लखनऊ। विधानसभा चुनाव से पहले सपा को एक बड़ा झटका लगना लगभग तय है। कानपुर का मेहरबान सिंह का पुरवा में बनी चौधरी हरमोहन सिंह की कोठी समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। चुनावी रणनीति से लेकर मंत्रिमंडल के गठन तक की रणनीति चौधरी हरमोहन सिंह की कोठी से होकर निकलती थी। लेकिन अब इस कोठी के ऊपर भाजपा ने अपना झंडा फहराने की पूरी तैयारी कर ली है।
मुलायम सिंह यादव व शिवपाल के बेहद करीबी माने जाने वाले राज्यसभा सांसद व विधान परिषद अध्यक्ष रहे सुखराम सिंह यादव भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
कार्यक्रम में आ रहे मुख्यमंत्री
18 अक्टूबर को पिता स्व. चौ. हरमोहन सिंह यादव के जन्म शताब्दी वर्ष समारोह में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सुखराम सिंह यादव के बुलावे पर कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम के बाद तय होने के बाद से ही सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पहले ही कह चुके हैं कि सुखराम सिंह यादव का परिवार अब भाजपा के साथ है। ये दूसरी बार है जब सपा सांसद ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को आमंत्रित किया है।
बेटे ने कहा मुख्यमंत्री का आदेश मानेंगे
कार्यक्रम को लेकर सुखराम सिंह के बेटे चौधरी मोहित यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री का जो भी आदेश होगा, उसे माना जाएगा। अच्छा काम करने वालों की सराहना करनी चाहिए। युवा के नाते हम मुख्यमंत्री के कार्य की सराहना करते हैं।
इससे ये साफ है कि मोहित का भाजपा में जाना लगभग तय है। हालांकि पिता के भाजपा में शामिल होने को लेकर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन भाजपा से नजदीकियां सुखराम सिंह यादव से लगातार बढ़ती जा रही हैं। वहीं हाल ही में कानपुर से शुरू हुई अखिलेश यादव के विजय रथ यात्रा से भी सपा सांसद ने पूरी तरह दूरी बनाकर रखी।
ओबीसी वोट बैंक में अच्छी पकड़
सुखराम सिंह की यादव और ओबीसी वोट बैंक में अच्छी पकड़ है। वे अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। ऐसे में चुनाव से पहले भाजपा ओबीसी और यादव वोट बैंक में अच्छी पकड़ बनाना चाहती है। कानपुर नगर और देहात की लगभग सभी सीटों पर ओबीसी वोट बैंक अच्छी तादाद में है। वहीं इसका असर पूरे प्रदेश के ओबीसी वोट बैंक पर पड़ना तय है।
सपा में हो रही उपेक्षा से नाराज
पार्टी की कमान हाथ में आने के बाद अखिलेश यादव ने सुखराम सिंह की लगातार उपेक्षा की। यही कारण रहा कि बीते 19 अक्टूबर 2019 में आयोजित दंगल कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से लेकर कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह समेत महापौर और भाजपा के बड़ी संख्या में पदाधिकारी जुटे थे। वहीं प्रसपा पार्टी के गठन के बाद सुखराम सिंह शिवपाल के साथ भी मजबूती से खड़े थे।
अखिलेश को कभी नेता नहीं माना
राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को कभी अपना नेता नहीं माना। क्योंकि वो आज भी मुलायम सिंह यादव को अपना नेता मानते हैं। मुलायम सिंह की वजह से ही सुखराम सिंह को राज्यसभा सांसद के लिए वर्ष-2016 में मनोनीत किया गया था।
यही कारण है कि कार्यक्रम के कार्ड पर उन्होंने मुलायम सिंह यादव की फोटो को सबसे ऊपर लगाया है। चौधरी हरमोहन सिंह का जब 2012 में निधन हुआ तो पूरा यादव कुनबा शामिल हुआ था।