लखनऊ। यूपी की शिक्षा व्यवस्था के हाल सरकार बदलने के बाद भी बदहाल दिख रहे है। सरकार भी इसे सुधार पाने में नाकाम दिख रही है इसकी बानगी लखनऊ में ही दिख रही है जहां से प्रदेश की सरकार संचालित की जाती है। उल्लेखनीय है कि किसी कॉलेज को परीक्षकों का ब्योरा नहीं मिला तो किसी स्कूल के छात्रों की नामावली गायब है। यह हाल तब है जब यूपी बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षाएं शनिवार से शुरू हो गयी है। कॉलेज प्रशासन परेशान है और शिक्षा विभाग उनको सही जानकारी भी नहीं दे पा रहा है। यही नहीं यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर शिक्षकों का पूरा ब्योरा तक अपलोड नहीं हो पाया है।
यूपी बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षाएं शुरू होने से पहले ही पटरी से उतर गई है। जिले में यूपी बोर्ड से सम्बद्ध करीब 850 कॉलेज है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने प्रायोगिक परीक्षाओं के लिए परीक्षकों की जानकारी शिक्षा विभाग को भेजना शुरू कर दी है। आठ सौ स्कूलों में से गुरुवार को महज 110 कॉलेजों लिफाफे ही विभाग के पास पहुंचे है। ऐसे में गुरुवार को परीक्षकों की जानकारी लेने पहुंचे बहुत से कॉलेजों को निराश होकर वापस लौटना पड़ा।
ऐसे में परीक्षकों की जानकारी तक उनके पास नहीं है, जिससे वह सम्पर्क करके जानकारी हासिल कर सके। कॉलेजों का कहना है कि छात्रों को भी प्रायोगिक परीक्षा को लेकर सही जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। बोर्ड ने कॉलेजों को दो लिफाफे भेजे हैं। इसमें एक लिफाफे में परीक्षक की जानकारी व उसका मोबाइल नम्बर है जबकि दूसरे लिफाफे में छात्रों की नामावली है। जिनको परीक्षा में शामिल है।
गुरुवार को बोर्ड की ओर से कॉलेजों को आधे अधूरे लिफाफे भेजे गए हैं। किसी कॉलेज को परीक्षक की जानकारी का लिफाफा भेजा गया है तो किसी के पास छात्रों की नामावली आई है। ऐसे में कॉलेज और छात्र दोनों ही परेशान है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने दावा किया था कि प्रायोगिक परीक्षकों की सूची वेबसाइट पर अपलोड भी की गई है। कॉलेजों का कहना है कि इसमें भी आधी अधूरी जानकारी दी गई है। कई कॉलेजों के नाम गायब है। तो कई परीक्षकों के नाम तक नहीं है। वहीं, छात्र रोजाना प्रायोगिक परीक्षा की तिथि जानने के लिए कॉलेजों के चक्कर लगा रहे हैं। आज भी इसका नजारा कई क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है।