नयी दिल्ली। एनआरसी की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद जहां सड़क से लेकर संसद तक हंगामा मचा हुआ है। वहीं भाजपा इस मुद्दे को अपनी सफलता के रूप में देख रही है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने अब इस मामले में पश्चिम बंगाल का नाम भी आगे कर दिया है। भाजपा के इस नेता ने कहा कि अगर भाजपा राज्य में सत्ता में आयी अब नेशनल नागरिक रजिस्टर को पश्चिम बंगाल में भी लागू किया जाएगा। भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं दिलीप घोष और कैलाश विजयवर्गीय द्वारा यह मामला उठाए जाने के बाद अब पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूकंप आने के इशारे दिखाई देने लगे है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम में इस रजिस्टर की लिस्ट पर अपना तीखा बयान देते हुए इसे गलत बताया था।
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में भी इसी तर्ज नागरिकों की पहचान कराने की बात कही है। बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि अगर उनकी पार्टी की सरकार आती है तो असम की तरह ही बंगाल में भी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) जारी किया जाएगा। बीजेपी महासचिव और पश्चिम बंगाल में बीजेपी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने भी इसे लेकर संकेत दिए हैं। नादिया जिले में सभा को संबोधित करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने ममता बनर्जी पर बड़ा हमला किया। कैलाश विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल में घुसैपिठियों का मुद्दा भी उठाया। बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय में इशारा किया है कि असम के बाद अगला नंबर पश्चिम बंगाल का हो सकता है। एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, अगर असम में एनआरसी से 40 लाख घुसपैठिए पकड़े गए तो पश्चिम बंगाल में ये तादाद करोड़ों में है। असम में सुप्रीम कोर्ट ने मॉनटरिंग की।
एनआरसी मामले में अपनी पार्टी का रूख साफ करते हुए दिलीप घोष ने कहा अगर पश्चिम बंगाल में भाजपा सत्ता में आती है तो हमलोग राज्य में भी एनआरसी लागू करेंगे। हमलोग अवैध नागरिकों को बांग्लादेश वापस भेजेंगे। आने वाले दिन मुश्किल भरे हैं। हमलोग किसी अवैध प्रवासी को पश्चिम बंगाल में नहीं बर्दाश्त नहीं करेंगे। इतना ही नहीं घोष ने यहां तक कह दिया कि जो लोग अवैध प्रवासियों का समर्थन करते हैं उन्हें भी देश से निकाल बाहर किया जाएगा। घोष ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में असम में एनआरसी लागू किया गया है। यह कांग्रेस ही थी जिसने एनआरसी का विचार पेश किया था। अब वे इसके खिलाफ बोल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को नेशनल नागरिक रजिस्टर में असम में 40 लाख से ज्यादा लोगों को वैध शहरी नहीं माना गया है। इसपर असम में तनावभरी हालत है। विपक्षी पार्टियां इसके लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही हैं वहीं सरकार कह रही है कि उसका इसमें कोई हाथ नहीं है बल्कि यह सब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हो रहा है।