां कावेरी नदी का उद्गम होता है। मडिकेरी से लगभग 45 किमी दूर यह स्थान ब्रह्मगिरि पहाड़ियों पर स्थित है और हर साल हजारों तीर्थयात्री यहां आते हैं। यहां तलाकावेरी नाम से ही एक पुराना मंदिर भी है, जिसकी काफी मान्यता है। इसका 15 साल पहले ही पुनरुद्धार किया गया था। तलाकावेरी से जुड़ी कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं भी हैं, जो इस स्थान को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। इसके अलावा यहां के प्राकृतिक दृश्य तो देखने लायक हैं ही।

राजा की सीट राजा की सीट भी यहां का एक प्रमुख डेस्टिनेशन है। यह दरअसल कुर्ग के राजा का प्रिय स्थान था, जहां से वे सूर्यास्त का आनंद लेते थे। यह स्थान आज भी सूर्यास्त के अपने मनोहारी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। यहां से आप घाटियों और पहाड़ियों के शानदार नजारे देख सकते हैं। जब सूर्य अस्त होता है तो आसमान रंग-बिरंगा हो जाता है। यह स्थान फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक आदर्श स्थल है। आप यहां से मडिकेरे फोर्ट भी देखने जा सकते हैं।

कैसे जाएं? कुर्ग के जिला मुख्यालय मडिकेरे तक जाने का एकमात्र तरीका सड़क मार्ग ही है। यहां रेल नेटवर्क नहीं है। कर्नाटक के तमाम बड़े शहरों से यहां के लिए बस और टैक्सी सेवाएं मिल जाती हैं। यहां का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन मैसूर में है, जो मडिकेरे से 120 किमी दूर है। निकटतम हवाई अड्‌डा मेंगलुरु में है, जो लगभग 160 किमी दूर है।​​​​​​​

कब जाएं? कुर्ग जाने का सबसे अच्छा मौसम सितंबर से जून तक का होता है। मानसून के बाद यहां की वादियां हरियाली से लद जाती हैं। वैसे अगर इस दौरान भारी बारिश हो रही है तो इसके पहाड़ी क्षेत्रों में जाने से बचा जाएं।

कहां ठहरें? जिला मुख्यालय मडिकेरी में सभी के बजट के हिसाब से होटल, होम स्टे और रिजॉर्ट मिल जाएंगे। यहां से आम तमाम जगहों का भ्रमण कर सकते हैं।

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