लखनऊ। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 में दूसरी बार डिप्टी सीएम की कुर्सी संभालने वाले केशव प्रसाद मौर्य का बचपन भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ही कष्ट में बीता। उन्होंने अपने पिता श्याम लाल के साथ सिराथू में चाय बेची, अखबार भी बांटा। बचपन का अभाव उन्हें जीवन में कुछ बेहतर करने की हमेशा प्रेरणा देता रहा।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में बाल स्वयं सेवक के तौर पर राजनीति का ककहरा पढ़ने वाले केशव प्रसाद मौर्य अपनी मृदुभाषिता, सहनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा और संघर्षशीलता के बल पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और अब दूसरी बार डिप्टी सीएम तक का सफर तय किया है।
केशव की पकड़ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा तीनों में समान रूप से है। यही कारण है कि सिराथू विधानसभा सीट से हार के बाद भी केशव को डिप्टी सीएम का पद फिर से सौंपा गया है।
राम मंदिर आंदोलन में रही है महत्वपूर्ण भूमिका
केशव प्रसाद मौर्य ने राम मंदिर आंदोलन में अशोक सिंघल के नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चाहे गो रक्षा की बात हो या फिर हिंदू हित की केशव प्रसाद ने आंदोलनों में हमेशा आगे रहे। यही कारण रहा कि अपनी सांगठनिक क्षमता, जुझारूपन, आरएसएस, विहिप से नजदीकी ने उन्हें प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण मुकाम तक पहुंचा दिया। आज उनकी गिनती प्रदेश के बड़े भाजपा नेताओं में होती है।
2017 के चुनाव में मनवाया था अपनी सांगठनिक झमता का लोहा
केशव प्रसाद मौर्य 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सबसे बड़ी ओबीसी चेहरे के रूप में उभरे थे। वह उस समय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल रहे थे। मोदी लहर में लड़े गए इस चुनाव में यूपी में 312 विधानसभा सीटें जिताकर अपनी झमता का लोहा मनवाया था। भाजपा का यूपी में यह अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। यही कारण था कि योगी कैबिनेट में उन्हें डिप्टी सीम बनाया गया। इसके अलावा उनके पास लोकनिर्माण जैसा महत्वपूर्ण विभाग रहा।
विधानसभा चुनाव 2022 में भले ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू में पल्लवी पटेल से हार का सामना करना पड़ा हो पर चुनाव में दौरान उनकी तूफानी जनसभाओं और काम को दरकिनार नहीं किया जा सकता। प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य ने सर्वाधिक जनसभाएं की थीं। चुनाव में दौरान अयोध्या, काशी के बाद अब मथुरा की बारी है का नारा खूब लोकप्रिय हुआ था।
2014 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर में पहली बार खिलाया था कमल
2014 के लोकसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को फूलपुर संसदीय सीट से टिकट दिया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की संसदीय सीट और कर्मभूमि रही फूलपुर में पहली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस संसदीय सीट के इतिहास में केशव प्रसाद मौर्य को कमल खिलाने का श्रेय मिला था। केशव प्रसाद मौर्य ने इस संसदीय सीट पर 3 लाख 40 हजार मतों से बड़ी जीत दर्ज कर यूपी भाजपा में अपनी पैठ मजबूत कर ली थी।
अपनी डिग्री को लेकर भी रहे चर्चा में
केशव प्रसाद मौर्य की प्रारंभिक शिक्षा सिराथू के दुर्गा देवी इंटर कॉलेज से पूरी की। इसके बाद उन्होंने आगे चलकर हिंदी साहित्य सम्मेलन से साहित्य रत्नी की पढ़ाई पूरी की। केशव प्रसाद मौर्य की इसी डिग्री को आरटीआई एक्टिविस्ट और भजपा नेता दिवाकर त्रिपाठी ने पहले लोवर कोर्ट में और अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
लोवर कोर्ट ने इस मामले में कई तारीखों पर सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया था। दिवाकर त्रिपाठी का कहना है कि केशव प्रसाद मौर्य की हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्नातक डिग्री फर्जी है। इसी को लेकर हाईकोर्ट में फिर केस दायर किया है।