आरडीएसओ ने बनाई अनोखी डिवाइसः अब रेल हादसों पर लगेगी लगाम!

लखनऊ। देश भर में बढ़ते रेल हादसों में हर साल सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। पिछले महीनों में उत्तर प्रदेश में कई बड़े और छोटे रेल हादसे हुए थे जिसमें कई की जानें चली गयीं थी और सैकड़ों घायल हो गये थे। इन रेल हादसों से रेलवे पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे थे। वहीं कई जगह पटरी चटकने या टूटने से सबसे ज्यादा हादसे पेश आये थे। इसको देखते हुए किसी ऐसी डिवाइस की खोज जरूरी हो गयी थी जिससे इन हादसों को होने से रोका जा सके।  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) ने एक ऐसी अनोखी डिवाइस तैयार की है, जिसकी मदद से रेलवे को ट्रेन के गुजरने से पहले ही टूटी पटरियों की जानकारी मिल जाएगी। इस उपकरण की मदद से आए दिन होने वाले रेल हादसों से बचा जा सकता है। यह उपकरण अगले तीन महीने के भीतर लगनी शुरू हो जाएगी। आरडीएसओ के अधिकारियों के मुताबिक, अल्ट्रासोनिक स्कैन डिवाइस तैयार कर ली गई है। इस डिवाइस की मदद से रेल पटरियों में टूट-फूट तुरंत पकड़ में आ जाएगी और हादसों को टालना आसान हो जाएगा।

 

 

उल्लेखनीय है कि इस बारे में सूत्रों से मिल रही जानकारियों के अनुसार रेलवे के सूत्रों के मुताबिक विभाग रेल पटरियों में टूट-फूट से निपटने के लिए अभी तक सिंगल व डबल रेल टेस्टर स्कैन विधि का इस्तेमाल करता आ रहा था। लेकिन अब दो से तीन महीने में यह मशीन ट्रैक पर लगनी शुरू हो जाएगी और जल्द ही इसका असर दिखने लगेगा। रेलवे इस तरह के आधुनिक डिवाइस की कमी लंबे अरसे से महसूस कर रहा था। इस डिवाइस के बनने के बाद पटरियों की बेहतर तरीके से जांच की जा सकेगी। इससे रेल हादसों पर लगाम लगने की उम्मीद है। आरडीएसओ के कार्यकारी निदेशक नवीन कुमार सिन्हा ने कहा कि नई डिवाइस से काफी उम्मीद बंधी है। रेलवे पटरियों में टूट-फूट व अन्य खामियां पकड़ने के लिए अभी तक सिंगल व डबल रेल टेस्टर स्कैनर विधि का इस्तेमाल करता आ रहा है। इस तकनीक में किसी भी तरह की खामियों का डाटा लगातार रिकॉर्ड नहीं हो पाता है। उन्होंने बताया कि पुरानी तकनीक के इस्तेमाल में एक ऑपरेटर की भी जरूरत पड़ती थी, जो डाटा पर लगातार नजर रखे रहता था। ऑपरेटर अगर सतर्क नहीं हुआ तो सही डाटा नहीं मिल पाता था।

 

 

इस डिवाइस के बारे में जानकारी देते हुए  आरडीएसओ के इस वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पटरियों की खामियां पकड़ने के लिए इससे उन्नत तकनीक अल्ट्रासोनिक स्कैन विधि विकसित कर ली गई है। इसके जरिए पटरियों की जांच बेहतर तरीके से की जा सकेगी। साथ ही इसमें ऑपरेटर की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। यह अपने आप समय व स्थान का डाटा रिकॉर्ड करता रहेगा। इसे बाद में देखा जा सकेगा। सिन्हा ने बताया कि साथ ही पुरानी पटरियों के स्कैन से तुलना करने पर पटरियों के बदलाव की जानकारी भी हो सकेगी। आरडीएसओ ने सभी जोनल रेलवे को डिवाइस को लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिया है। अब माना जा रहा है कि देश भर में इस डिवाइस का प्रयोग शुरू हो जाएगा। अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो देश में पटरी चटकने या टूटने से होने वाले हादसों पर पूरी तरह से कंट्रोल लगाया जा सकेगा।

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