नई दिल्ली। पश्चिमी बंगाल में चुनाव करीब है। वहां पर तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। इतना ही नहीं तृणमूल कांग्रेस की ममता फिर से सत्ता में लौटने का सपना देख रही है लेकिन बीजेपी उनको रोकने के लिए रणनीति बनाने में जुट गया है।
आलम तो यह है कि बीजेपी के बड़े नेता बंगाल में एकाएक सक्रिय हो गए है तो दूसरी ओर कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट ने हाथ मिला लिया है और एक साथ चुनाव लडऩे के लिए तैयार है लेकिन सीटों के बंटवारे पर थोड़ा पेंच फंसता दिख रहा है।
हालांकि बताया जा रहा है कि सीटों के बंटवारे को लेकर इस माह के अंत तक कोई फैसला लिया जा सकता है। इसके पीछे की कहानी यह है कि बिहार में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन खराब रहा था।
इस वजह से लेफ्ट फ्रंट काफी आशंकित है और फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। बंगाल के पिछले चुनाव में भी उसका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है। उधर चुनावी दंगल में तृणमूल और भाजपा के बीच जोरदार घमासान देखने को मिल रहा है।
इस वजह से वामपंथी दलों की राह आसान नहीं है। हालांकि लेफ्ट को लगता है कि तृणमूल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर देखने को मिल रही है। लेफ्ट दलों को लगता है कि बीजेपी चाहे लाख दावे करे उसकी स्थिति उतनी बेहतर नहीं है। इस वजह से कांग्रेस और वाम मिलकर बंगाल में जीत हासिल करना चाहते हैं।
बात अगर ममता की जाये तो उनकी पार्टी हाल में कमजोर जरूर हुई क्योंकि कई बड़े नेताओं ने उनका साथ छोड़ दिया है। दूसरी ओर बीजेपी लगातार तृणमूल कांग्रेस को कमजोर कर रही है।
ममता का साथ छोडऩे वाले नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। हालांकि अब देखना होगा कि इसका फायदा बीजेपी को होता है या नहीं लेकिन इतना तय है कि ममता को रोकना बीजेपी के लिए इतना आसान नहीं होगा।