J&K-हरियाणा नहीं, इन दो राज्यों के नतीजों ने बढ़ाई केजरीवाल की टेंशन

नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव की हार के बाद आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली विधानसभा के चुनाव जीतने के लिए रणनीति में बदलाव करेगी। सूत्रों ने कहा कि आम आदमी पार्टी हर विधानसभा सीट की अलग-अलग समीक्षा कराएगी।

इस दौरान यह पता किया जाएगा कि सरकार के कामकाज को लेकर जनता में क्या चर्चा है? दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल सहित अन्य नेताओं के जेल में जाने से पार्टी की छवि पर पड़े असर का भी आकलन किया जाएगा। इसके बाद पार्टी की कमजोरियों की पहचान कर उन्हें दूर किया जाएगा।

जमीनी स्तर पर पार्टी की स्थिति का आकलन करेंगे नेता

बता दें कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अपने नेताओं को संदेश दिया है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर जमीनी स्तर पर पार्टी की स्थिति का आकलन किया जाए। यह भी स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि आकलन कर्मठ, मेहनती और जमीनी कार्यकर्ताओं से कराया जाए, जिससे दिल्ली में धीमी हुई विकास की गति से लेकर पार्टी नेताओं की छवि को लेकर भी सही स्थिति सामने आ सके।

दो राज्यों के नतीजों ने बढ़ाई AAP की चिंता

हालांकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल कोई भी काम बगैर स्थिति का आकलन किए नहीं करते हैं। उनकी मानें तो केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा उसी सूरत में दिया था, जब वह आश्वस्त थे कि दिल्ली में उनकी पार्टी को सत्ता में आने से कोई खतरा नहीं है।

हालांकि उनकी मानें तो जनता को मुफ्त की सुविधाएं देने वाली दो सरकारों राजस्थान में कांग्रेस और तेलंगाना में बीआरएस को जनता द्वारा सत्ता से बाहर किए जाने के मामले को लेकर आप को डर जरूर सता रहा है। मगर वहां के हालात और मुद्दे अलग हैं। जबकि दिल्ली की स्थिति अलग है।

दिल्ली में हर साल बाहर से आते हैं चार से पांच लाख लोग

दिल्ली को भले ही केंद्र शासित राज्य का दर्जा है, मगर यह एक ऐसा शहर है जहां कम से कम प्रति वर्ष चार से पांच लाख लोग दूसरे राज्यों से आते हैं और इनमें ऐसा गरीब तबका अधिक रहता है जिसे फ्री वाली सुविधाओं की अधिक जरूरत रहती है। ऐसे में यह वर्ग भी सदैव उस पार्टी की सरकार के साथ रहना चाहेगा जिससे उसे फ्री वाली सुविधाएं मिल सकें।

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