नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में लॉकडाउन है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार थम गई है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ COVID-19 के वजह से उत्पन्न हुई आर्थिक समस्या और उसके समाधान को लेकर बातचीत की है।
इस दौरान दोनों ने अर्थव्यवस्था की चुनौतियां, कोरोना संकट से निकलने को लेकर मंथन किया। नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने इस दौरान सलाह दी कि लोगों के हाथ में कैश पहुंचाने की जरूरत है, ऐसे में इस वक्त कर्ज को माफ करना चाहिए और कैश की मदद देनी चाहिए।
कोरोना संकट की वजह से पैदा हुई स्थिति को लेकर राहुल गांधी ने कहा, ”बहुत से व्यवसाय इस झटके की वजह से दिवालिया हो सकते हैं। इसलिए इन व्यवसायों को होने वाले आर्थिक नुकसान और लोगों की नौकरी बनाए रखने की क्षमता के बीच सीधा संबंध है।”
इस पर अभिजीत बनर्जी ने कहा, ‘’यही कारण है कि हम में से बहुत से लोग कहते रहे हैं कि हमें प्रोत्साहन पैकेज की जरूरत है। अमेरिका, जापान, यूरोप यही कर रहे हैं। हमने बड़े प्रोत्साहन पैकेज पर फैसला नहीं लिया है। हम अब भी जीडीपी के 1 फीसदी पर हैं। अमेरिका 10 फीसदी तक चला गया है। हमें MSME सेक्टर पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। ऋण भुगतान पर रोक लगाकर बुद्धिमानी का काम किया गया है। इससे ज्यादा किया जा सकता था। इस तिमाही के लिए ऋण भुगतान रद्द किया जा सकता था और सरकार उसका भुगतान करती।’’
मुखर्जी ने कहा, ‘’हर किसी के हाथ में पैसा दिया जाए, ताकि वो सामान खरीद सके। रेड जोन में सरकार कह सकती है कि लॉकडाउन खत्म होने पर लोगों के खाते में 10000 रुपये होंगे और वो इसे खर्च कर सकते हैं। अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए खर्च बढ़ाना आसान तरीका है क्योंकि जब MSME को पैसा मिलता है, वे इसे खर्च करते हैं और फिर इसकी सामान्य केन्जियन चेन रिएक्शन होती है।’’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि बड़े फैसले भले ही केंद्र सरकार ले, लेकिन लॉकडाउन या जमीनी फैसलों को राज्य सरकार को लेने दिया जाना चाहिए. लेकिन, मौजूदा सरकार अलग हिसाब से चल रही है और केंद्र से ही फैसला ले रही है।
अभिजीत ने कहा कि केंद्र को गरीबों के लिए नई योजना लाने की जरूरत है, वहीं राज्यों और जिला अधिकारियों को गरीबों को लेकर सीधा लाभ पहुंचाने की जरूरत है।
अभिजीत ने बताया कि इंडोनेशिया इस वक्त लोगों को कैश ट्रांसफर कर रहा है, वह लोगों पर ही छोड़ रहे हैं कि किसे इस वक्त पैसे की जरूरत है। सरकार से अधिक लोगों को पता होता है कि किसे इस वक्त पैसों की जरूरत है।
अभिजीत ने कहा कि आज भी कई ऐसी योजनाएं हैं जिनसे लोग नहीं जुड़ पाए हैं, ऐसे में आज ये जरूरत है कि उन लोगों तक भी मदद पहुंचाई जाए। हमें इस बात को भूलना चाहिए कि इससे कुछ लोगों को फायदा पहुंच सकता है, लेकिन इस वक्त रिस्क लेने की जरूरत है क्योंकि ये समय की मांग है।
इसके बाद राहुल गांधी ने पूछा, ”तो हम NYAY जैसी योजना या सबसे गरीब लोगों को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के बारे में बात कर रहे हैं?”
मुखर्जी ने इसके जवाब में कहा, ”मैं इसे व्यापक स्तर पर देखूंगा क्योंकि मुझे लगता है कि चिह्नित करना बेहद महंगा पड़ सकता है। इस संकट के समय में सरकार उनको चिह्नित करने की कोशिश करेगी, जो 6 हफ्ते तक अपनी दुकान बंद रखने के बाद गरीब हो गए हैं। मुझे नहीं पता वे इसे कैसे समझेंगे। निचले तबके की 60 फीसदी आबादी को पैसा देने में कोई बुराई नहीं है। शायद उनमें से कुछ को इसकी जरूरत नहीं होगी, लेकिन वे इसे खर्च करेंगे। अगर वे खर्च करते हैं तो इसका अच्छा असर होगा।”
बता दें कि अभिजीत बनर्जी को आर्थिक क्षेत्र में योगदान के लिए बीते साल ही नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया था।