AIMPLB ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 की समीक्षा के लिए गठित की लीगल कमेटी

नई दिल्ली। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 की समीक्षा करने के लिए एक लीगल कमेटी का गठन किया है। देश में ज्ञानवापी मस्जिद और मुसलिम समुदाय के विभिन्न पवित्र स्थानों के प्रति सांप्रदायिक ताकतों के रवैये पर चर्चा करने के लिए मंगलवार रात बोर्ड की कार्य समिति ने एक आपातकालीन आनलाइन बैठक बुलाई गई। इस बैठक में तमाम मुद्दों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।

बोर्ड द्वारा गठित की गई यह कमेटी वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद समेत अन्य मस्जिदों से जुड़े मामलों को लेकर विस्तार से समीक्षा करेगी। ताकि उसको लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी जा सके।

बता दें कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (AIMPLB) ने मंगलवार को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच एक आपात बैठक की। चूंकि इस मामले की सुनवाई कोर्ट कर रही है, इसलिए बोर्ड की कानूनी टीम मुस्लिम पक्ष को हर संभव मदद देगी। बैठक लगभग दो घंटे तक चली, जिसके दौरान एआईएमपीएलबी के 45 सदस्यों ने वस्तुतः बातचीत की।

बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने देश में मुसलमानों की इबादतगाहों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की है। बोर्ड ने इबादतगाहों पर विवाद खड़ा करने की ‘असल मंशा’ के बारे में जनता को बताने के लिए जरूरत पड़ने पर देशव्यापी आंदोलन चलाने का भी निर्णय लिया है।

बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य कासिम रसूल इलियास ने बुधवार को बताया कि बोर्ड की कार्यकारी समिति (वर्किंग कमेटी) की मंगलवार देर रात एक आपात वर्चुअल बैठक हुई जिसमें कई अहम फैसले लिए गए। उन्होंने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही मस्जिद ईदगाह मामलों का जिक्र करते हुए बताया कि बैठक में इस बात पर अफसोस जाहिर किया गया कि मुल्क में मुसलमानों की इबादतगाहों को निशाना बनाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि बैठक में इस बात पर भी अफसोस जताया गया कि वर्ष 1991 में संसद में सबकी सहमति से बनाए गए पूजा स्थल अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

जानिए क्या है पूजा स्थल अधिनियम

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने 1991 में पूजा स्थलों से संबंधित एक कानून लाया था। कानून 15 अगस्त, 1947 से पहले मौजूद किसी भी पूजा स्थल के धर्मांतरण या धार्मिक दृष्टिकोण को बदलने पर रोक लगाता है। ऐसा करने का प्रयास करने वाले को एक साल से तीन साल के बीच जुर्माना और कारावास का सामना करना पड़ सकता है। एआईएमपीएलबी बुधवार को एक और बैठक करेगा जिसमें कई लोग अपने विचार विस्तार से पेश करेंगे।

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