Juhi Chawla के सपोर्ट में आई पूजा, पूछा- क्या पब्लिसिटी के नाम पर कुछ भी कर सकते हैं सेलिब्रिटी?

बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला कई दिनों से सुर्खियों में बनी हुई हैं। भारत में 5जी तकनीक लागू होने जा रही है। जिसका पर्यावरण के साथ ही लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ने वाला है। इसी को लेकर लंबे समय से जूही चावला 5जी मोबाइल टावरों से निकलने वाले हानिकारक रेडिएशन के खिलाफ लोगों के बीच जागरुकता फैलाने की कोशिश कर रही थीं। इसके खिलाफ उन्होंने केस भी दर्ज किया था, जिसकी सुनवाई दो जून को हुई।

इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए अभिनेत्री को बड़ा झटका दे दिया और उनकी याचिका खारिज करते हुए उन पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट का कहना है कि इससे प्रतीत होता है कि इस मुकदमे को सिर्फ पब्लिसिटी के लिए दायर किया गया था। अब जूही चावला के सपोर्ट में पूजा बेदी आई हैं।

पूजा बेदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘ये देखते हुए कि जूही चावला कई सालों से ईएमएफ और सेलफोन के टॉवर्स से निकलने वाले रेडिएशन के खिलाफ खड़ी हैं, आपको लगता है कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिका खारिज करना सही है। वो भी ये कहते हुए कि ये पब्लिसिटी है। क्या एक सेलिब्रिटी पब्लिसिटी स्टंट के नाम पर कुछ भी कर सकता है।’

बता दें, जूही चावला ने सुनवाई के दिए एक वीडियो अपने इंस्टाग्राम हैंडल से शेयर किया था और लोगों से सुनवाई में जुड़ने की अपील की थी। उन्होंने सुनवाई का लिंक भी सोशल मीडिया पर साझा किया था। जूही की याचिका पर फैसला देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इनकी याचिका में सिर्फ कुछ ही ऐसी जानकारी है जो सही है बाकी सिर्फ कयास लगाए गए हैं और संशय जाहिर किया गया है। कोर्ट ने इसके साथ ही जूही चावला से कहा कि वो इस मामले में नियमों के साथ जो कोर्ट की फीस बनती है वो भी जमा करें।

इससे पहले सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जे आर मिधा की पीठ ने 2 जून को मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने कहा था कि जूही चावला दोषपूर्ण हैं और ये याचिका सिर्फ मीडिया पब्लिसिटी के लिए दायर की गई। पीठ ने जूही से ये भी पूछा था कि उन्होंने इस मामले में पहले सरकार के पास जाने के बजाय अदालत में याचिका दायर क्यों की?

एक्ट्रेस जूही चावला की ओर से दाखिल इस याचिका में मांग की गई थी कि 5जी टेक्नोलॉजी को लागू किये जाने से पहले इससे जुड़े तमाम तरह के अध्ययनों पर बारीकी से गौर किया जाए और फिर उसके बाद ही इस टेक्नोलॉजी को भारत में लागू करने के बारे में विचार किया जाए।

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