वन विभाग की सांठगांठ से लकड़ कट्ठों के हौसले बुलंद

आरामशीन संचालक पर नहीं हुई कार्यवाही
गल्ला मण्डी में अवैध कटान का प्रकरण
वन विभाग की साँठ-गाँठ से आरामशीनों पर हो रहा है अवैध कटान की लकड़ी का चिरान
ललितपुर। हालही में मण्डी परिसर में लगे शीशम के पेड़ काटने मामले में वन विभाग ने मामला तो दर्ज कर दिया है। किन्तु आरामशीन संचालक के खिलाफ कोई भी कार्यवाही अमल में नहीं लायी गयी, जबकि लकड़ी बरामद आरामशीन से हुई हैं, ऐसे में आरामशीन संचालकों व वन विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत स्पष्ट दिखायी दे रही है। तो वहीं विभाग के अनुसार लकड़ी आरामशीन के अन्दर नहीं थी, वह परिसर से बाहर थी, इसलिए कार्यवाही नहीं जा सकी है।
जनपद में आरामशीनों पर अवैध कटान आम बात हो गयी है, जनपद मुख्यालय के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी आरामशीनों पर दिन दहाड़े व रात के अंधेरे में अवैध कटान की जाती रही है, लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों को जानकारी के बाद भी कोई कार्यवाही न करना संदेह के घेरे में खड़ा करता है। ऐसा ही प्रकरण हालही में प्रकाश में आया है, गल्ला मण्डी में प्रतिबन्धित शीशम के पेड़ काटे गये, साथ ही इन पेड़ों की चिरान जनपद मुख्यालय पर राजघाट रोड स्थित आरामशीन पर होना था, यही नहीं चिरान होने के लिए आरामशीन पर लकड़ी पहुंच भी गयी थी, किन्तु बाद में इसकी सूचना खबरनबीसों को लगी, तो वह मौके पर पहुंच गये और वन विभाग के आलाधिकारियों को इसकी सूचना भी दी।
वन विभाग ने मण्डी में कार्यरत गार्ड के खिलाफ मामला दर्ज किया गया , साथ ही वहाँ पर मण्डी सचिव को भी नोटिस जारी किया, किन्तु आरामशीन संचालक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी, इससे आरामशीन संचालकों व वन विभाग साँठ-साँठ स्पष्ट उजागर हो रही है। बताते चलें कि इसी प्रकार बार रेंज अन्तर्गत देवरान में स्थापित हैं। इस आरामशीन का पाहिया नहीं रूकता है। यह आरामशीन 24 घण्टे संचालित होती है। आठ-आठ घण्टों की सिफ्ट में कर्मचारी बदलते हैं। जबकि शासनादेश के तहत शाम 6 बजे के बाद आरामशीन संचालित नहीं की जा सकती है। परन्तु इस आरामशीन पर यह कानून लागू नहीं होता है।
सूत्रों की मानें तो बार पुलिस व वन विभाग से आरामशीन संचालक अच्छी साँठ-गाँठ है। इसलिए यह हमेशा उन पर मेहरबान बने रहते हैं। बताते चलें कि आरामशीन संचालक के पास कई ट्रैक्टर व कुशल श्रमिक हैं। साथ ही आरामशीन की त्रिज्या में कई जमीनें हैं। जहाँ वह अवैध कटान से आयी लकड़ी रखता है। मशीन पर आवश्यकता के अनुसार लकड़ी पहुंच जाती है। मजेदार बात तो यह है कि सुबह के समय आरामशीन पर जलावन लकड़ी नहीं मिलती है। उक्त आरामशीन पर दिन में ग्राहकों की लकड़ी का रिचारा होता हे। यहाँ पर ग्राहकों को आर्डन के अनुसार चिरान कर लकड़ी दी जाती है। स्टॉक आरामशीन पर नहीं रखा जाता है।
आरामशीन संचालक का नेटवर्क इतना तड़ा है कि कोई भी ठेकेदार उनके क्षेत्र से लकड़ी कटवाकर नहीं जा सकता है। उसकी लकड़ी पकड़वा दी जाती है, भले ही वह वैध हो, या फिर गैर प्रतिबन्धित हो। साथ ही उक्त ठेकेदार पर कई हजार रूपया जुर्माना भी लगवा दिया जाता है। जिससे कोई ठेकेदार दुवारा लकड़ी कटवाने की जुर्रत नहीं कर पाता है। आरामशीन संचालक द्वारा क्षेत्र के हर वर्ष हजारों हरे भरे पेड़ जो सरकार द्वारा प्रतिबंधित हैं, कटवा दिये जाते हैं। आरामशीन संचालक के पास हर तरह की लकड़ी काटने की मशीने हैं। जो घण्टों का मिनटों में कर देती हैं। लेकिन विभाग इन आरामशीन संचालकों पर लगाम नहीं कस रहे हैं।
मण्डी परिसर में काटे गये पेड़ आरामशीन के बाहर से बरामद हुये हैं, अगर परिसर के अन्दर से बरामद होते, तो निश्चित ही आरामशीन संचालक के खिलाफ कार्यवाही की जाती।
डीएन सिंह
प्रभागीय निदेशक समाजिक वानिकी, ललितपुर।

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