लखनऊ। उत्तर प्रदेश में BJP संगठन में काम करने वाले कुछ नेताओं के अच्छे दिन आने वाले हैं। योगी सरकार जल्द ही प्रदेश में लंबे समय से खाली चल रहे तीन आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का ऐलान कर सकती है। इन पदों की जिम्मेदारी संगठन से जुड़े नेताओं को ही दी जाएगी। प्रदेश में अयोग के अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा मिलता है। सरकार इन पदों को भरकर नाराज चल रहे नेताओं को विधानसभा चुनाव से पहले खुश कर सकती है।
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी 2 साल से खाली
यूपी में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी करीब 2 साल से खाली है। 2017 में योगी सरकार बनने के बाद कानपुर के तनवीर हैदर उस्मानी को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन 29 अप्रैल 2019 को उनके निधन होने से यह पद खाली हो गया। अब तक किसी और को इसकी जिम्मेदारी नहीं दी गई है।
इसी तरह उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष का पद भी करीब डेढ़ साल से रिक्त है। नवंबर 2019 में आयोग के अध्यक्ष को पार्टी ने राज्यसभा में भेज दिया तब से इस पद पर किसी दूसरे अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है। वहीं, करीब दो साल से पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन ही नहीं हो पाया है। इसमें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष समेत सभी 28 पद रिक्त चल रहे हैं।
आयोग की जिम्मेदारी देने का 3 मकसद
- चुनाव से पहले सरकार से नाराज चल रहे कार्यकर्ताओं और नेताओं को खुश करना।
- संगठन से जुड़े लोगों को मजबूत करना ताकि चुनाव में कोई दिक्कत न हो।
- जाति और क्षेत्र के आधार पर लोगों को पार्टी से जोड़ना।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा है जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश में बोर्ड, आयोगों और निगमों के अध्यक्षों के लंबे समय से खाली पड़े पदों को नहीं भरे जाने को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। पीठ ने राज्य के अधिवक्ता को निर्देश पांच जुलाई तक जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका दिया है।