चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य, उत्तराखंड की प्रभारी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकार लाखों गरीब परिवारों से शिक्षा का अधिकार छीनना चाहती है।
सरकारी स्कूलों में 8वीं तक मुफ्त शिक्षा का प्रावधान होने के बावजूद आज तक किताबें नहीं पहुंच पाई हैं। शिक्षा नियम की धारा 134ए को खत्म करने वाली भाजपा सरकार अपने दावों के विपरीत आज तक चिराग योजना के तहत भी निजी स्कूलों में दाखिले नहीं करवा पाई है, जबकि शैक्षणिक सत्र 01 अप्रैल से शुरू हो रहा है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कांग्रेस सरकार की देन है। हर घर तक, हर बच्चे तक शिक्षा की अलख पहुंचे, इस उद्देश्य से प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सरकार ने पूरे देश में इसे लागू किया। प्रदेश में शिक्षा के अधिकार व एजुकेशन रूल 134ए के तहत निजी स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों को दाखिला देने की व्यवस्था रही। लेकिन, भाजपा सरकार ने एजुकेशन रूल 134ए को खत्म कर दिया और चिराग योजना लेकर आ गए।
इस चिराग योजना के तहत भी नए शैक्षणिक सत्र के लिए कोई दाखिल अभी नहीं हुआ है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पिछले साल छात्रों को 05 महीने देरी से किताबें मिल पाई थी। शोर मचा तो इस बार नए सत्र से पहले ही किताबें पहुंचाने का वादा सरकार ने किया, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। प्रदेश के 07 जिले फतेहाबाद, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर, झज्जर तो ऐसे हैं, जिनमें छठी से 8वीं की एक भी किताब नहीं पहुंची है। रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ जिले में तीसरी कक्षा की किताबें नहीं पहुंची हैं।
कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा गरीबों परिवारों के बच्चों को शिक्षा न देने की है। इसलिए ही सरकारी स्कूलों की स्थिति को भी नहीं सुधारा जा रहा। अगर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर ठीक को जाए तो फिर लोगों को प्राइवेट स्कूलों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन, स्कूल माफिया की मिलीभगत के चलते सरकारी स्कूलों में बिल्डिंग व स्टाफ समेत किसी भी कमी को दूर नहीं किया जा रहा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार अगर चाहे तो एक दिन में ही चिराग योजना के तहत बच्चों के दाखिले करवा दे, लेकिन ऐसा करने की सरकार के पास कोई इच्छा शक्ति है। सरकार की निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत है, इसलिए बच्चों व उनके अभिभावकों के चक्कर कटवाए जा रहे हैं, ताकि वे खुद ही निजी स्कूलों में दाखिले के अधिकार का त्याग कर दें।