देवरिया में 18 दिन में 3 मर्डर, खुलासे में हांफ जा रही पुलिस

देवरियाः उत्तर प्रदेश से अपराध और अपराधियों का नामोनिशान मिटाने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के पड़ोस में तीन हत्याओं से माहौल गरमाया हुआ है। तीनों ही हत्याओं में मारे जाने वाले शख्स की जाति एक ही होने से जिले में जातीय लामबंदी भी तेज हो गई है। सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यह मुद्दा काफी देर तक ट्रेंड भी करता रहा। मारे गए लोगों में से दो करणी सेना के ऐक्टिव मेंबर भी थे। पुलिस मामले को आपसी रंजिश बता रही है लेकिन जिले में इसे लेकर सियासत गर्म है।

दरअसल, छठ के दिन 7 नवंबर को देवरिया के मदनपुर थाना इलाके के बरांव के रहने वाले शुभम सिंह उर्फ नेहाल सिंह की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। सुरौली थाना इलाके के जद्दू परसिया गांव में बदमाशों ने इस वारदात को अंजाम दिया था। नेहाल सिंह करणी सेना के ऐक्टिव मेंबर थे। ऐसे में उनकी हत्या के बाद करणी सेना ने देवरिया जिले में बड़ा प्रदर्शन किया था। दबाव को देखते हुए स्थानीय विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने मामले में हस्तक्षेप किया और पुलिस अधिकारियों से बात मामले में जल्द से जल्द राजफाश करने की अपील की।

आरोपी गिरफ्तार
करणी सेना के इस प्रदर्शन में विशाल सिंह भी शामिल थे। सोशल मीडिया पर भी वह नेहाल सिंह हत्याकांड को लेकर लगातार पोस्ट कर रहे थे। पुलिस ने मामले में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों की शिनाख्त की और उनकी गिरफ्तारी के लिए संभावित जगहों पर दबिश दी। बीते मंगलवार को कोइलगढ़हा ठाकुर देवा पुल के पास एनकाउंटर में पुलिस ने तीन लोगों को पैर में गोली मारकर गिरफ्तार किया। गिरफ्तार लोगों में आलोक राजभर, बृजेश गोस्वामी और अमन गिरी शामिल हैं।

हत्या पर राजनीति
इस ऐक्शन के कुछ ही दिन बाद विशाल सिंह की भी हत्या कर दी गई। शनिवार की रात बीकॉम के छात्र विशाल सिंह को किसी ने फोन कर बुलाया। वह काफी देर तक घर नहीं लौटे तो तलाश की गई। घायल अवस्था में विशाल सिंह को सड़क पर पाया गया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 28 साल के विशाल सिंह की मौत ने देवरिया में लोगों को झकझोर कर रख दिया। हालांकि, दोनों हत्याओं में मृतक के क्षत्रिय समुदाय से होने के कारण इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है।

अजीत सिंह हत्याकांड

दीपावली की रात ग्राम प्रधान अजीत सिंह की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। बताया गया कि जुआ खेलने के दौरान अजीत सिंह को बदमाशों ने गोली मारी थी। हत्या के दौरान अजीत सिंह पर बंदूक की पूरी मैगजीन खाली कर दी गई थी। अजीत सिंह का नाम यूपी और बिहार में शराब तस्करी के लिए भी लिया जाता था। उनके ऊपर कई केस भी दर्ज थे। अजीत, विशाल और निहाल की जाति एक ही होने के कारण इस पूरे मामले पर जातीय रंग भी चढ़ गया है। अजीत सिंह और निहाल सिंह की हत्या के बाद करणी सेना लगातार प्रशासन पर कार्रवाई के लिए दबाव बना रही थी। विशाल सिंह भी इस कैंपेन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे।

सोशल मीडिया ट्रेंडिंग
सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ‘विशाल सिंह’ के साथ ‘क्षत्रिय नरसंहार देवरिया’ ट्रेंड हो रहा था। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि देवरिया में एक महीने के भीतर क्षत्रिय जाति से आने वाले तीन लोगों की हत्या हो गई है। सबसे पहले अजीत सिंह नाम के व्यक्ति की जुए के दौरान हत्या की गई थी। उसके बाद निहाल सिंह को गोली मार दी गई। बाद में विशाल सिंह को चाकू से गोदकर मार डाला गया। सोशल मीडिया पर #क्षत्रिय_नरसंहार_देवरिया ट्रेंड के जरिए तमाम लोग देवरिया विधायक शलभ मणि त्रिपाठी और सांसद शशांक मणि त्रिपाठी पर भी जाति आधारित निशाना साध रहे हैं।

कानून व्यवस्था पर सवाल
हालांकि, तीनों की हत्या के एक दूसरे से संबंधित होने के कोई प्रमाण नहीं हैं और न ही पुलिस की ओर से ऐसा दावा किया गया है। विशाल सिंह का परिवार भी इस हत्या का संबंध निहाल सिंह हत्याकांड से जुड़ा होने से इनकार कर रहा है। इन सबके बीच यह सवाल बदस्तूर अपनी जगह पर है कि अगर योगी आदित्यनाथ सरकार में सीएम के दावे के मुताबिक कानून व्यवस्था इतनी सख्त है कि अपराधी राज्य छोड़कर भाग रहे हैं तो हत्या की ऐसी वारदातों को क्या समझा जाए? क्या ये हत्याएं प्रदेश में अपराध की नई पौध की आहट दे रही हैं? योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से विधायक हैं। उनके पड़ोसी जिले में ही एक महीने के भीतर तीन युवाओं की हत्याएं प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही हैं।

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