चरण पादुका जी की सत्यकथा, जब सीबीआई-ईडी तक पहुंच गई बात…

विष्णु नागर

एक देश के प्रधानमंत्री आवास से उनकी चरण पादुका जी गुम हो गईं। हमारे यहां तो प्रधानमंत्री- निवास से एक फूल, एक पत्ती तक गुम नहीं हो सकती! उधर एक देश है, जहां के प्रधानमंत्री की चरण पादुका जी तक लापता हो जाती है!

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स्पष्ट है मामला उस देश के उन प्रधानमंत्री के लिए भी उतना ही गंभीर था, जितना हमारे प्रधानमंत्री जी के लिए हो सकता था! देश की सुरक्षा और  प्रतिष्ठा से जुड़ा था। अगर वह प्रधानमंत्री, हमारे प्रधानमंत्री की तरह जी-20 के अध्यक्ष हुए होते तो यह मामला विश्वगुरु की प्रतिष्ठा से भी जुड़ जाता! दुनियाभर में चिंता व्याप्त हो जाती! रेड अलर्ट जारी हो जाता!

खैर सभी सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए। बंगले के कोने-कोने में ढुंढाई हुई। सारे कार्पेट उठाकर देखे गए। जो भी उस दिन चरणपादुका जी, पहने हुए थे, उनसे दस-दस घंटे, सात-सात दिन तक गहन पूछताछ हुई। विपक्ष का इसे षड्यंत्र बताया गया‌‌। चार सस्पेंड और छह गिरफ्तार किए गए। उनके रिश्तेदारों- मित्रों की बार- बार तलाशियां हुईं। उनके घर पर बुलडोजर चलाए गए। मामला सीबीआई -ईडी को सौंपा गया। मतलब जो भी हो सकता था, किया गया मगर चरणपादुका जी का पता नहीं चला!

प्रधानमंत्री जी का यह कहना उचित था कि आज मेरी चरण पादुका जी, मेरे निवास  से गुम हुई हैं, कल कोई मुझे गुम कर सकता है! मतलब देश का भविष्य हमेशा-हमेशा के लिए खतरे में डाला जा सकता है! मुझे अपनी परवाह नहीं, देश की चिंता है, इसीलिए, चरण पादुका जी की भी चिंता है। इस तरह चरणपादुका जी की चिंता, दरअसल देश चिंता है!

उन्होंने आदेश दिया कि जो-जो उस दिन चरण पादुका पहन कर काम कर रहे थे, उनका और उनकी चरण पादुका का डीएनए टेस्ट करवाया जाए! अगर दोनों का मिलान नहीं होता है तो इसका मतलब है, वे सब के सब चरण पादुका- चोर हैं। उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए! देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ को सहन नहीं किया जा सकता। हमारे सैनिकों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मैं तीन क्या, दस किलो तक गालियां सुन सकता हूं मगर देश के बहादुर सैनिकों की बेइज्जती सहन नहीं कर सकता!

उन प्रधानमंत्री जी का ऐसा आतंक था कि उनकी बात पर कोई मुंह छिपाकर भी हंस नहीं सकता था! कोई कह नहीं सकता था कि सर जी, चरणपादुका जी का डीएनए टेस्ट नहीं हो सकता! प्रधानमंत्री जी चूंकि प्रधानमंत्री होते हुए भी अत्यंत बुद्धिमान थे, इसलिए यह कार्य और भी कठिन था! जैसे हमारे प्रधानमंत्री गटर-गैस के आविष्कारक हैं, उसी तरह वह पाद -गैस का उत्पादन करके देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर थे।

इसके अलावा वह इतिहास, भौतिकी, रसायन शास्त्र, वेद-पुराण आदि-इत्यादि के परम ज्ञाता थे। एंटायर पोलिटिकल, सोशल साइंस, इकनॉमिक साइंस, हिस्ट्री आदि का समूचा ज्ञान-विज्ञान उनमें समा चुका था! फिर भी उन्होंने यह स्पष्ट करना आवश्यक समझा कि मेरे वैज्ञानिक सलाहकार भी इस बात से 210 प्रतिशत तक सहमत हैं कि किसी भी वस्तु का उपयोग अगर मनुष्य तीन बार करता है तो उस का डीएनए उस वस्तु में समा जाता है!

प्रधानमंत्री के ज्ञान का सम्मान करते हुए यथोचित आदेश जारी किए गए। उस देश की कोई लेबोरेटरी प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप रिपोर्ट देने से बच नहीं सकती थी!’यह सिद्ध किया गया कि जो चरणपादुकाएं भेजी गई हैं, उनका डीएनए उनके पहनने वालों के डीएनए से नहीं मिलता! उस देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी निर्णय दिया कि ये अत्यंत गंभीर मामला है, अतः सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाए!

चरण पादुका जी तो बरामद नहीं हुईं मगर प्रधानमंत्री, पुलिस, सीबीआई, आई बी, अदालत सबकी तत्परता की मीडिया में इतनी तारीफ हुई कि देश के सारे दुख- दर्द एक झटके में मिट गए! अच्छे दिन आ गए! दो साल बाद उस देश में चरण पादुका जी के मंदिर की स्थापना हुई और स्वयं प्रधानमंत्री ने ‘कृपापूर्वक’ उसका भव्य उद्घाटन करना स्वीकार किया।

बताया जाता है, कि उस मंदिर में स्थापित चरण पादुका जी, प्रधानमंत्री जी की खो चुकी, चरण पादुका जी का ही असली प्रतिरूप हैं! प्रधानमंत्री जी ने बिना कहे, उस अवसर यह कहा और यह भी कहा कि ये भी मेरी तरह ही पूजनीय हैं। उस देश के गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, वाणिज्य मंत्री, विदेश मंत्री ने कहा कि इनका वही महत्व है, जो त्रेता युग में राम जी की चरण पादुका जी का था! इनकी युगों -युगों तक पूजा होती रहेगी!

तब से उस देश में उन प्रधानमंत्री के रहते राष्ट्रीय स्तर पर चरण पादुका जी दिवस मनाया जाने लगा! उक्त मंदिर में दो हजार करोड़ की लागत से चरण पादुका लोक भी बना, जिसके शुभारंभ का टीवी पर सीधा प्रसारण हुआ, ताकि जनता कृतार्थ हो सके क्योंकि उन प्रधानमंत्री जी के लिए ‘जनहित’ ही प्रधान था!

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