सीतापुर। उत्तर प्रदेश सरकार किस शक्ति की कवायद जिस तरीके से समूचे उत्तर प्रदेश में दिखाई पड़ रही है और अधिकारियों और कर्मचारियों में उसका खौफ दिख रहा है पर बाल विकास विभाग इससे अलग ही नजरिया पेश कर रहा है। क्योंकि इसमें ऐसा नहीं लग रहा है कि कहीं पर भी उत्तर प्रदेश सरकार और योगी नेतृत्व का खौफ नजर आ रहा हो बल्कि यहां पर लापरवाही ही लापरवाही देखने को मिल रही है और इस लापरवाही में बहुत हद तक विभागीय अनदेखी तो नजर आ ही रही है। साथ में विभाग जुड़े हुए विकास खंड स्तरीय ओहदेदार अधिकारी की लापरवाही भी सामने आ रही है कहने का मतलब साफ समझा जा सकता है कि तात्पर्य है कि सीडीपीओ स्तर से भी लापरवाही जमकर हो रही है और यह लापरवाही ही विभागीय अनदेखी का जमकर साथ निभा रही है।
क्योंकि अगर विकास खंड स्तरीय बाल विकास परियोजना अधिकारी अपनी सख्ती मुख्य सेविकाओं के ऊपर लगाम की तरीके से लगा दे तो ऐसा कतई संभव नहीं है कि वह किसी भी प्रकार की कोताही करें और विभाग के प्रति लापरवाही करें जिससे कि सरकारी योजनाओं के संचालन में बाधा आए। लेकिन यह अधिकारी ही अपने में ही मशरूफ हैं क्योंकि जो स्वयं ही विकास खंड स्तर पर अपना निवास नहीं बनाए हुए और अपना कार्य सही तरीके से दायित्वों का निर्वाहन नहीं कर रहे हैं। वह किसी के ऊपर किस तरीके से लगाम लगाएंगे क्यों की उंगलियां उनके ऊपर पहले उठेगी जिससे यह कयास लगाया जा सकता है की उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश महज एक कागज का टुकड़ा ही बनकर रह जाएगा और इनके लिए प्रभावी कितना होगा यह आज भी हर खंड क्षेत्र परियोजना में देखा जा सकता है।
सीतापुर की हर खंड क्षेत्र परियोजना का लगभग इसी तरीके का यही हाल है कहीं भी कोई मुख्य सेविका और बाल विकास परियोजना अधिकारी अपने खंड स्तर या मुख्य सेविकाए अपने क्षेत्रों निवास कर रही हो जिससे कि है आदेश किसी भी तरीके से कहीं पर भी प्रभावी देखा गया हो। लगभग हर खंड क्षेत्र का यही हाल काफी पुराना है बताते चलें कि जानकारों का भी यह मानना है कि यह कोई नया आदेश नहीं है काफी पुराना आदेश को पुनः आदेशित किया गया है। क्योंकि सरकार को भी यह कहीं ना कहीं लगता अवश्य है कि विभाग में तैनात कर्मचारी अपने उत्तरदायित्व का सही तरीके से पालन नहीं कर रहे जिससे कि उनको इस तरीके के कड़े फैसले लेने पर रहे है।
लेकिन फैसला तभी सही और प्रभावी माना जाएगा जब इसका पालन भी उसी तरीके से कराया जाए कहने का स्पष्ट नजरिया है कि सख्ती से अनुपालन कराया जाए क्योंकि यह कोई आम आदेश नहीं है उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव स्तर का फरमान है जो सभी के लिए सर्वमान्य होना चाहिए लेकिन कहीं पर भी ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है कि यह सही है और इसका सही तरीके से पालन किया जा रहा है साफ देखा जा सकता है।जिससे की स्थिति साफ स्पष्ट हो रही है जो की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती और इससे साफ जाहिर हो रहा है कि विभागीय अनदेखी के साथ साथ इसमें बाल विकास परियोजना अधिकारियों की भी मिलीभगत को नकारा नहीं जा सकता।
क्योंकि अगर उनकी सख्त रवैया हो तो ऐसा होना कतई भी बर्दाश्त के बाहर होगा लेकिन जब स्वयं ही नियमों की अनदेखी करना और गैर जिम्मेदारी पूर्ण काम करना स्वयं बाल विकास परियोजना अधिकारी ही शामिल है तो फिर विभाग में अनियमितताओं की भरमार होना लाजमी और इस पर लगाम लगाई जाना कतई संभव नहीं हो पाएगा जिसे ऐसा देखा जा रहा है कि सरकार का नियम और कानून उनके लिए महज एक कागदी आदेश है और इसके अतिरिक्त उनके लिए उनके ऊपर कोई फर्क डालने जैसा नहीं लगता है। जब तक इसमें सरकार का सख्त रवैया शामिल नहीं होता कहने का अर्थ साफ है कि इस पर सख्त नीति प्रशासनिक स्तर से नहीं होती जिससे कि बाल विकास परियोजना अधिकारियों की निगरानी की जाए और देखा जाए कि आखिर ऐसा करने में वह क्यों असमर्थ हैं।
जिससे कि कोई भी अपने क्षेत्र में निवास नहीं कर रहा है और यह तभी संभव है जब या तो विभाग में बैठे जनपद के उच्चाधिकारी इस पर कोई नई रणनीति बनाई या फिर प्रशासनिक स्तर से कोई प्रतिक्रिया हो जिससे कि इन पर लगाम लगाई जाए और यह मामला सुधर सके और समझ में आ सके लेकिन यह तब तक होना असंभव लगता है जब तक कि इसकी आंतरिक स्तर से जांच ना हो जाए जिससे विभाग में फैली हुई जानकारियां निकल कर सामने आए और उसके बाद कोई कार्यवाही की जाए तब जाकर कहीं व्यवस्था सुधर सकती है और इस व्यवस्था को सुधारने का जिम्मा जिनके कंधों पर है उनको इसके लिए आगे आना होगा तभी जाकर कहीं व्यवस्था में सुधार हो सकेगा…