जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में मची उथल फुथल के बाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों नेता गांधी परिवार के किसी नेता से मिलना चाहते हैं लेकिन इन दोनों नेताओं को मिलने का समय नहीं दिया जा रहा। 11 अप्रेल को एक दिवसीय अनशन के बाद सचिन पायलट दिल्ली गए थे। दो दिन दिल्ली में डेरा डाले रहे लेकिन सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात नहीं कर सके।
पायलट दिल्ली से वापस लौटे तो अब शुक्रवार 21 अप्रेल की शाम को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली गए। गहलोत भी दो दिन से दिल्ली में डटे हुए हैं लेकिन रविवार सुबह तक वे गांधी परिवार के किसी सदस्य से मुलाकात नहीं कर पाए। प्रदेश कांग्रेस में इतनी बड़ी उथल फुथल के बावजूद गांधी परिवार का राजस्थान के नेताओं से नहीं मिलने के अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
11 अप्रेल की शाम को जब सचिन पायलट दिल्ली गए थे। तब राहुल गांधी दिल्ली में ही थे। दो दिन बाद राहुल गांधी कर्नाटक दौरे पर गए। 21 अप्रेल की शाम को जब अशोक गहलोत दिल्ली गए थे तब भी राहुल गांधी दिल्ली में ही थे। 22 अप्रेल को राहुल गांधी दिनभर अपनी मां सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के साथ थे। 22 अप्रेल को ही राहुल गांधी ने अपना सरकारी बंगला 12 तुगलक रोड़ को खाली किया था और बंगले की चाबियां प्रशासन को सौंपी।
इस दौरान भी सोनिया और प्रियंका गांधी राहुल के साथ मौजूद थी लेकिन अशोक गहलोत दिल्ली में होते हुए भी कहीं नजर नहीं आए। अमूमन देखा जाता है कि जब किसी विशेष प्रयोजन के लिए गहलोत दिल्ली जाते हैं तो सोनिया गांधी से जरूर मिलते हैं लेकिन शुक्रवार और शनिवार को वे गांधी परिवार के किसी भी सदस्य के साथ मुलाकात नहीं कर पाए।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में जो कुछ चल रहा है। उन हालातों से गांधी परिवार और कांग्रेस आलाकमान खुश नहीं हैं। गांधी परिवार अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों नेताओं के साथ तालमेल बैठाकर चलना चाहते हैं लेकिन इन दोनों नेताओं के बीच कोई तालमेल नहीं बैठ रहा। पिछले चार साल से दोनों को साथ लेकर चलने की तमाम कोशिशें की गई लेकिन गहलोत और पायलट के बीच पटरी नहीं बैठी। दोनों के बीच तालमेल बैठना तो दूर, पिछले चार साल में दोनों नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ जहर उगलने में कोई कमी नहीं रखी। पिछले चार साल में गहलोत और पायलट के साथ उनके समर्थकों ने जमकर बयानबाजी की।
राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और पायलट के बीच झगड़े की मुख्य वजह मुख्यमंत्री की कुर्सी है। पायलट कुर्सी पाना चाहते हैं और गहलोत कुर्सी छोड़ना नहीं चाहते। इसी कुर्सी को लेकर दोनों के बीच कसमकस जारी है। इस मसले पर गांधी परिवार ने कोई फैसला नहीं लिया है। बताया जा रहा है कि सवा चार साल पहले जब गहलोत को कुर्सी सौंपी थी कि पायलट को ऐसा कहा गया था कि ढाई साल बाद उन्हें कुर्सी दे दी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सितंबर 2022 में भी गांधी परिवार सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी देने वाले थे लेकिन गहलोत गुट के नेताओं की बगावत ने पायलट के सपनों पर पानी फेर दिया।
गहलोत और पायलट दोनों गांधी परिवार के नजदीकी नेता माने जा रहे हैं लेकिन गांधी परिवार इन दोनों नेताओं में ना तो तालमेल बैठा हा रहा है और ना ही इनके बारे में कोई ठोस निर्णय ले पा रहे हैं। दोनों में से किसी एक नेता को चुनना गांधी परिवार के लिए आसान नहीं है क्योंकि दोनों में नेताओं में से किसी एक के नाराज होने से पार्टी को बड़ा नुकसान होना तय है। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)