वॉशिंगटन। जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन दुनिया के उन मुल्कों की फिर मदद करने जा रही है, जहां कोरोनावायरस से हालात खराब हैं, और जहां की सरकारें वैक्सीन खरीद पाने में ज्यादा कामयाब नहीं हो पाई हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार रात कहा कि अमेरिका जून में 2 करोड़ वैक्सीन डोज डोनेट करेगा। इसके पहले भी अमेरिका 6 करोड़ वैक्सीन डोज डोनेट करने का वादा कर चुका है।
बाइडेन की इस घोषणा के एक दिन पहले ही WHO चीफ टेड्रोस घ्रेबिसियस ने अमीर देशों की आलोचना करते हुए कहा था कि वे अपने यहां बच्चों और युवाओं को वैक्सीनेट कर रहे हैं, जबकि उन्हें इसकी जरूरत नहीं है। WHO चीफ ने कहा था- बेहतर होगा कि अमीर देश अपनी जिम्मेदारी समझें और उन मुल्कों को वैक्सीन दें, जहां अभी तक फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही वैक्सीनेट नहीं किया जा सका है। इसके बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी अपने एडिटोरियल में बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन को यही सलाह दी थी।
2 करोड़ डोज अलग होंगे
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की सोमवार रात जारी रिपोर्ट के मुताबिक- अमेरिकी सरकार पहले ही 6 करोड़ वैक्सीन डोनेट करने का ऐलान कर चुकी है। अब राष्ट्रपति ने फैसला किया है कि 2 करोड़ वैक्सीन डोज और भी दान किए जाएंगे। ये वैक्सीन उन देशों को दी जाएंगी, जो या तो गरीब हैं और वैक्सीन नहीं खरीद सकते। या फिर ऐसे देश जहां संक्रमण और मौतें सबसे ज्यादा हो रही हैं। हालांकि, रिपोर्ट में किसी देश का नाम नहीं लिया गया है। इसमें एस्ट्राजेनिका वैक्सीन भी शामिल है। इसे फिलहाल एफडीए से मंजूरी नहीं मिली है।
बाइडेन ने क्या कहा
व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो बाइडेन ने कहा- हम जानते हैं कि अमेरिका भी महामारी के असर से तब तक सुरक्षित नहीं हो सकता, जब तक दुनिया में इस पर काबू नहीं पाया जाता। कोई भी समंदर और कोई भी दीवार हमें सुरक्षित नहीं रख सकती।
NYT ने क्या कहा था
रविवार को अमेरिका के सबसे प्रभावशाली और बड़े अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) ने अपने संपादकीय में बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन को सलाह दी थी कि महमारी के इस मुश्किल वक्त में वो भारत और दूसरे विकासशील देशों की खुलकर मदद करे। अखबार ने यही बात वेस्टर्न वर्ल्ड यानी पश्चिमी देशों से भी कही जो आर्थिक तौर पर काफी मजबूत या कहें अमीर हैं।
एडिटोरियल बोर्ड ने कहा था- यह वो वक्त है जब बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन को मजबूत और सख्त फैसले लेने चाहिए। उसे इस बात की चिंता करनी चाहिए, कदम उठाने चाहिए कि दुनिया के बाकी देशों को वैक्सीन कैसे पहुंचेगी। अगर वैक्सीन को लेकर ठोस रणनीति नहीं बनाई गई तो दुनिया पर इसके गंभीर आर्थिक प्रभाव पड़ेंगे और यह वैक्सीन बनाने पर होने वाले खर्च से भी ज्यादा महंगे साबित होंगे।
गरीब देशों की फिक्र
WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडेनहोम घेब्रिसियस ने रविवार को ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोविड-19 के वर्तमान हालात पर चर्चा की थी। इस दौरान WHO चीफ ने कहा था- अमीर देश बच्चों को भी वैक्सीनेट कर रहे हैं। मैं इसे रोकने की अपील करता हूं। बच्चों के वैक्सीनेशन में इस्तेमाल की जा रही डोज गरीब देशों को दान देना चाहिए ताकि महामारी से जल्द और ज्यादा बेहतर तरीके से निपटा जा सके।
उन्होंने कहा था- हम देख रहे हैं कि कुछ अमीर देश बच्चों और युवाओं को भी वैक्सीनेट कर रहे हैं। दूसरी तरफ दुनिया के वो गरीब देश हैं, जहां अब तक हेल्थ वर्कर्स तक को वैक्सीन नहीं मिल सकी। हम सभी देशों को वैक्सीन देना चाहते हैं। जनवरी में ही मैंने साफ कर दिया था कि वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद नैतिक पतन होगा।
बदकिस्मती से हम ये अब साफ देख भी पा रहे हैं। कुछ देश ऐसे हैं, जिनके पास वैक्सीन का ढेर है और वो उन लोगों को भी वैक्सीनेट कर रहे हैं जिन्हें कोविड-19 से बहुत कम खतरा है। मैं उनसे फिर अपील करता हूं कि वे अब गरीब देशों की मदद करें। वहां हेल्थ वर्कर भी वैक्सीन नहीं लगवा सके हैं।