लखनऊ। पावर प्लांट में कोयले की किल्लत का असर दिखना शुरू हो गया है। यूपी के अलग-अलग जिलों के गांवों में 12 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिल रही है। समय रहते प्लांट में कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो शहरों में भी कटौती का समय बढ़ सकता है। बिजली कंपनी के अधिकारी कटौती की बात नहीं मान रहे हैं लेकिन ग्राउंड रियलिटी में अंधेरा दिख रहा है।
पारीछा की 210 मेगावॉट वाली यूनिट बंद हो गई है। वहीं, ओबरा से क्षमता के अनुपात में 180 मेगावॉट कम बिजली पैदा हो रही है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि इस महीने अब तक सरकार को 350 करोड़ रुपए के करीब बिजली खरीदनी पड़ी है। स्थिति यह है कि 6 रुपए प्रति यूनिट पैदावार वाली बिजली एनर्जी एक्सचेंज पर 14 से 17 रुपए प्रति यूनिट तक खरीदी जा रही है।
पढ़िए यूपी के 11 अलग-अलग जिलों की ग्राउंड रिपोर्ट…
पीलीभीत… शहर में भी 12 घंटे की कटौती, गांवों में सिर्फ 6 घंटे मिल रही बिजली
पीलीभीत में कोयले की कमी से बिजली का रोस्टर बिगड़ा हुआ है। शहरी इलाकों में 12 घंटे बिजली की सप्लाई दी जा रही है। जबकि ग्रामीण इलाकों में 5 से 6 घंटे ही आपूर्ति हो पा रही है।
जालौन…गांवों में 10 से 12 घंटे ही मिल रही है बिजली
जालौन में बिजली विभाग का दावा है कि वर्तमान में शहरी इलाके में 22 से 24 घंटे और ग्रामीण इलाके में 18 से 20 घंटे सप्लाई दी जा रही है। जबकि हकीकत में ग्रामीण इलाकों में 10 से 12 घंटे की सप्लाई दी जा रही है। ग्रामीणों के मुताबिक, दिन में कई बार लाइट जाती है। कभी 2 घंटे के लिए तो कभी 3-3 घंटे के लिए सप्लाई बाधित रहती है।
वहीं, शहरी इलाकों में 18 घंटे बिजली सप्लाई हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात में लाइट ट्रिप कर जाती है। एक से डेढ़ घंटे तक सप्लाई बाधित रहती है। सुबह के वक्त 2 घंटे के लिये और दोपहर में 1 से 2 घंटे के लिये विद्युत सप्लाई बंद कर दी जाती है।
कुशीनगर …शहर में 8 घंटे की कटौती
कुशीनगर में अघोषित बिजली कटौती हो रही है। ग्रामीण इलाकों को 8 से 10 घंटे ही मिल रही बिजली मिल रही है। जबकि शहरी क्षेत्रों में 7 से 8 घण्टे की बिजली कटौती की जा रही है। लोगों के मुताबिक, बिजली विभाग के जिम्मेदारों का फोन नहीं उठते हैं। जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उन्नाव…गांव में 8 घंटे ही मिल रही बिजली
उन्नाव में बिजली कटौती से भारी मुसीबत है। शहरी इलाकों में 14 घंटे लाइट आ रही है। जबकि ग्रामीण इलाकों में 6-8 घंटे बिजली सप्लाई की जा रही है। इसके अलावा लो वोल्टेज की समस्या से लोग परेशान हैं। बिजली विभाग फाल्ट ओर रोस्टिंग का हवाला बताकर पल्ला झाड़ लेता है। बिजली की भरपूर सप्लाई न होने से फैक्ट्रियां भी सही ढंग से संचालित नहीं हो पा रही हैं जिससे लोगों के रोजगार में भी कमी हो रही है।
चित्रकूट, फतेहपुर और बाराबंकी में भी कटौती शुरू
चित्रकूट में शहरी इलाकों में 16 घंटे बिजली की सप्लाई हो रही है। जबकि ग्रामीण इलाको में 8 घंटे ही बिजली सप्लाई दी जा रही है। फतेहपुर में शहरी इलाकों में 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 14 से 16 घंटे बिजली लाइट आ रही है। बाराबंकी के शहरी क्षेत्रों में 18 से 20 घंटे लाइट आती है।
जबकि देहात क्षेत्रों में 14 से 16 घंटे लाइट आती है। बदांयू में 8 घंटे बिजली कटौती की जा रही है। देहात क्षेत्रों में 12 घंटे सप्लाई दी जा रही है। बस्ती के शहरी इलाकों में लोगों को 22 घंटे बिजली मिल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में 16 घंटे आपूर्ति मिल रही है।
औरैया के ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे बिजली आ रही है। कासगंज में 24 घंटे बिजली सप्लाई दी जा रही है, लेकिन दिनभर में दो से तीन भार 10 से 15 मिनट की ट्रिपिंग हो रही है।
सिद्धार्थनगर के शहरी हिस्से में 20 से 22 घंटे लाइट आ रही है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 14 से 16 घंटे बिजली सप्लाई दी जा रही है।
हरदोई के शहर इलाकों में 20 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 16 घंटे बिजली आपूर्ति है। अमरोहा के शहरी क्षेत्रों में 20 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे की सप्लाई दी जा रही है।
इस महीने बिजली की ऐसे हुई खरीददारी
1 अक्टूबर | 3.9 मिलियन यूनिट |
2 अक्टूबर | 2.8 मिलियन यूनिट |
3 अक्टूबर | 15.8 मिलियन यूनिट |
4 अक्टूबर | 9.3 मिलियन यूनिट |
5 अक्टूबर | 6.7 मिलियन यूनिट |
6 अक्टूबर | 5.6 मिलियन यूनिट |
7 अक्टूबर | 2.4 मिलियन यूनिट |
8 अक्टूबर | 3.3 मिलियन यूनिट |
9 अक्टूबर | 7.4 मिलियन यूनिट |
10 अक्टूबर | 21.8 मिलियन यूनिट |
11 अक्टूबर | 13.3 मिलियन यूनिट |
12 अक्टूबर | 21.4 मिलियन यूनिट |
13 अक्टूबर | 29.8 मिलियन यूनि |
14 अक्टूबर | 32.8 मिलियन यूनिट |
15 अक्टूबर | 28.5 मिलियन यूनिट |
कहां कितना कोयला बचा है…
प्लांट | कोयला बचा | दिन के हिसाब कोयला |
अनपरा – | 54500 मीट्रिक टन | एक से डेढ़ दिन के बीच |
ओबरा | 30000 मीट्रिक टन | दो दिन |
पारीछा | 10900 मीट्रिक टन | आधा दिन |
हरदुआगंज | 3300 मीट्रिक टन | आधा दिन |