नई दिल्ली। शिवसेना में दूसरे नंबर के नेता नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने बगावत का फुलप्रूफ प्लान तैयार किया था। इस प्लान की गोपनीयता इसी से समझी जा सकती है कि सूरत जाते समय शिंदे अपने साथ सिक्योरिटी भी नहीं ले गए। शिंदे के साथ रातों रात मुंबई छोड़ने वाले 40 विधायक (शिवसेना के 33 और 7 निर्दलीय) जब सूरत के ला मेरिडियन होटल पहुंच गए तब लोगों को खबर लगी।
सूत्रों के मुताबिक मुंबई से सूरत गुपचुप पहुंचाने में BJP के एक बड़े नेता ने इन बागियों की मदद की है। वहीं सूरत में बढ़ती सियासी हलचल को देखते हुए सभी बागी विधायकों को गुवाहाटी एयरलिफ्ट कराया गया।
MLC चुनाव से पहले तैयार थी सूरत की स्क्रिप्ट
सूत्रों के मुताबिक, सूरत जाने की पूरी स्क्रिप्ट सोमवार को हुए विधानपरिषद चुनाव से दो दिन पहले लिखी गई थी और चुनाव के दौरान BJP के हंगामे के बाद इसे अमली जामा पहनाया गया। काउंटिंग के दौरान BJP की ओर से क्रॉस वोटिंग का संदेह जताते हुए कुछ देर के लिए हंगामा भी किया गया था। इसके बाद महाविकास अघाड़ी के नेताओं का ध्यान उस ओर चला गया और शिंदे और उनके समर्थित विधायक इसी का फायदा उठाते हुए धीरे से सूरत के लिए निकल लिए।
बगावत में शिंदे-फडणवीस की दोस्ती का भी रोल!
‘ऑपरेशन लोटस’ के सबसे बड़े किरदार यानी एकनाथ शिंदे और पूर्व CM देवेंद्र फडणवीस की दोस्ती जगजाहिर है। फडणवीस सरकार में उनके पास PWD मंत्रालय था। बाला साहब के जाने के बाद शिंदे ही BJP और शिवसेना के बीच एक अहम कड़ी थे। समृद्धि एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिंदे की राजनीतिक दोस्ती और मजबूत हुई। इस बगावत को उसी दोस्ती का नतीजा माना जा रहा है।
मुंबई टु सूरत टु गुवाहाटी
एकनाथ शिंदे समेत उनके साथ बागी विधायकों को सूरत से एयरलिफ्ट कर गुवाहाटी ले जाया गया। सूत्रों के मुताबिक सुबह जहां ठाकरे सरकार के लोग तनाव में नजर आ रहे थे वहीं शाम को उनकी बॉडी लैंग्वेज कुछ और ही बयां कर रही थी। यानी एकनाथ शिंदे से मिलिंद नार्वेकर की मुलाकात के बाद सभी रिलैक्स लग रहे थे।
सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र से 6 चार्टर्ड प्लेन सूरत पहुंचे थे। विमान से सुबह ही इन विधायकों महाराष्ट्र ले जाना था, लेकिन शिंदे समेत सभी 40 समर्थक गुवाहाटी निकल गए।
उद्धव ने अपने विधायकों से मीटिंग में भरोसा जताया था कि एकनाथ शिंदे उनकी बात सुनेंगे और सब सही हो जाएगा। माना ये जा रहा है कि महाराष्ट्र संकट संभल जाएगा पर राजनीति में जब तक कुछ हो न जाए… तब तक वह बस कयास ही रहता है।
उद्धव से नाराजगी की वजह भी जानिए
- कभी शिवसेना के काफी करीब रहे और वर्तमान में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के थिंक टैंक कहे जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार वागीश सारस्वत ने बताया कि शिंदे की बगावत एक दिन का नतीजा नहीं, बल्कि यह उद्धव ठाकरे द्वारा लगातार उनकी की जा रही अवहेलना और अनदेखी के कारण हुई है।
- शिवसेना प्रमुख के मुख्यमंत्री बनने से पहले एकनाथ शिंदे का नाम महाविकास अघाड़ी के CM पद के लिए आया था। इसके बाद उन्हें नगर विकास मंत्री बना दिया गया।
- सूत्रों के मुताबिक, शिंदे अपने मंत्रालय में CM और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के दखल की वजह से नाराज थे। उनके करीबी लोगों का कहना था कि बिल्डर लॉबी से जुड़े लोग सीधे CM से मिल रहे हैं और उनके काम में अड़चन पैदा कर रहे हैं।
उद्धव सरकार में विधायक भी उपेक्षा से नाराज
सारस्वत ने बताया कि शिंदे के साथ होटल में रुके अन्य सभी विधायक महाराष्ट्र के ग्रामीण भाग से आते हैं। वे ऐसे इलाकों से आते हैं, जहां शिवसेना के नाम का उनको कोई फायदा नहीं होता है। वे अपने दम पर किसी भी पार्टी में रहने के दौरान चुनाव जीत सकते हैं।
ऐसे में वे महाविकास अघाड़ी के मंत्रियों द्वारा की जा रही अवहेलना से नाराज थे। कई बार मीटिंग में भी उन्होंने अपने इलाकों को फंड नहीं देने की बात कही थी। शिंदे को शिवसेना के बड़े क्षत्रप के रूप में देखा जाता है। यही वजह है कि वे भी नाराज होकर शिंदे के साथ चले गए हैं।
शिंदे गुट के नेताओं का मानना है कि शिवसेना अब CM उद्धव ठाकरे, मुंबई, संजय राउत और आदित्य ठाकरे तक सिमट कर रह गई है। CM शिवसेना के नेताओं से ज्यादा NCP के मंत्रियों और विधायकों को तरजीह दे रहे हैं।
पार्टी में शिंदे सबसे ताकतवर, फिर भी खिलवाड़
एकनाथ शिंदे को ठाकरे परिवार के बाद सबसे ताकतवर शिवसैनिक माना जाता है। 1980 में शिवसैनिक बने एकनाथ शिंदे लगातार चार बार से ठाणे की कोपरी-पांचपखाडी सीट से विधायक हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद जब शिवसेना भाजपा से अलग हुई तब उद्धव ठाकरे ने उन्हें विधायक दल का नेता चुना था।