लखनऊ। एक चुनाव के अंतर में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के जनाधार के ग्राफ में ढाई गुना की गिरावट आई है। ग्रामीण सीटों पर बसपा के वोट आधे रह गए हैं। वहीं पहले से कमजोर शहर की सीटों पर वोट बैंक एक चौथाई बचा है। बीते पांच वर्षों में राजधानी लखनऊ की नौ विधानसभा सीटों में पार्टी का बेस वोट 4.23 लाख से घटकर 1.66 लाख पर आ गया है।
2007 विधानसभा चुनाव से बसपा का वोट बैंक लगातार बढ़ता जा रहा था। सोशल इंजीनियरिंग के सहारे 2007 में सत्ता में आई बसपा के पास उस समय 2.65 लाख वोटर थे। इतने ही वोट में महोना और सरोजनीनगर सीट पर पहली बार पार्टी के विधायक जीते। मोहनलालगंज, मलिहाबाद और कैंट सीट पर पार्टी दूसरे नम्बर पर रही।
इसके बाद 2012 चुनाव में बीकेटी और सरोजनीनगर सीट पर पार्टी दूसरे नम्बर पर खिसक गई। मगर वोटर बढ़कर 3.67 लाख हो गए। 2017 में पार्टी बीकेटी, मोहनलालगंज में दूसरे स्थान पर रही। इसके बाद भी पार्टी का कोर वोटर जुड़ा रहा। वोटरों की संख्या बढ़कर 4.23 लाख हो गई।
2022 में बसपा को मिले मात्र 1.66 लाख वोट
विधानसभा चुनाव 2022 में तो बसपा का वोट बैंक धड़ाम हो गया। पार्टी हर सीट पर तीसरे, चौथे स्थान पर खिसक गई। वोटरों की संख्या बढ़ने के बजाए ढाई गुना कम हो गई। नौ सीटों पर बसपा को मात्र 1.66 लाख वोट मिले । सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है।
एक दशक में पांच गुना सिकुड़ गई कांग्रेस
कांग्रेस का वोट बैंक लगातर सिकुड़ रहा है। 2012 में कांग्रेस ने औसत प्रदर्शन किया। एक सीट जीती और एक सीट पर दूसरे स्थान पर रही। पार्टी को 2.84 लाख वोट मिले। एक दशक बाद 2022 में कांग्रेस को नौ विधानसभा में मात्र 53827 वोट मिले हैं। यानी वोटों में पांच गुना की कमी आई है। चार सीट पर तो तीन हजार वोट भी नहीं मिले हैं। सभी प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई है।
पार्टी से अधिक तो निर्दलीय मिलते थे वोट
कांग्रेस पार्टी से सरोजनीनगर से लड़ने वाले रुद्र दमन सिंह को इसबार 19711 वोट मिले। जबकि 2017 में रुद्र ने निर्दलीय लड़कर 20607 वोट हासिल किए थे। 2012 में इसी सीट पर आरएसबीपी के प्रत्याशी के तौर पर 41386 वोट पाकर तीसरे स्थान हासिल किया था।