लखनऊ। खनन घोटाले में फंसे समाजवादी पार्टी में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) का शिकंजा कसता जा रहा है। ED ने गायत्री के खिलाफ कोर्ट में प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल कर दी है, जिसमें उसकी अकूत संपत्तियों का काला चिट्ठा खुलकर सामने आया है।
ED ने गायत्री प्रजापति की 36.94 करोड़ों की चल-अचल संपत्ति को ने अटैच किया है। 3.50 करोड़ जमा गायत्री के परिवार और कंपनी के 57 खातों में हैं। इसके अलावा गायत्री की 60 संपत्तियों को जब्त किया गया, जिसकी कीमत 33.54 करोड़ रुपए है। संपत्तियों की कीमत मौजूदा समय में 55 करोड़ है।
बेटे-बहू ने करोड़ों रुपए चुकाया टैक्स‚ गायत्री को नहीं पता
सपा सरकार में मंत्री बनने से पहले गायत्री प्रजापति एक गुमनाम चेहरा था। मंत्री बनने के बाद अचानक उसके परिजनों के खातों में करोड़ों रुपए जमा होने लगे। गायत्री प्रजापति के मुताबिक, उसकी पत्नी 2012 तक घर पर सिलाई-बुनाई का काम करती थी और 10-15 हजार प्रति माह तक कमा लेती थी।
वहीं, 2012 के बाद वह केवल हाउस वाइफ होकर उस पर निर्भर हो गयी। हालांकि उसका ITR इसकी गवाही नहीं दे रहा। गायत्री की पत्नी के विगत वर्षों के ITR में निर्माण व्यवसाय और कृषि से पर्याप्त आय दिखाई गयी है। उन्होंने 2013 में लोनावाला में एक घर भी खरीदा, जिसके लिए बेटे और अन्य व्यक्तियों से 69 लाख रुपए कर्ज लिया।
संपत्तियां फर्जी दस्तावेज पर खरीदी गई
जांच में पता चला है कि इस संपत्ति के भुगतान का विवरण फर्जी था‚ बैंकिंग चैनलों से ऐसा कोई भुगतान नहीं किया गया था। वहीं जांच में सामने आया कि उनकी बेटियां अभी भी पढ़ रही हैं और उनका कोई कारोबार नहीं है। जबकि पत्नी की तरह उनके ITR भी कुछ और गवाही दे रहे हैं। मार्च 2017 में गायत्री के जेल जाने पर भी उनकी पत्नी और बेटियों के सभी बैंक खाते संचालित होते रहे।
मंत्री बनने के तुरंत बाद उनके स्वयं और परिवार के सदस्यों और उनकी कंपनियों के बैंक खातों में भी पर्याप्त नकदी जमा हो गई थी। वर्ष 2013 से 2016 के बीच उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में कुल 6.60 करोड़ रुपए कैश जमा कराए गए। उनके दोनों बेटों और बहुओं ने भी अपनी अच्छी-खासी अघोषित आय घोषित की थी।
परिजनों के अलावा नौकरों के नाम पर खरीदीं संपत्तियां
IDS-2015 स्कीम के तहत 15.23 करोड़ रुपए की आय की घोषणा की और 6.85 करोड़ रुपए टैक्स जमा किया। हालांकि गायत्री ने पूछताछ में इसकी कोई जानकारी होने से इंकार कर दिया। जांच में यह भी सामने आया कि गायत्री ने अपने करीबियों और नौकरों के नाम से कई बेनामी संपत्तियां खरीदी, जिनका भुगतान गायत्री के इशारे पर कैश किया गया। गायत्री प्रजापति के ड्राइवर द्वारा पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग करके अधिकांश संपत्ति खरीदी गई थी। गायत्री प्रजापति के निर्देश पर उसके ITR भी दाखिल किए गए।
बेटे को ट्रांसफर किए शेयर
जांच में यह भी पता चला कि वर्ष 2013 में मंत्री बनने के बाद गायत्री प्रजापति ने अपनी कंपनी MGA कॉलोनाइजर्स में अपने शेयर अपने बेटे अनुराग को हस्तांतरित कर दिए और इस्तीफा दे दिया। यह एक बहाना था और कंपनी पर वास्तविक नियंत्रण गायत्री द्वारा बरकरार रहा। मंत्री बनने के तुरंत बाद उनके बेटे कई कंपनियों में निदेशक बन गए‚ जिन्होंने कई संपत्तियां खरीदीं।
मार्च-2014 में उनके द्वारा पांच नई कंपनियां भी बनाई गईं और विभिन्न शेल कंपनियों से बिना किसी व्यापारिक संबंध या समझौते के खासा धन प्राप्त किया। ऐसी शेल कंपनियों द्वारा लगाए गए धन को संबंधित संस्थाओं और उनके बेटों के व्यक्तिगत खातों के बीच घुमाया गया और अंत में संपत्तियों की खरीद और आगे के निवेश के लिए इस्तेमाल किया गया।