दलितों-आदिवासियों के बाद अब ओबीसी को छलना चाहती है भाजपाः माया

-ब्यूरो न्यूज 7 एक्सप्रेस

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने आज प्रेस काफ्रेंस करके भाजपा पर करारा हमला बोला है। मायावती के अनुसार भाजपा देश के दलितों और आदिवासियों की तरह ही ओबीसी को भी छलना चाहती है। मायावती ने कहा कि राजनीति, शिक्षा, रोजगार और न्यायपालिका में ओबीसी के हक को वंचित करने वाली भाजपा अब लोकसभा और हिन्दी भाषी प्रदेशों के चुनावों को देखते हुए उन्हे छलना चाहती है। मायावती ने आरोप गाया कि ओबीसी को लुभाने के लिए ही संसद में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का विधेयक लाया गया है। मायावती ने पूछा कि सवा चार साल तक ये बिल न लाने वाली भाजपा अब क्यों ला रही है इसका मतलब यही निकलात है कि यह सिर्फ चुनावी और राजनीतिक स्वार्थ के लिए ही यह विधेयक लाया जा रहा है।

 

 

मायावती ने कहा कि दलितों व आदिवासियों के संवैधानिक व कानूनी हक व हकूक को लगातार नकारने के साथ-साथ इनके ऊपर अनेकों प्रकार की जुल्म-ज्यादती करते रहने की नीयत व नीति को त्याग करके, पिछड़े वर्ग के लोगों के हित व कल्याण के मामले में भी बीजेपी सरकारों को थोड़ी गंभीरता व ईमानदारी अवश्य दिखानी चाहिये और राजनीति के साथ-साथ शिक्षा व सरकारी नौकरियों में इनके आरक्षण के कोटा को खाली रखकर इनका हक नहीं छीनना चाहिये तथा इसके बजाय सभी स्तर पर इनको आरक्षण का लाभ सुनिश्चित करना चाहिये। परन्तु बड़़े दुःख की बात है कि पिछले लगभग सवा चार वर्षों के केन्द्र में इनके शासनकाल में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है लेकिन अब जबकि लोकसभा व मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ आदि राज्यों का आमचुनाव नजदीक आ गया है, तो अब पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने सम्बन्धी विधेयक संसद में लाकर उन्हें लुभाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि चुनाव में इनका कुछ वोट हासिल कर लिया जाये। इस प्रकार से ओ.बी.सी. वर्गों को छलने का बीजेपी सरकार का यह प्रयास है, जिससे इन वर्गों को सावधान रहने की जरूरत है।

 

 

भाजपा पर करारा हमला बोलते हुए मायावती ने कहा कि बीजेपी को जवाब देना चाहिए कि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर मंडल आयोग की सिफारिशों का विरोध क्यों किया गया था। भाजपा यह भी जवाब दे कि वीपी सिंह की सरकार को क्यों गिराया गया था। मायवती ने कहा कि भाजपा सदियों से उपेक्षित चल रहे वर्ग के बहुसंख्यक लोगों को आगे बढ़ता नहीं देख सकती है। उल्लेखनीय है कि मायावती 2019 इलेक्शन को देखते हुए गठबंधन पर पूरी कोशिश कर रही है। समाजवादी पार्टी से उनकी बात हो चुकी है लेकिन सीटों पर अभी भी पसोपेस है।

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