नयी दिल्ली। राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विभिन्न विपक्षी दलों ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलते हुए मौजूदा आंदोलन से निपटने के तरीके पर सवाल उठाया। वहीं सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने दावा किया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी प्रगति के लिए ही नए कानून लाए गए हैं।
विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया कि किसानों को आंदोलन करने की नौबत क्यों आयी। इसके साथ ही विपक्षी दलों ने सरकार से अनुरोध किया कि वह किसानों के दर्द को समझे और उन्हें दूर करने की कोशिश करे। हालांकि भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसे सुधारों का जिक्र किया था लेकिन अब उसके सुर बदल गए हैं।
उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए राजद सदस्य मनोज झा ने सरकार पर हमला बोला और कहा कि किसानों के मुद्दे पर दलगत भावना से ऊपर उठकर विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण में 19 विपक्षी दलों के भाग नहीं लेने का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें शामिल नहीं होने का हमें भी दुख है लेकिन जब चीजें वास्तविकता से दूर हों तो उसमें कैसे भाग लिया जा सकता है। मनोज झा ने कहा कि सरकार के खिलाफ हर बात देशद्रोह नहीं हो सकती और लोकतंत्र में आंदोलन की अहम भूमिका होती है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों को रोकने के लिए बाड़बंदी, घेराबंदी, कंटीले तार लगाए गए और खाई आदि बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए पानी और शौचालय जैसी सुविधाएं तक बंद कर दी गयी हैं। राजद सदस्य ने कहा कि किसान अपना हक मांग रहे हैं और वे अपनी बेहतरी दूसरे लोगों की अपेक्षा बेहतर तरीके से समझते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने विमर्श को ही कमजोर बना दिया है।
उन्होंने आंदोलन से निपटने के सरकार के तरीके को लेकर सवाल किया और कहा कि सरकार एकालाप को ही वार्तालाप का रूप दे रही है। भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि किसान देश के लिए रीढ़ की हड्डी और अन्नदाता हैं तथा वे अपना ही नहीं पूरे विश्व का पेट भरते हैं। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून इसलिए लाए गए ताकि उनकी प्रगति हो सके।
उन्होंने कहा कि देश को राजनीतिक आजादीकरीब 70 साल पहले मिल गयी थी लेकिन किसानों को उनकी वास्तविक आजादी नहीं मिल पायी। भाजपा नेता ने कहा कि नए कृषि कानूनों से किसानों को आजादी मिल सकेगी और वे देश भर में कहीं भी अपनी उपज बेच सकेंगे जिससे उनकी आय भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ 11 बार संवाद हुआ है और सरकार ने 18 महीने कानून स्थगित करने की भी बात की है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने इस क्रम में कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि पार्टी ने 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में कृषि सुधारों का वायदा किया था। इसके अलावा राकांपा नेता और तत्कालीन संप्रग सरकार में कृषि मंत्री शरद पवार ने 2010-11 में हर राज्यों के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को अनिवार्य बनाने संबंधी बात की थी। सिंधिया ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘जुबान बदलने की आदत बदलनी होगी… जो कहें, उस पर अडिग रहें।
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने कहा कि हम गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुए उपद्रव की निंदा करते हैं, लेकिन किसान इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए। विरोध स्थल पर कंक्रीट की दीवारें लगाने के केंद्र के फैसले से कुछ हासिल नहीं होगा। सरकार को मामले में शांति से निपटना चाहिए। गणतंत्र दिवस की घटना के लिए किसान जिम्मेदार नहीं हैं, हैं। राज्य सरकार की राय भी लेनी चाहिए।
सिंधिया ने सरकार के कदमों की सराहना करते हुए कहा कि मात्र छह माह की अवधि में अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर ला दिया गया और जनवरी में हुआ जीएसटी संग्रह इसका उदाहरण है। चर्चा में भाग लेते हुए मनोनीत सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि देश में हुयी हरित क्रांति का लाभ पंजाब को विशेष रूप से मिला और वहां इससे किसानों में खुशहाली आयी। लेकिन पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी भारत का एक बड़ा हिस्सा उस क्रांति के लाभों से दूर रहा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के अधिकतर किसान और लोग सीमांत हैं तथा सिर्फ खेती के सहारे उनकी आजीविका नहीं चल सकती।
उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की चर्चा करते हुए कहा कि सिर्फ नौ से दस प्रतिशत किसानों को ही इसका लाभ मिल सकता है। दासगुप्ता ने कहा कि नए कानूनों से ऐसे किसानों को लाभ मिल सकेगा जो लाभ से वंचित रह गए हैं। नए कानूनों से न सिर्फ फसलों का मूल्यवर्धन हो सकेगा बल्कि जरूरी आधारभूत ढांचे में भी सुधार होगा और भंडारण जैसी सुविधाएं बढ़ सकेंगी। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए हर क्षेत्र का विकास जरूरी है और इसके लिए पूर्वी क्षेत्र पर भी ध्यान देना जरूरी है।
उन्होंने पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड सहित पूरे पूर्वी क्षेत्र को विशेष ‘जोन’ बनाए जाने का सुझाव दिया। तेदेपा सदस्य के रवींद्र कुमार ने आंध्र प्रदेश में तीन राजधानी के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह पैसे की बर्बादी होगी।