कानपुर। कानपुर के आईपीएस अधिकारी सुरेन्द्र दास ने पांच दिन मौत से दो दो हाथ करने के बाद आखिरकार हाथ खड़े कर दिए। पांच दिनों से जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे आईपीस सुरेंद्र कुमार दास ने आज दम तोड़ दिया। सीएमएस राजेश अग्रवाल ने बताया कि आईपीएस सुरेंद्र ने रीजेंसी अस्पताल में रविवार को 12 बजकर 19 मिनट पर अंतिम सांस ली। आईपीस की मौत की सूचना मिलते ही समूचा पुलिस विभाग व परिजन शोक में डूब गए।
बैचमेट सुरेंद्र दास को बचाने के लिए 16 आईपीएस अफसर दिन-रात जद्दोजहद कर रहे थे। यूपी, दिल्ली में एक्मो मशीन नहीं मिली तो साथियों ने मशक्कत कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मदद से मुंबई से मशीन और डॉक्टरों की टीम चार्टर प्लेन से बुलाई। कानपुर में रीजेंसी अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि विदेश के भी किसी हॉस्पिटल में सुरेंद्र को इलाज के लिए भर्ती कराते तो इसी तरह से इलाज किया जाता। इससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता था।
उनकी हालत शनिवार को बेहद बिगड़ गई थी जिसके बाद डॉक्टरों ने उनका इमरजेंसी ऑपरेशन किया था। ऑपरेशन सफल रहा था लेकिन रविवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। अगस्त में उन्हें कानपुर में एसपी ईस्ट के पद पर पोस्टिंग मिली थी। रीजेंसी अस्पताल के सीएमओ डॉ राजेश अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सुरेंद्र दास को बचाया नहीं जा सका। उन्होंने बताया कि उनके दिल ने काम करना बंद कर दिया और 12:19 मिनट पर उनकी मृत्यु हो गई। डॉ राजेश ने बताया कि सुबह से जद्दोजहद जारी थी कि उनका दिल साथ दे दे लेकिन शरीर से जितना खून चाहिए था, वह नहीं मिल सका।
राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी मौत पर शोक व्यक्त किया है। सीएमओ की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है- ‘सीएम ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।’ यूपी डीजीपी ओपी सिंह ने भी ट्वीट कर सुरेंद्र के देहांत पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा- ‘युवा और मेहनती आईपीएस ऑफिसर सुरेंद्र दास की असमय और दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु से बेहद दुखी हूं।’ उन्होंने परिवार के साथ भी संवेदना प्रकट की।
गौरतलब है कि शादीशुदा जिंदगी में संतुलन न बैठा पाने के कारण उन्होंने सल्फास खा लिया था। फरेंसिक टीम को उनके कमरे से सल्फास के तीन पाउच मिले थे। जन्माष्टमी के दिन उनकी पत्नी डॉ रवीना ने नॉनवेज बर्गर मंगाकर खाया था। इस पर दोनों में झगड़ा हुआ था। बीते 40 दिनों से दास ने अपनी मां से बात नहीं की थी। उनके पिता फौज में थे। जबकि मां, भाई और भाभी लखनऊ में रहते थे।
सल्फास की ज्यादा मात्रा के कारण दास की किडनियों ने भी काम करना बंद कर दिया था। इसके बाद उनकी कई बार डायलिसिस की गई थी। बताते हैं एक्मो मशीन मंगाने में आए करीब 20 लाख रुपये के खर्च को उनके 2014 बैच के साथियों ने उठाया था। यूपी पुलिस से भी काफी आर्थिक मदद भेजी गई थी। हालांकि, कानपुर के एसएसपी अनंत देव ने बताया है कि दास के परिवार ने अब तक किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगाया है। उन्होंने बताया है कि सूइसाइड नोट से भी कुछ साफ नहीं है।