महमूदाबाद सीतापुर। लखनऊ से महज करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित महमूदाबाद कस्बे में निजी स्कूलों के वाहन मौत के परकाले बनते जा रहे है। उल्लेखनीय है कि भले ही योगी सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगा दी हो लेकिन महमूदाबाद क्षेत्र में अभी इसका कोई खास असर नही दिख रहा हैं क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों मे सुविधाओं व अच्छी शिक्षा के नाम पर अभिभावकों से हजारो रूपयों की फीस वसूलने वाले निजी विद्यालय ही बच्चों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। क्योंकि यह निजी विद्यालय स्कूली वाहनों में बच्चो को भेड बकरियों की तरह ढूस ढूस कर भर कर उनको उनके घर तक पहुचाते हैं जो कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं यह स्कूली वाहन बिना फिटनेस बिना परमिट के अवैध तरीके से देश के कर्णधार नौनिहालो पर मौत का साया बनकर वाहन चलाते हैं।
यह तस्वीर बयां कर रही हैं कि महमूदाबाद में किस तरह की गाडियों से बच्चों को उनके घर से लाने ले जाने का काम किया जा रहा हैं जब नगर के मुख्य मार्ग पर बच्चों से भरी गाडी बन्द हो गयी तो उन नन्हे मुन्हे मासूम बच्चों से गाडी में धक्का लगवाया गया क्या इसी तरह से क्षेत्र में बेलगाम चलते रहेगे अवैध स्कूली वाहन अगर बात की जाये तो शहर में शायद ही कोई एक आध ऐसा विधालय होगा जो इन यातायात नियमों का पालन करता होगा क्योंकि जब आरटीओ व एआरटीओ वाहनो की चेकिंग करते हैं तो वह इन स्कूली वाहनो को देख कर आखे क्यों बन्द कर लेते है। जिले से लेकर तहसील तक यह स्कूली वाहनो का खेल जारी हैं सैकडो की संख्या में स्कूली वाहन अवैध तरीके से बच्चों को लाने ले जाने का काम करते है।
यह निजी विधालय सुविधाओं व अच्छी पढाई के नाम पर अभिाभावको से केवल रूपये ऐढने का काम करते हैं इतना ही जब यही स्कूल मई जून जब स्कूल बन्द हो जाते तब भी अभिावाको से फीस वसूल ली जाती हैं। अभिभावको से स्कूली वाहन के नाम पर हजारो रूपये की शुल्क वसूलते हैं और अवैध रूप से चलने वाले स्कूली वाहन जिनमें मैजिक, टैक्सी, टैम्पो, ई रिक्सा बसे आदि से बच्चों को ढोया जाता हैं। लेकिन क्या आपके बच्चे को वाहन सुविधा मिलती हैं वाहन सुविधा के नाम पर खिलवाड किया जाता हैं क्योंकि उनका केवल एक मात्र लक्ष्य होता हैं अधिक से अधिक पैसा कमाना।
यदि सूत्रो की माने तो कई ऐसे विद्याालय हैं जिनमें खटारा वाहनो को डेंटिग पेंटिग करके उन्हे नया करके चलाया जा रहा हैं। ऐसा नही हैं कि अभिभावक को इसकी जानकारी नही हैं लेकिन बच्चो को स्कूल छोडने की फुर्सत नही हैं। क्या हैं मा0 सर्वोच्च न्यायालय का आदेश-1 बसो के आगे पीछे स्कूल बस लिखा होना चाहिए। स्कूली बसो में प्राथमिक चिक्त्सिा बाक्स होना चाहिए।
अगर किसी ऐजेंसी से बस अनुबंधित पर ली गयी हैं तो उस पर आन स्कूल डियूटी लिखा होना चाहिए। बसो में सीट क्षमता से अधिक बच्चे नही होने चाहिए। प्रत्येक स्कूली वाहन में हंरिजेटल ग्रिल लगी हो। स्कूल वाहन पीले रंग का हो जिसके बीच में नीले रंग की पपटअी पर स्कूल का नाम व मोबाईल नम्बर लिखा। बसो के दरवाजे को अन्दर से बन्द करने की व्यवस्था होनी चाहिएा। बसो में सीट के नीचे बैग रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। बाहन में कम से कम एक टीचर जरूर हो जो बच्चो पर नजर रख सके। प्रत्येक वाहन चालक को कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए।
किसी भी ड्राईवर को रखने से पहले उसका सत्यापन जरूरी हैं तथा बस में कम से कम दो चालक हो। चालक का कोई भी चालान नही होना चाहिए औंर उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नही होना चाहिए। यह वह नियम हैं जिनका अनुपालन करने पर पूरी तरह फिट वाहन होते हैं अब देखना यह हैं कि आखिर प्रशासन इन अवैध डग्गामार स्कूली वाहनो के खिलाफ कार्यवाही करता है या नही।