लखनऊ। यूपी में दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी को होना है। राजनीतिक सरगर्मियां भी बढ़ती जा रही हैं। पार्टियां इस सियासी संग्राम में जीत का मंत्र लेकर रणनीति के साथ ही पूरी ताकत झोंक रही हैं। साथ ही एक-दूसरे के प्रत्याशियों का वजन तौल कर मजबूत उम्मीदवारों को चुनावी अखाड़े में उतार चुकी हैं। उधर, चुनावी चर्चाओं में के दौरान आम आदमी भी समीकरण बनने और बिगड़ने पर बात कर रहे हैं।
इन चर्चाओं में तमाम ऐसे सियासी खानदानों की भी बात होती है, जिनका राजनीति में अच्छा-खासा दबदबा रहा है। इनके सामने किसी पार्टी की चल नहीं पाती है, चाहे वह कितना ही मजबूत प्रत्याशी मैदान में क्यों न उतार दें। चर्चा करने वाले कहते हैं कि सियासी खानदानों के लिए यह चुनाव शायद आसान नहीं हो?
ऐसे अचूक सियासी हथियार हैं, जिनका वार कभी खाली नहीं जाता
पिछले चुनावी रिकार्ड पर नजर डालते हैं। इसमें एक बात तो पूरी तरह साफ है कि रणक्षेत्र के माहिर इन सियासी खानदानी खिलाड़ियों के पास गजब के दांव-पेंच हैं। ऐसे-ऐसे अचूक सियासी हथियार हैं, जिनका वार कभी खाली नहीं जाता। यही वजह है कि पिछले विधानसभा चुनाव तक किसी पार्टी का उम्मीदवार इनके सामने टिक नहीं पाया। अधिकांश को मुंह की खानी पड़ी थी। हालांकि इस बार चुनाव के रणक्षेत्र में सियासी खानदानों का क्या होगा, यह तो 10 मार्च को परिणाम घोषित होने के बाद ही तय होगा।
हरिश्चंद्र श्रीवास्तव परिवार
यूपी की राजनीति में हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ‘हरीशजी’ का नाम कौन नहीं जानता। वाराणसी का कैंट विधानसभा बीते 26 साल से इसी परिवार के हाथ में है। यहां से उनकी पत्नी ज्योत्सना श्रीवास्तव चार बार विधायक रहीं, जबकि खुद ‘हरीशजी’ दो बार विधायक बने।
प्रदेश सरकार में मंत्री पद का भी दायित्व निभाया था। अब यहां से उनके बेटे सौरभ श्रीवास्तव विधायक हैं। इस चुनाव में भी भाजपा ने सौरभ को कैंट विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है। सौरभ भाजपा के विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।
मुलायम सिंह यादव का खानदान
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार की राजनीति में काफी दखल है। इस परिवार को यूपी का सबसे बड़ा सियासी परिवार भी माना जाता है। इस परिवार के दर्जनों लोगों के पास छोटे-बड़े राजनीतिक पद हैं। इसमें से कई तो जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक और सांसद हैं। मुलायम सिंह यादव ने समय-समय पर अपने परिवारवालों की लगातार एंट्री विभिन्न राजनीतिक पदों जैसे कि ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक, सांसद, और यहां तक कि मुख्यमंत्री पद पर भी करवाई।
इन पर नजर डालें तो खुद मुलायम सिंह यादव सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, अखिलेश यादव सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री, डिंपल यादव पूर्व सांसद, रामगोपाल यादव राज्यसभा सांसद, अक्षय यादव पूर्व सांसद, धर्मेंद्र यादव पूर्व सांसद, तेजप्रताप यादव पूर्व सांसद, शिवपाल सिंह यादव विधायक और पूर्व मंत्री, अरबिंद यादव एमएलसी समेत तमाम नाम है।
मायावती का परिवार
बसपा प्रमुख मायावती पर भी परिवारवाद का आरोप लगने लगा है। हालांकि वह इसे सिरे से खारिज करती हैं। लेकिन उनके कई निर्णय इसको प्रमाणित भी करता है। उन्होंने अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी के प्रमुख पद पर तैनात किया है। इसके अलावा भतीजे आकाश आनंद को भी पार्टी में एक बड़ी जिम्मेदारी दी है। ऐसे में परिवार के लोगों को पार्टी में ऊंचे पद देने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या बसपा भी अब परिवारवाद की राजनीति करेगी? वजह चाहे जो भी हो, राजनीति में इस परिवार का भी काफी दबदबा है।
हरिशंकर तिवारी परिवार
पूर्वांचल की राजनीति में हरिशंकर तिवारी का नाम सबसे पहले लिया जाता है। हाता और हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल में एक खास अहमियत रखते हैं। पं. हरिशंकर तिवारी कांग्रेस के बड़े नेता रहे। उनके बेटे विनय शंकर तिवारी इस समय गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से विधायक हैं।
हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी संतकबीरनगर से सांसद रहे हैं। हरिशंकर तिवारी के भांजे और यूपी विधानसभा के सभापति रह चुके गणेश शंकर पांडेय सहित पूरा तिवारी कुनबा अब समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया है। इस परिवार की भी राजनीति में अच्छी-खासी पकड़ है।
चौधरी चरण सिंह परिवार
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का भी राजनीति में काफी दखल रहा है और आज भी इस परिवार का दबदबा है। इनके पुत्र चौधरी अजीत सिंह सात बार बागपत से सांसद रहे और विभिन्न सरकारों में नागरिक उड्डयन, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने वीपी सिंह, पीवी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की सरकारों में काम किया था। उनकी गिनती उत्तर भारत के प्रमुख जाट और किसान नेताओं में होती थी।
उनके पार्टी राष्ट्रीय लोक दल का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव माना जाता रहा है। हालांकि 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को तगड़ा झटका लगा था। खुद सिंह बागपत से चुनाव हार गए थे। वर्तमान में परिवार की विरासत अजीत सिंह के पुत्र जयंत चौधरी संभाल रहे हैं।
अंसारी खानदान
पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी खानदान का नाम भी बड़ा माना जाता रहा है। मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी इसी परिवार के हैं। मुख्तार अंसारी के दादा मुख्तार अहमद अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। उनके चाचा हामिद अंसारी देश के उपराष्ट्रपति रहे। मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं। वहीं, उनके बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी भी विधायक रह चुके हैं। बीते दिनों उन्होंने बसपा छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था।
कल्याण सिंह परिवार
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं। पिछले साल 2021 में उनका निधन हो गया। उनके बेटे राजवीर सिंह इस समय एटा से सांसद है। जबकि, उनका पोता संदीप सिंह योगी सरकार में राज्यमंत्री हैं। इस तरह से कल्याण सिंह की तीसरी पीढ़ी भी सियासत में अपना दबदबा बनाए हुए है।
राजनाथ सिंह परिवार
UP के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह इस समय देश के रक्षा मंत्री हैं। इससे पहले उन्होंने गृहमंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी। राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह भी नोएडा से विधायक हैं। वह भी अपने पिता की राजनीतिक विरासत को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
आजम खान खानदान
सपा सांसद मोहम्मद आजम खान रामपुर से नौ बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। हालांकि सांसद बनने के बाद इस सीट से अब उनकी पत्नी तजीन फात्मा विधायक हैं। उनका बेटा अब्दुल्लाह आजम खान स्वार सीट से विधायक बने हैं । वह अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
जितिन प्रसाद परिवार
जितिन प्रसाद का भी नाम भी राजनीति में बड़ा नाम है । वह अपने पिता जितेंद्र प्रसाद की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। जितिन प्रसाद 2021 में कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। मौजूदा समय में वह विधान परिषद के सदस्य हैं। उन्हें योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया है।
नरेश अग्रवाल परिवार
यूपी की राजनीति में नरेश अग्रवाल भी एक जाना पहचाना नाम है। वे वैश्य समाज का प्रमुख चेहरा रहे हैं। अब उनके बेटे नितिन अग्रवाल उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। नितिन अग्रवाल को यूपी विधानसभा का उपसभापति बनाया गया है।