नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून यानि कि सीएए को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है। पता चल रहा है कि राम मंदिर के बाद बीजेपी का अगला फोकस नागरिकता संशोधन कानून यानि कि सीएए पर होगा। इसको लेकर तैयारी अंदर-अंदर चल रही है। एक न्यूज चैनल की खबर से पता चला है कि सरकार से जुड़े एक अधिकारी ने इस पर बड़ा अपडेट दिया है।
उसने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही सरकार सीएए के लिए नियमावली जारी कर दे तो इसमें किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए लेकिन बड़ा सवाल है कि ये कानून चुनाव से पहले आएगा या बाद में आएगा। इस तरह से सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान की जाएगी। ये वे लोग होंगे जो 31 दिसंबर से पहले भारत आ गए थे।
क्या कहता है नया नागरिकता कानून?
गौरतलब है कि मोदी सरकार जो संशोधित बिल ला रही है, उस बिल के अनुसार अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख यानी गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी। पहले नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल का समय था, लेकिन अब इसे घटाकर 6 साल करने की तैयारी है। विपक्ष इसी का विरोध कर रहा है और मोदी सरकार पर धर्म के आधार पर बंटवारा करने का आरोप लगा रहा है।
विधेयक में कौन सा मुद्दा महत्वपूर्ण
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 छह दशक पुराने नागरिकता कानून में संशोधन के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार सिर्फ गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को ही भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। बिल मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का चुनावी वादा था। बीजेपी नीत एनडीए सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गई।